scriptपटरियां लांघकर शव को ले जाना पड़ता है श्मशान | Cremation has to be done by crossing the tracks and carrying the body | Patrika News

पटरियां लांघकर शव को ले जाना पड़ता है श्मशान

locationबालाघाटPublished: Mar 07, 2020 04:34:55 pm

Submitted by:

mukesh yadav

कटंगी के ग्रामीणों की पीढ़ा, अंडरब्रिज का अभाव

नियमोंं के मकडज़ाल में न उलझे सीएम की घोषणा

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कटंगी/बालाघाट। कटंगी छतेरा-सेलवा मुख्य सड़़क मार्ग पर रेलवे क्रासिंग के नीचे अंडर ब्रिज की कमी एक विकराल समस्या बन चुकी है। यहां अंडर ब्रिज ना होने के कारण रोजाना दर्जनों गांव के ग्रामीणों को आवागमन में भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। कभी-कभार जब छतेरा शहरी क्षेत्र में किसी की मृत्यु हो जाती है तो उसके शव को भी पटरियां लांघकर ही ले जाया जाता है।
गुरूवार को एक बार फिर इस तरह का दृश्य देखने को मिला। इस तरह की परेशानियों को देखते हुए रेल प्रशासन से कई बार अंडर ब्रिज का निर्माण कराने की मांग की गई है लेकिन रेल प्रशासन अंडर ब्रिज का निर्माण करना असंभव ही बता रहा है। हालाकिं रेलवे ने जनता की सुविधाओं को ध्यान में रखते हुए एक लिखित वादा किया था जिसे आज तक पूरा नहीं किया है। दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे रेल विभाग ने बसपा नेता रहे उदयसिंह पंचेश्वर को 11 जनवरी 2013 को लेवल क्रांसिग बीके -64 किमी 1088/1-2 पर एलएचएस बनाने का लिखित आश्वासन दिया था। इसके अलावा रेल विभाग ने रेलवे स्टेशन से 50 मीटर की दूरी पर ब्रिज क्रमांक 138 के नीचे से आवागमन के लिहाज से दूरस्त कराने का भरोसा दिया था। लेकिन इन दोनों ही वादों पर रेल प्रशासन खरा नही उतर पाया है।
लगाना पड़ता है फेरा
अंडर ब्रिज के अभाव में खासकर स्कूली छात्र-छात्राओं, पैदल तथा साईकिल से चलने वाले राहगीरों को परेशानी झेलनी पड़ती है। अंडरब्रिज के अभाव में इन सभी को 10 कदम की दूरी तय करने के लिए मजबूरन रेल की पटरियां लांघनी पड़ती है या फिर 2 किमी. का रास्ता तय करना पड़ता है। ऐसे में अधिकांश पैदल तथा साईकिल से चलने वाले मुसाफिर समय बचाने के लिए पटरियां लांघते दिखाई देते हैं। जिससे इनके साथ हमेशा ही हादसों का डर बना रहता है।
अब आ रही परेशानी
बताया जाता है कि बाडग्रेज का निर्माण करते वक्त भूमि अधिग्रहण में राजनैतिक दांवपेंच चले। जिसका नतीजा यह रहा कि रेलवे ने भविष्य की तैयारी किए बिना ही छतेरा में रेलवे स्टेशन की बिल्ंिडग का निर्माण कर दिया गया। जिससे ना सिर्फ छतेरा-सेलवा रेलवे क्रांसिग में अंडरब्रिज निर्माण की संभावनाएं समाप्त हो गई, बल्कि आज जब कटंगी रेलवे स्टेशन का विस्तार किया जा रहा है, तो रेल प्रशासन को काफी दिक्कतों से दो-चार होना पड़ रहा है।
बता दें कि कटंगी-तिरोड़ी बाडग्रेज रेल लाईन का निर्माण प्रगति पर है। जिसके पूरे होते ही कटंगी सीधे महाराष्ट्र की उपराजधानी नागपुर से जुड़ जाएगा। ऐसे में कटंगी स्टेशन में जिन सुविधाओं की जरूरतें होगी, उन व्यवस्थाओं को सुचारू तरीके से बनाने में रेलवे को लोहे के चने चबाने पड़ेंगे।
इन ग्रामों को परेशानी
कटंगी-छतेरा मार्ग से होकर सेलवा, बडग़ांव, सांवगी, आगरवाड़ा, नंदेलसरा, सीताखोह, कलगांव, बाहकल, अतरी, गजपूर, टटेकसा, दूधारा, पंाजरा, मगलेगांव, नवेगांव सहित अन्य दर्जनों गांव के राहगीर प्रतिदिन अपने दैनिक कार्य के लिए मुख्यालय आवागमन करते हैं। जिन्हें क्रांसिग पर अंडरब्रिज नहीं होने से परेशानी होती है इन सभी मुसाफिरों को 2 किमी. का लंबा फेरा तय करना पड़ता है।
अंडरब्रिज की मांग
क्षेत्र के गणमान्यों के अनुसार स्कूली छात्र-छात्राएं साढ़े 11 बजे जिस वक्त ट्रेन आती है, उस वक्त अपनी जान जोखिम में डालकर साईकिल उठाकर क्रांसिग पार करते नजर आती है। ऐसे में अक्सर यहां बड़ी दुर्घटना होने का अंदेशा बना रहता है। फिलहाल इन सभी गांवों की जनता रेल प्रशासन का पुन: ध्यानाकर्षण कराते हुए अंडर ब्रिज का निर्माण कराने या फिर ब्रिज क्रमांक 138 को आवागमन के तैयार करने की मांग कर रही हैं।
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