कांग्रेस के गढ़ में वर्ष 1993 में भाजपा को मिली थी पहली जीत
बालाघाटPublished: Oct 29, 2023 09:39:03 pm
लांजी विधानसभा सीट 1951 से 2018 तक
दिलीप भटेरे ने खिलाया था कमल
तेजलाल टेंभरे थे लांजी से पहले विधायक


बालाघाट. लांजी विधानसभा क्षेत्र कभी कांग्रेस का गढ़ हुआ करता था। यहां पहली बार वर्ष 1993 में कमल खिला था। दिलीप भटेरे ने लांजी में पहली बार कमल खिलाया था। यह विधानसभा क्षेत्र मध्यप्रदेश विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष तेजलाल टेंभरे, पूर्व उपाध्यक्ष नर्मदा प्रसाद श्रीवास्तव की कर्मस्थली रही है। तेजलाल टेंभरे लांजी विधानसभा सीट से पहले विधायक रहे है।
लांजी विधानसभा सीट शुरु से ही कांग्रेस का गढ़ रही है। इस सीट से मध्यप्रदेश विधानसभा में अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और केबिनेट मंत्री के रुप में माननीयों ने प्रतिनिधित्व किया है। लांजी सीट पर नर्मदा प्रसाद श्रीवास्तव ही एक ऐसे विधायक रहे हैं जो लगातार तीन बार विधायक निर्वाचित हुए है। हालंाकि, उन्होंने इस क्षेत्र का चार बार प्रतिनिधित्व किया है। लांजी सीट में वर्ष 1985 के बाद से बदलाव होते रहा है।
लांजी सीट से अब तक निर्वाचित विधायक
वर्ष 1951 में तेजलाल टेंभरे सबसे पहले विधायक निर्वाचित हुए थे। उन्होंने चुन्नीलाल देशमुख को परास्त किया था। वर्ष 1957 में इस सीट पर चुनाव नहीं हुआ। वर्ष 1962 में तेजलाल टेंभरे को परास्त कर नर्मदा प्रसाद विधायक निर्वाचित हुए। इसके बाद वर्ष 1967, 1972 में भी नर्मदा प्रसाद श्रीवास्तव विधायक निर्वाचित हुए। वर्ष 1977 में यशवंतराव खोंगल ने चार बार के विधायक रहे नर्मदा प्रसाद को चुनावी शिकस्त दी। वर्ष 1980 में भी यशवंत राव खोंगल विधायक निर्वाचित हुए। वर्ष 1985 में नर्मदा प्रसाद ने यशवंत राव को परास्त किया। वर्ष 1990 में दिलीप भटेरे पहली बार चुनाव लडकऱ विधायक निर्वाचित हुए। उन्होंने नर्मदा प्रसाद को चुनावी शिकस्त दी। वर्ष 1993 में भाजपा प्रत्याशी के रुप में चुनाव लडकऱ दिलीप भटेरे ने कमल खिलाया था। इस चुनाव में भी एनपी चुनाव हार गए थे। वर्ष 1998 में पुन: कांग्रेस की वापसी हुई। भागवत भाउ ने दिलीप भटेरे को परास्त किया। वर्ष 2003 में फिर सत्ता पलट गई। दिलीप भटेरे ने भागवत भाउ को परास्त किया। वर्ष 2008 में रमेश दिलीप भटेरे युवा विधायक के रुप में निर्वाचित हुए। उन्होंनें पुष्पलता कावरे को परास्त किया। वर्ष 2013 में लांजी सीट से फिर एक कम उम्र की विधायक निर्वाचित हुई। इस चुनाव में हीना कावरे ने रमेश भटेरे को परास्त किया था। वर्ष 2018 में इसे हीना कावरे ने फिर से दोहराया। रमेश भटेरे को हार का सामना करना पड़ा।
विधानसभा अध्यक्ष, उपाध्यक्ष भी रह चुके हैं विधायक
लांजी सीट से निर्वाचित विधायक मध्यप्रदेश में विधानसभा अध्यक्ष और उपाध्यक्ष भी रह चुके हैं। वर्ष 1962 में नर्मदा प्रसाद विधान सभा के विरोधी दल की ओर से विधानसभा के उपाध्यक्ष चुने गए थे। चतुर्थ विधान सभा में 5 अप्रेल 1967 को उन्हें पुन: उपाध्यक्ष निर्वाचित किया गया। इसके बाद तेजलाल टेंभरे 24 मार्च 1972 को सर्वसम्मति से मध्यप्रदेश विधान सभा के अध्यक्ष निर्वाचित हुए थे। 10 अगस्त 1972 को उन्होंने अध्यक्ष पद से त्याग पत्र दिया। 15 अगस्त 1972 को ही मंत्री पद की शपथ ली। वर्ष 2018 में दूसरी बार विधान सभा सदस्य निर्वाचित हुई हीना कावरे 10 जनवरी 2019 से 24 मार्च 2020 तक मध्यप्रदेश विधानसभा में उपाध्यक्ष रही। इस तरह से लांजी विधानसभा सीट से मप्र विधानसभा में एक बार अध्यक्ष और दो बार उपाध्यक्ष निर्वाचित होने का अवसर प्राप्त हुआ है।