२. बिटिया:- अंबिका
पिता:- रविन्द्र सोनी
व्यवयाय:- कपड़ा व्यापारी
बिटियां का अनुभव:- इतने सारे व्यापारियों का हिसाब किताब रखना सच में कितना मुश्किल काम है। आज जानकर पापा पर काफी गर्व महसूस हो रहा है। पापा बिना हिसाब किताब का रजिस्टर देखे सारे कपड़ों का मूल्य मौखिक याद रख लेते हैं। यह तो सिलेबस पढ़ाई से भी मुश्किल काम है।
पिता:- रविन्द्र सोनी
व्यवयाय:- कपड़ा व्यापारी
बिटियां का अनुभव:- इतने सारे व्यापारियों का हिसाब किताब रखना सच में कितना मुश्किल काम है। आज जानकर पापा पर काफी गर्व महसूस हो रहा है। पापा बिना हिसाब किताब का रजिस्टर देखे सारे कपड़ों का मूल्य मौखिक याद रख लेते हैं। यह तो सिलेबस पढ़ाई से भी मुश्किल काम है।
३. बिटिया – खुशबू
पिता – हरीप्रसाद दौने
व्यवयाय:- ई रिक्शा चालक
बिटियां का अनुभव:- दिनभर बारहो महीने खुले आसमान के निचे सवारी का इंतजार करने में पापा को कितनी तकलीफ होती होगी। आज मैने जाना है। मै पापा के कार्य से काफी प्रभावित हुई हॅू। मै बड़ी होकर शासकीय सेवा में नौकरी करना चाहूंगी, ताकि पापा को आराम मिल सकें।
पिता – हरीप्रसाद दौने
व्यवयाय:- ई रिक्शा चालक
बिटियां का अनुभव:- दिनभर बारहो महीने खुले आसमान के निचे सवारी का इंतजार करने में पापा को कितनी तकलीफ होती होगी। आज मैने जाना है। मै पापा के कार्य से काफी प्रभावित हुई हॅू। मै बड़ी होकर शासकीय सेवा में नौकरी करना चाहूंगी, ताकि पापा को आराम मिल सकें।
४. बिटिया – नेहा मेहरबान
पिता- शरद मेहरबान।
व्यवयाय:- डाकघर कर्मचारी।
बिटियां का अनुभव:- मेरे पापा का कितनी जिम्मेदारियों वाला काम है आज पता चला। नहीं मै सोचती थी कि सिर्फ कम्प्यूटर पर बैठकर टाइपिंक करना कितना सरल होगा। इसलिए मै पापा से हमेशा कार्य में सहयोग करने की जिद भी करती थी। लेकिन आज पापा का काम देखकर पता चला कि थोड़ी भी मन भटका तो पूरा लाखों का नुकसान भी वहन करना पड़ सकता है।
पिता- शरद मेहरबान।
व्यवयाय:- डाकघर कर्मचारी।
बिटियां का अनुभव:- मेरे पापा का कितनी जिम्मेदारियों वाला काम है आज पता चला। नहीं मै सोचती थी कि सिर्फ कम्प्यूटर पर बैठकर टाइपिंक करना कितना सरल होगा। इसलिए मै पापा से हमेशा कार्य में सहयोग करने की जिद भी करती थी। लेकिन आज पापा का काम देखकर पता चला कि थोड़ी भी मन भटका तो पूरा लाखों का नुकसान भी वहन करना पड़ सकता है।
५. बिटिया:- योशिका पिपलेवार।
पिता:- चंद्रकांत पिपलेवार।
व्यवयाय:- प्रिंटिंग प्रेस।
बिटियां का अनुभव:- अत्याधुनिक मशीनों के बारे में जानना काफी रोमांचकारी रहा। अब मै नित्य पापा के प्रतिष्ठान में आकर मशीने चलाना सीखना चाहूंगी। ताकि खाली समय व गर्मियों की छुट्टियों में मै भी मशीनों का आपरेट कर व्यवसाय सीख सकूं।
पिता:- चंद्रकांत पिपलेवार।
व्यवयाय:- प्रिंटिंग प्रेस।
बिटियां का अनुभव:- अत्याधुनिक मशीनों के बारे में जानना काफी रोमांचकारी रहा। अब मै नित्य पापा के प्रतिष्ठान में आकर मशीने चलाना सीखना चाहूंगी। ताकि खाली समय व गर्मियों की छुट्टियों में मै भी मशीनों का आपरेट कर व्यवसाय सीख सकूं।