हिंसा नहीं करूणा मैत्री करो- भंत धम्म शिखर
बालाघाटPublished: Mar 17, 2019 02:30:33 pm
आम्बेडकर मंगल भवन में सद्धम ध्यान साधना शिविर आयोजित
हिंसा नहीं करूणा मैत्री करो- भंत धम्म शिखर
किरनापुर। डॉ. बाबा साहब आम्बेडकर मंगल भवन परसाटोला में दो दिवसीय सद्धम ध्यान साधना शिविर का शुभारंभ पूज्य भंते धम्म शिखर के मार्गदर्शन में किया गया। कार्यक्रम की शुरूआत सर्वप्रथम तथागत भगवान गौतम बुद्ध एवं बोधिसत्व डॉ. बाबा साहब आम्बेडकर के छायाचित्रों के समक्ष दीप प्रज्जवलित कर पूजा वंदना के साथ की गई। इस ध्यान साधना शिविर के दौरान भंते धम्म शिखर ने बताया कि मनुष्य का जीवन सुखी कैसे हो सकता है, दु:खों से कैसे मुक्ति मिल सकती है। भंतेजी ने कहा कि धम्म मार्ग से ही उसको आचरण में लाकर अपने जीवन को सुखमय बनाया जा सकता है। धम्म मार्ग हमें जीवन जीने की कला सीखाता है कहां संसार में प्राणी दु:खी है और दु:ख का कारण तृष्णा, राग, द्वेष है, इसे आर्य अष्टांगिक मार्ग पर चलकर दूर किया जा सकता है और कहा कि हिंसा से नहीं करूणा मैत्री को जीवन में उतारने पर ही आपका कल्याण हो सकता है। वहीं 17 मार्च दिन रविवार को शिविर का समापन महाप्रसादी वितरण के साथ किया जाएगा। शिविर में बम्हनगांव, परसाटोला, नारायणटोला, जराही, जामड़ी, किरनापुर, कंडरा के उपासक-उपासिकाओं ने लाभ लिया। इस आयोजन में पीआर गजभिए, व्हीएन मेश्राम, राकेश बोरकर, नत्थुलाल रामटेके, प्रेमलाल वैध, विलास उके, राहुल गजभिए, मानिकराव वैध, यशवंतराव वैध, अखिलेश नागवंशी, तुलसीराम बोरकर, गणेशराम बोरकर, भाउदास बोरकर, नरेन्द्र सावनकर, प्रियांशु मेश्राम, युगांशु, सुधांशु बोरकर, रजनी चौरे, मंजू कोल्हाटकर, सुरेखा पटले, अंजना भिमटे, गुनाबाई हुमने, वंदना मेश्राम, वंदना बोरकर, ममता बोरकर, आशा गेड़ाम, सीमा बोरकर, कविता मेश्राम, नीढाबाई गणवीर, जीवनकला हुमनेकर, लिमनबाई बागड़े, छाया निकोसे, रायवंता मेश्राम, कविता गोंडाने, पंचशीला सहित अन्य का सराहनीय सहयोग रहा।