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कोरोना नियमों से बदला शिक्षा व्यवस्था का स्वरूप-जाने क्या आया है बदलाव

locationबालाघाटPublished: Jan 17, 2022 11:53:46 am

Submitted by:

mukesh yadav

शिक्षक बरत रहे सावधानी, खेल-खेल बच्चे रहे भूल५० प्रतिशत संख्या के साथ लगाई जा रही कक्षाएंमास्क, सोशल डिस्टेंस और हाथ धोने बच्चों को किया जा रहा प्रेरितसप्ताह में ३-३ दिन अलग-अलग बच्चों को करवानी पड़ रही पढ़ाई

कोरोना नियमों से बदला शिक्षा व्यवस्था का स्वरूप-जाने क्या आया है बदलाव

कोरोना नियमों से बदला शिक्षा व्यवस्था का स्वरूप-जाने क्या आया है बदलाव


बालाघाट. कोरोना की तीसरी लहर भले ही उतनी भयावह व खातरनाक न हो, लेकिन इसका असर शिक्षा व्यवस्था पर साफ नजर आ रहा है। कोविड १९ की तीसरी लहर को लेकर जारी गाइड लाइन और नियमों से शिक्षा व्यवस्था का स्वरूप ही काफी कुछ बदल गया है। कुछ स्कूली बच्चे और शिक्षक नए बदलाव के साथ पठन-पाठन कार्य सुचारू रूप से कर पा रहे हैं। वहीं कुछ बच्चों और शिक्षकों में नए बदलाव को लेकर प्रभाव नजर आ रहा हैं। जिन्हें नियमों के तहत अध्यन व अध्यापन करने में काफी मशक्कत भी करनी पड़ रही हैं। हालाकि धीरे-धीरे कर ऐसे शिक्षक व बच्चे स्वयं को आदतों में ढाल लिए जाने की बात कह रहे हैं।
पत्रिका ने सोमवार को ऐसे ही बदलावों को जानने का प्रयास किया तो कुछ इसी तरह की बातें सामने आई।
एक पाठ्क्रय को पढ़ाना पड़ रहा कई बार
वारासिवनी क्षेत्र की मेंढकी संकुल के एक शाला एक परिसर पदमपुर स्कूल में शिक्षकों को गाइड लाइन का पालन करवाने एक ही पाठ्क्रम को कई बार पढ़ाना पड़ रहा है। यहां बकायदा कोरोना गाइड लाइन पूरा पालन किया व करवाया जा रहा है। ५० प्रतिशत बच्चों की उपस्थिति के साथ कक्षाओं का संचालन हो रहा है। ऐसे में सप्ताह में तीन-तीन दिन आधे-आधे बच्चों को बुलवाकर पढ़ाई करवाई जा रही है। ऐसे में एक ही पाठ्क्रय को एक से अधिक बार दोहराना पड़ रहा है। इसके बाद भी यदि कोई बच्चा तय कक्षाओं में शामिल नहीं हो पाया तो उसे अलग से उसी पाठ्क्रम की पढ़ाई करवानी पड़ रही है। ऐसे एक माह के कोर्स को पूरा करने में अधिक समय लग रहा है।
इसी तरह बच्चों की अपनी अलग परेशानी है। बच्चों का कहना है कि वे नित्य घर से नहा धोकर आते हैं। इसके बाद स्कूलों में कई-कई बार साबुन से हाथ धोना, पूरे टाइम मुंह में मास्क पहना और स्कूल में आने के बावजूद बच्चों के साथ खेलने में परहेज करना पड़ रहा है। जिससे काफी परेशानी तो होती है, लेकिन शिक्षकों के भय से उन्हें सब करना पड़ता है।
यहां खेल-खेल में बच्चे भूल रहे नियम
इसी तरह के दृश्य शासकीय माध्यमिक शाला पौंडी उकवा में नजर आए। यहां के शिक्षकों के अनुसार ट्रायवल क्षेत्र होने के कारण नेटवर्क की हमेंशा से समस्या बनी रहती है। वहीं अधिकांश बच्चों के यहां एडराइड फोन नहीं है। इस कारण बच्चों की ऑन लाइन पढ़ाई मुमकिन नहीं है। बच्चों को ५० प्रतिशत की उपस्थिति में स्कूल बुलाया जाता है। लेकिन शिक्षकों के कुछ देर के लिए ही कक्षाओं से बाहर जाने पर बच्चे खेल-खेल में गाइड लाइन भूल जाते और उनकी मस्ती शुरू हो जाती है। इस कारण पूर्ण रूप से गाइड लाइन का पालन हो रहा है यह कह पाना मुश्किल है। यहां के शिक्षकों के अनुसार इन बिंदुओं को ध्यान में रखते हुए भी शिक्षा को लेकर नियम बनाए जाने चाहिए, ताकि बच्चों के साथ ही शिक्षक और पालकों को भी कोई असुविधा न हो और संक्रमण का खतरा भी न रहे।
इनका कहना है।
कोरोना नियमों के पालन में थोड़ी परेशानी तो होती है। लेकिन इनका पालन करना भी जरूरी है। स्कूल न आओं तो पढ़ाई मार खाएगी और स्कूल में कड़ी बंदिशों के बीच अध्यन कार्य करना पड़ रहा है।
सिद्धांत कारे, छात्र
हमारे स्कूल में कोरोना रोकथाम के बेस्ट इंतजाम है। लेकिन स्कूल में साथियों के साथ खेलना मुझे अच्छा लगता है, इसके लिए भी मनाही है। ऑनलाइन पढ़ाई में कुछ समझ नहीं आता है।
आंचल कोहरे, दूसरी
गाइड लाइन के बीच इतने सारे बच्चों की जिम्मेदारी से थोड़ा भय तो रहता है, लेकिन शासन के नियमों का पालन करना और कराना भी हमारी जिम्मेदारी है। इन सब के बीच पूरी निष्ठा से बच्चों की पढ़ाई करवा रहे हैं। ट्रायल क्षेत्र होने के कारण ऑनलाइन शिक्षा अधिकांश बच्चे नहीं ले पाते हैं।
देवेन्द्र टेम्भरे, माध्यमिक स्कूल पोंडी
हम स्कूल के स्वरूप और व्यवस्थाओं को कुछ इस तरह से संचालित करने का प्रयास करते हैं कि बच्चों प्रभावित भी न हो और सही ढंग से शिक्षा अध्यन कर सके। बदलाव के बीच शिक्षा अध्यन में बच्चों को थोड़ी परेशानी तो होगी, लेकिन यह सबके लिए बेहतर होगा।
रविन्द्र बिसेन, एचएम पदमपुर

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