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नपा कारनामा 16 लाख खर्च तालाब प्यासा-

locationबालाघाटPublished: May 22, 2019 04:42:10 pm

Submitted by:

mukesh yadav

तालाबों के सूखे कंठ, जीर्णोद्धार का इंतजार

jal sankat

नपा कारनामा 16 लाख खर्च तालाब प्यासा-

कटंगी। मई के महीने में गर्मी जैसे-जैसे अपना प्रचंड रुप दिखा रही है, वैसे-वैसे जलसंकट विकराल रूप धारण करते जा रहा है। गर्मी की वजह से तालाब, कुएं सूख चुके है। हंडपंप पानी की जगह हवा उगल रहे हैं। जिसका सीधा असर जनजीवन पर पड़ रहा है। वहीं जलसंकट की वजह से पशु-पक्षी तक हलाकान है। इधर शहर में नगर परिषद ने जिस मुंदीवाड़ा तालाब के सौन्दर्यीकरण पर 16 लाख रुपए खर्च किए है, उस तालाब के कंठ सूख चुके हैं। इस वजह से तालाब बेहद बदसूरत दिख रहा है। लेकिन जिम्मेदार इस तालाब के जीर्णोद्धार को लेकर कोई प्रयास करते नहीं दिख रहे है। जबकि तालाबों के गहरीकरण एवं सौन्दर्यीकरण के लिए 2 करोड़ की राशि की घोषणा और 1 करोड़ रूपए की प्रशासनिक स्वीकृति तक मिल चुकी है। आज शहर के बड़ा तालाब, देवी तालाब और मुंदीवाड़ा तालाब अपनी दुर्दशा पर आंसु बहा रहे है। मगर, इन तालाबों को बचाने के लिए कोई चिंता नहीं कर रहा है। जिसके चलते तालाबों के अस्तित्व पर संकट के बादल मंडरा रहे है।
प्राप्त जानकारी के मुताबिक नगर परिषद ने स्वर्ण जयंती शहरी रोजगार योजनान्तर्गत साल 2013 में 16.05 लाख रुपए खर्च कर मुंदीवाड़ा तालाब का सौन्दर्यीकरण किया था। इतनी बड़ी राशि से नपा ने केवल तालाब के आसपास फेसिंग (बिना अतिक्रमण मुक्त किए) लगाई थी, इसके अलावा पैदल पथ का निर्माण करवाया था। इस कार्य में कितनी गड़बड़ी की गई है, यह आज तालाब की हालत को देखकर लगाया जा सकता है। ज्ञात हो कि नपा को पहली प्राथमिकता से तालाब का गहरीकरण एवं जीर्णोद्धार करना था। लेकिन नपा ने यह काम करवाने की बजाए सौन्दर्यीकरण पर अधिक ध्यान दिया। जिसका नतीजा यह हुआ कि 16 लाख रूपए खर्च होने के बाद भी तालाब बदसूरत ही दिखाई दे रहा है। गौरतलब हो कि करीब ड़ेढ माह बाद बारिश कभी भी बारिश हो सकती है, लेकिन नपा ने अब तक इन तालाबों का जीर्णोद्धार का कोई खाका तैयार नहीं किया है। शहर के तालाबों के जीर्णोद्वार के लिए दौड़ाए गए कागजी घोड़ों की रफ्तार काफी धीमी है। जिससे ऐसा प्रतीत होता है कि इस गर्मी के मौसम में भी तालाब का जीर्णोद्धार होना नामुमकिन है।
गर्मी के मौसम में कुछ ऐसे ही हाल गांव-गांव में तालाबों के भी है। पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग ने भले ही मनरेगा योजना के माध्यम से करोड़ों रूपए खर्च कर पंचायतों में तालाबों का निर्माण करवा दिया है, लेकिन निर्माण के दौरान तकनीकि खामियों को अनदेखा कर निर्माण किए जाने की वजह से आज 90 फीसदी तालाबों में पानी एक बूंद नहीं बची है। ध्यान रहे कि गांव-गांव में तालाबों के निर्माण का प्रमुख उद्देश्य पेयजल की समस्या को दूर करना और भूगर्भ जलस्तर सुधारना था, लेकिन करोड़ों रूपए खर्च करने के बावजूद तालाब निष्काम ही साबित हो रहे हैं। नतीजन जिस उद्देश्य की वजह से करोड़ों खर्च किए गए, उसका लाभ न तो ग्रामीणों को मिला और न ही पशु-पक्षियों को। इस समय गर्मी ने अपना प्रचंड रुप धारण कर लिया है। इस वजह से पशु-पक्षी पानी के लिए दर-दर भटक रहे है। बहरहाल, अगर यहीं हालत रहे तो, आने वाले महीनों में पेयजल संकट गंभीर समस्या बनकर सभी के सामने खड़ी हो सकती है।
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