कान्हा नेशनल पार्क से लगे ग्रामों की शालाओं के फिरेेंगे दिन
बालाघाटPublished: Feb 14, 2020 09:33:43 pm
कलेक्टर ने रिसोर्ट संचालकों की बैठक में सहयोग का किया आव्हान
कान्हा नेशनल पार्क से लगे ग्रामों की शालाओं के फिरेेंगे दिन
बालाघाट. जिले में कान्हा नेशनल पार्क से लगे क्षेत्र में बड़ी संख्या में रिसोर्ट और होटलों का संचालन किया जा रहा है। इस दूरस्थ व आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र की शालाओं में बुनियादी सुविधाओं के विस्तार के लिए कलेक्टर दीपक आर्य द्वारा सतत प्रयास किया जा रहा है। इसके लिए कान्हा नेशनल पार्क से लगे क्षेत्र में स्थित रिसोर्ट व होटल संचालकों को तैयार किया गया है कि वे अपने व्यवसाय के साथ इस क्षेत्र के बच्चों के विकास के लिए मदद कर अपने सामाजिक दायित्व भी निभाएं।
इस कड़ी में शुक्रवार को कलेक्टर दीपक आर्य, जिपं सीईओ रजनी सिंह ने मुक्की में रिसोर्ट, होटल संचालकों की बैठक लेकर उनसे इस संबंध में चर्चा की। बैठक में बैहर एसडीएम गुरूप्रसाद, जपं बैहर सीईओ पुष्पेन्द्र व्यास, बीआरसी हेमंत राणा सहित अन्य अधिकारी उपस्थित थे। बैठक में कलेक्टर आर्य ने रिसोर्ट एवं होटल संचालकों से कहा कि वे पार्क से लगे ग्रामों की शालाओं को गोद लेकर उनमें शिक्षा संबंधी बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराएं। किसी शाला में शौचालय की सही व्यवस्था नहीं है तो उसे बनाया जा सकता है। बारिश में स्कूल की छत टपकती है तो उसमें सुधार किया जा सकता है। बच्चों के बैठने के लिए फर्नीचर की व्यवस्था की जा सकती है। स्कूल के बच्चों को स्टेशनरी सामग्री, स्कूल बैग, जूते, मोजे, कपड़े आदि भी प्रदाय किए जा सकते है। रिसोर्ट संचालक स्कूल के बच्चों के बौद्धिक विकास के लिए भी उन्हें पढ़ाने में अपनी सेवाएं दे सकते है। रिसोर्ट संचालकों ने भी बैठक में जिला प्रशासन की इस पहल पर सकारात्मक सहयोग करने का आश्वासन दिया।
बैठक में रिसोर्ट संचालकों से कहा गया कि वे कान्हा भ्रमण में आने वाले पर्यटकों को इस क्षेत्र की शालाओं का भ्रमण करवाएं और उन्हें दिखाएं कि इस आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र के बच्चे किस प्रकार से शिक्षा ग्रहण कर रहे है। इससे पर्यटकों को भी इस क्षेत्र के रहन-सहन एवं संस्कृति से परिचित होने का अवसर मिलेगा। रिसोर्ट संचालकों को बताया गया कि लगमा में हाट.बाजार की स्थापना की गई है। इस हाट बाजार में बालाघाट जिले के आदिवासियों एवं कलाकारों द्वारा तैयार की गई लाख की चुडियां, बांस व मिट्टी के बर्तन, हाथकरघा वस्त्र, जिले में पैदा होने वाले कोदो कुटकी, चिन्नौर आदि को प्रदर्शन व विक्रय के लिए रखा गया है। रिसोर्ट संचालकों से कहा गया कि वे पर्यटकों को लगमा के हाट बाजार में अवश्य लेकर जाएं।