चिन्नौर की जीआई टैग के लिए किया मार्ग प्रशस्त
बालाघाटPublished: Sep 14, 2019 08:02:55 pm
कलेक्टर व कुलपति ने सुगंधित धान
बालाघाट. जवाहर लाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ प्रदीप बिसेन व बालाघाट जिले के कलेक्टर दीपक आर्य के प्रयास व पहल से बालाघाट जिले की पहचान सुगंधित धान चिन्नौर का जीआई टैग भौगोलिक के रूप में विश्व स्तर पर पहचान के लिए मार्ग प्रशस्त हो रहा है।
चिन्नौर का बालाघाट जिले में सामाजिक रूप से भट्टा भात में चिन्नौर के भात का व धार्मिक रूप से भगवान के भोग व प्रसाद में बहुत ही प्रचलित इतिहास रहा है। चिन्नौर को चिन्नौर इसलिए कहा जाता है क्योकि चि से चिकनाईयुक्त नो से नोकदान व रा से बालाघाट में चावल को पारंपरिक भाषा में चाउर कहा जाता है। कृषि महाविद्यालय व कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक और कृषि विभाग के अधिकारियों द्वारा संयुक्त तौर पर पुरातन व एतिहासिक जानकारियों के प्रमाणों का संग्रह किया गया जो कि किसी भी उत्पाद का जीआई कराने हेतु अति आवश्यक है।
कृषि महाविद्यालय के अधिष्ठाता डॉ जीके कौतू ने बताया कि चिन्नौर को इसकी सुगंध व गुणवत्ता के कारण राष्ट्रीय स्तर पहचाना जाता है। जिससे इस प्रजाति को भौगोलिक ***** जियोग्राफिकल इंडीकेशन के लिए पंजीयन कराना आवश्यक है, इसके पंजियन से राष्ट्रीय व अन्र्तराष्ट्रीय स्तर पर प्रमाणित ख्याती एवं विपणन के लिए बाजार मिल जाएगा तथा बाजार में उत्पादों बीच प्रतिस्पर्धा से उनके उत्पादों में अन्तर व गुणवत्ता युक्त उत्पाद की पहचान उस विशेष भौगोलिक क्षेत्र की वजह से मिलता है व उन उत्पादों के प्रिमियत मूल्य दिलाने में मदद करेगा। इस प्रकार भौगोलिक ***** उस उत्पाद को पर्याप्त कानूनी संरक्षण प्रदान कर उनकी हेरा फेरी रोकने में मददगार होगा।
कुलपति डॉ प्रदीप बिसेन व कलेक्टर दीपक आर्य के मार्गदर्शन व संरक्षण में चिन्नौर उत्पादक 51 कृषकों के समूह चिन्नौर सीड्स प्रोड्यूसर कंलि. व कृषि महाविद्यालय के द्वारा जीआई टैग हेतु आवश्यक दस्तावेज सहित आवेदन भारत सरकार के जियोग्राफिकल इंडिकेशन रजिस्ट्री ऑफिस चेन्नई भेजा जा रहा है। इस संबंध में किसी व्यक्ति के पास यदि कोई एतिहासिक प्रमाण या साक्ष्य हो तो वे कृषि महाविद्यालय के वैज्ञानिक डॉ उत्तम बिसेन से संपर्क कर इस महात्वपूर्ण कार्य का भागीदार बन सकते हंै।