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अवैध वसूली पर रोक लगाने की मांग

locationबालाघाटPublished: Feb 01, 2019 05:36:19 pm

Submitted by:

mukesh yadav

महिला स्व सहायता समूहों ने लोन किश्त की-

gyapan

अवैध वसूली पर रोक लगाने की मांग

कटंगी। ग्रामीण अंचलों में महिलाओं के समुहों को लोन प्रदान करने वाली माईक्रो फांइनेस कंपनियों के द्वारा अवैध वसूली की जा रही है। जिस पर रोक लगाने की मांग करते हुए महिलाओं ने प्रदेश के मुखिया कमलनाथ के नाम अनुविभागीय अधिकारी ऋषभ जैन एवं क्षेत्रीय विधायक टामलाल सहारे को ज्ञापन सौंपा है। महिलाओं ने बताया कि बालाघाट एवं सिवनी जिले में प्राईवेट माईक्रो फांइनेस कंपनी ग्रामीण कोटा, स्पंदना, अन्नपूर्णा देवी, एलएनटी गांव-गांव में अशिक्षित एवं गरीब मजदूर महिलाओं के समूह बनाकर कर्ज (लोन) बांटती है। यह कंपनियां 30 से 35 हजार रुपए 2 वर्ष की अवधि पर सालाना 24-42 प्रतिशत ब्याज पर देती है, जिसकी वापसी मूलधन ब्याज सहित 15 दिनों में मोटी-मोटी किश्तों में लेती है। इसमें बीमा के नाम पर 11 सौ से 22 सौ रुपए लेते हैं। बीमा और जमा किश्त की कोई रसीद तक नहीं देते।
महिलाओं ने बताया कि कई बार वह कंपनी के एंजेट को पैसा दे चुके होते हैं। लेकिन दूसरा एंजेट फिर आकर पैसों के लिए परेशान करता है। महिलाओं की माने तो उन्होंने यह कर्ज कृषि कार्य, सब्जी उत्पादन, पशुपालन एवं मुर्गीपालन जैसे कार्य के लिए लिया है। जबकि बीमा व्यक्ति का किया जाता है, लेकिन जब कोई बीमाधारक व्यक्ति मर जाता है, तो उसे कंपनी द्वारा बीमा की राशि नहीं दी जाती। महिलाओं को आरोप है कि इन माईक्रो फांइनेस कंपनियोंं ने ग्रामीणों को गुमराह कर अब तक करोड़ों रुपए लूटे हैं।
स्व सहायता समूह की महिला भूमेश्वरी नागेश्वर, मंगरी, सैवन्ता, मिरजन, गीता, छमन, देवकी, अश्रकली सहित अन्य महिला समूहों ने बताया कि माईक्रो फांइनेस कंपनियों ने 6 प्रतिशत ब्याज की बात कहकर कर्ज दिया था। लेकिन अब 24.42 प्रतिशत से वसूली कर रही है। उन्होंने बताया कि माईक्रो फांइनेस के एंजेट घर में आकर डराते धमकाते तथा मानसिक प्रताडऩा देते हैं। कर्ज के नाम पर गुंडागर्दी करते हैं। इस वजह से महिलाओं ने अब किश्त देना बंद कर दिया है। महिलाओं ने बताया कि कई महिलाएं इनके एंजेट के डर से जिलों से पलायन कर चुकी है। महिलाओं ने कहा कि उन्होंने कई बार कलेक्टर से शिकायत कर धरना प्रदर्शन भी किया। लेकिन इसके बावजूद माईक्रो फांइनेस कंपनियों पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। महिलाओं ने सरकार से इन प्राइवेट माईक्रो फांइनेस कंपनियों पर रोक लगाने की मांग की है।

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