सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों में डॉक्टरों के नहीं होने से मरीजों को समय पर उपचार नहीं मिल रहा है।
बालाघाट. जिले के तहसील मुख्यालय व ग्रामीण अंचलों में स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों में डॉक्टरों के नहीं होने से मरीजों को समय पर उपचार नहीं मिलने से असमय ही काल के गाल में समाना पड़ रहा है। इसके अलावा प्रदेश व केन्द्र सरकार द्वारा गरीब मजदूरों के लिए चलाई जा रही स्वास्थ्य से संबंधित योजनाओं का भी लाभ नहीं मिल रहा है।
गौरतलब हो कि गत १५ वर्षो से अस्पताल में डॉक्टर नहीं है। कई बार क्षेत्रवासियों ने डॉक्टर की मांग को लेकर धरना आंदोलन व आमरण अनशन किया। लेकिन शासन-प्रशासन द्वारा इस ओर कोई
ध्यान नहीं दिया जा रहा है।
उपचार नहीं मिलने से मौतउकवा स्वास्थ्य केन्द्र के अंतर्गत ३६ गांव आते है लेकिन अस्पताल में डॉक्टर नहीं होने से मरीजों को मजबूरन बैहर, परसवाड़ा व बालाघाट जाना पड़ रहा है। दुर्घटना होने पर अचानक तबियत अधिक बिगडऩे पर मरीज का समय पर उपचार नहीं मिलने से मौत हो जाती है। वर्तमान समय में जिले में स्वाइन फ्लू व डेंगू का असर चल रहा है। लेकिन डॉक्टर नहीं होने से मरीज को परेशान होना पड़ रहा है। गत ८ दिन पूर्व ही दुर्घटना में घायल एक की मौत व तीन घायलों को जिला अस्पताल भेजना पड़ा।
पोस्टमार्टम के लिए परेशानीदुर्घटना व संदिग्ध स्थिति में मौत होने पर पुलिस व मृतक के परिजनों को पोस्टमार्टम के लिए परेशानी उठाना पड़ता है। पीएम के लिए भी डॉक्टर नहीं होने से बैहर व बालाघाट ले जाना पड़ता है। ग्रामीणों ने कहा कि अस्पताल में शीघ्र ही डॉक्टर की सुविधा नहीं की गई तो आंदोलन किया जाएंगा।
वर्जनकाफी वर्षो से स्वास्थ्य केन्द्र में डॉक्टरों की सुविधा नहीं होने से मरीजों को परेशानी हो रही है। समय पर उपचार नहीं मिलने से मरीज की मौत हो जाती है।
संजय मर्सकोले, सरपंच
वर्जनडॉक्टरों की मांग को लेकर कई बार धरना आंदोलन किया गया। लेकिन आज तक डॉक्टरों की सुविधा नहीं की गई है। जिससे ग्रामीणों को परेशानी झेलनी पड़ रही है।
परमानंद पारधी, वार्ड पंच
इनका कहना हैडॉक्टरों की कमी होने की जानकारी भोपाल में भी भेज दी गई है। लेकिन पूरे प्रदेश में डॉक्टरों की कमी के चलते परेशानी हो रही है।
डॉ.केके खोंसला, सीएमएचओ