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राजा शंकरशाह और कुंवर रघुनाथशाह का मनाया बलिदान दिवस

locationबालाघाटPublished: Sep 18, 2017 04:13:47 pm

Submitted by:

mahesh doune

उकवा में अमर शहीद गोंडवाना साम्राज्य के शासक राजा शंकरशाह कुंवर रघुनाथशाह मरावी का १६० वां बलिदान दिवस समारोह मनाया गया।
 

 Sacrifice Day
बालाघाट. मॉयल नगरी उकवा के बड़ा देव स्थल में अमर शहीद गोंडवाना साम्राज्य के शासक राजा शंकरशाह पुत्र कुंवर रघुनाथशाह मरावी का १६० वां बलिदान दिवस समारोह मनाया गया। कार्यक्रम में बैहर विधायक संजय उइके, गोंगपा महिला प्रकोष्ठ राष्ट्रीय अध्यक्ष हीरासनबाई उइके, जिला पंचायत उपाध्यक्ष अनुपमा नेताम, पूर्व विधायक बैहर भगत नेताम, पूर्व विधायक परसवाड़ा दरबूसिंह उइके, जनपद अध्यक्ष बैहर भगवंती सैय्याम, जिला पंचायत सदस्य दलसिंह पन्द्रे, नेहा सिंह प्रमुख रूप से उपस्थित रहे।
गांव में धूमधाम से निकली रैली
इस दौरान जगनटोला स्थित राजा शंकरशाह की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर श्रद्धाजंलि दी गई। तत्पश्चात् गांव में ढोल शहनाई की धुनों के साथ रैली निकाली गई। रैली गांव के प्रमुख मार्गो का भ्रमण कर उकवा बस स्टैण्ड, ग्राम पंचायत भवन होते हुए वापस कार्यक्रम स्थल पर पहुंच संपन्न हुई।
फांसी पर लटका तोप से उड़ा दिया
इस अवसर पर विधायक संजय उइके ने राजा शंकरशाह व कुंवर रघुनाथशाह के जीवन चरित्र पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि १८५७ के स्वतंत्रता संग्राम में क्रांति के जनक गोण्डवाना साम्राज्य के शासक राजा शंकरशाह पुत्र कुंवर रघुनाथशाह ने देश को अंग्रेजी की हुकुमत से आजाद कराने क्रांति का बिगुल बजाया था। उन्होंने कहा कि १८ सितम्बर १८५७ को अंग्रेज सरकार ने राजा शंकरशाह व कुंवर रघुनाथशाह को फांसी पर लटकाकर तोप से उड़ा दिया था। उनके बलिदान को गोण्डवाना समाज सदैव याद करता रहेगा। वहीं गोंगपा महिला प्रकोष्ठ राष्ट्रीय अध्यक्ष हीरासनबाई ने कहा कि दोनों पिता पुत्र के बलिदान को भुलाया नहीं जा सकता है। गोण्डवाना साम्राज्य व देश की रक्षा के लिए अंग्रेजों से लोहा लेने वाले वीर शहीदों का बलिदान हमेशा अमर रहेगा। उन्होंने समाज के लोगों को एकजुट होकर कार्य करने का आव्हान किया।
इनका रहा योगदान
कार्यक्रम को सफल बनाने में सचिव भजन वल्के, सरपंच धारासिंह मर्सकोले, संजय मर्सकोले, मोहबलसिंह उइके, मंशाराम मेरावी, नरसराम सैय्याम, रावण वरकड़े, अनिता राजेश मर्सकोले, वीणा तिलगाम, शिमला पन्द्रे, साधना वल्के, सुंदरसिंह भलावी, जयरामसिंह मरकाम, मंजूला टेकाम, रेखा कुड़ापे, अर्जुनसिंह उइके, तरूणा वल्के, रमसुला पन्द्रे, जीवनसिंह टेकाम, धनलाल उइके सहित अन्य का सराहनीय योगदान रहा।

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