दिव्यागों का दर्द नहीं समझ रहे बैंककर्मी-
बालाघाटPublished: Jun 14, 2018 12:48:52 pm
शहरी बैंकों में अमानवीय व्यवहार, रिर्जव बैंक की अधिसूचना का नहीं हो रहा पालन
दिव्यागों का दर्द नहीं समझ रहे बैंककर्मी-
कटंगी। शहर के बैंकों में दिव्यांगों का दर्द बैंक कर्मचारी नहीं समझ पा रहे हैं। वह भी तब जब रिर्जव बैंक ने एक अधिसूचना करीब एक साल पहले ही इस संबंध में जारी कर दी है। दरअसल, रिर्जव बैंक ने 70 साल से अधिक उम्र के वरिष्ठ नागरिकों, दृष्टि बाधित व्यक्तियों और दिव्यांगों को घर बैठे बैंकिंग सुविधाएं देने के निर्देश दिए हैं7 इस अधिसूचना में यह भी कहा गया था कि बैंकों को यह सेवा 31 दिसंबर तक शुरू करनी होगी। लेकिन शहर के किसी भी बैंक ने यह सुविधा शुरू नहीं की है। यहां बैंकों में दिव्यांगों के साथ अमानवीय व्यवहार किया जा रहा है। जिससे दिव्यांगजनों के परिजनों तथा दिव्यांगों में भारी रोष व्याप्त है। दरअसल, शहर के किसी भी बैंक में दिव्यांगों के लिए विशेष सुविधा नहीं है। इस कारण बैंक में आने वाले दिव्यांग परेशान हो रहे हैं। दिव्यांगों ने अपना दर्द सांझा करते हुए बताया कि केन्द्र एवं राज्य सरकार तो दिव्यांगों के लिए कई योजनाएं चला रही है। लेकिन नगर के किसी भी बैंक में उनके लिए अलग से कांउटर तथा बैठने के लिए चेयर नहीं है। उन्हें भी आम ग्राहकों की तरह घंटों कतार में खड़े रहना पड़ता है।
यह है रिजर्व बैंक के निर्देश
रिजर्व बैंक की अधिसूचना के अनुसार दिव्यांग के लिए नकदी, चेक या पैसे के लेनदेन की सुविधा बैंक कर्मचारियों को उनके निवास स्थान पर पहुंचा कर देना है। आरबीआई ने कहा कि कई बार देखा गया है कि बैंक शाखाओं में ऐसे लोगों को हतोत्साहित किया जाता है। इनकी परेशानी को देखते हुए ही कंेद्रीय बैंक ने बैंकों से ऐसे सभी ग्राहकों के लिए आधारभूत बैंकिंग सुविधाएं उनके घर तक पहुंचाने को कहा था। लेकिन का कोई भी बैंक इस पर अमल नहीं कर रहा है। बैंकों में सबसे बुरा हाल सेन्ट्रल बैंक ऑफ इंडिया शाखा कटंगी का है। यहां पर दिव्यांगों के साथ आम ग्राहकों के लिए बैठने की व्यवस्था तक नहीं है। ग्राहकों ने बताया कि उन्हें बैंक में जमीन पर बैठना पड़ता है। जिसमें काफी परेशानी होती है। गौरतलब हो कि इस शाखा का अभी हाल ही में जीर्णोद्वार हुआ है लेकिन ग्राहकों की सुविधा का ध्यान नहीं रखा गया है। बैंक कर्मचारियों के लिए वातानुकुलित (एसी) लगाई गई है। लेकिन ग्राहकों के बैठने के लिए एक कुर्सी मौजूद नहीं है।
नहीं कोई सुविधा
इधर, एसी में बैठने वाले बैंक प्रबंधक एवं कर्मचारी भी अपने ग्राहकों का दर्द नहीं समझ रहे है. जानकारी के मुताबिक कुछ ऐसे ही हाल स्टेंट बैंक की शाखा के भी है। यहां भी दिव्यांगों के लिए अलग से कोई सुविधा नहीं है। दिव्यांगजनों ने सरकार तथा बैंक के वरिष्ट अधिकारियों का ध्यानाकर्षण कराते हुए बैंकों में सुविधाएं मुहैया कराने की मांग रखी है।
यहां कर सकते हैं शिकायत
प्राप्त जानकारी अनुसार केन्द्रीय बैंकों को दिव्यांग तथा 70 वर्ष से अधिक उम्र के ग्राहकों को घर पहुंच कर जो सेवाएं देनी है, उनमें खाते में पैसा जमा करना, खाते से पैसा निकालना, डिमांड ड्राफ्ट की डिलीवरी, चेकबुक की डिलीवरी, केवाईसी दस्तावेज जमा कराना, जीवित होने का प्रमाणन जैसी सुविधाएं शामिल है। अगर बैंक इन ग्राहकों को यह सुविधाएं मुहैया नहीं कराती तो ऐसे ग्राहक बैंकिंग लोकपाल रिजर्व बैंक में अपनी लिखित शिकायत दर्ज कर कार्रवाई करवा सकते हैं।
इनका कहना है।
ग्राहकों के बैठने की व्यवस्था शीघ्र ही बनाने के प्रयास जारी है। हमारे बीसी गांवों में सेवाएं दे रहे हैं।
आनंद सोलंकी, शाखा प्रबंधंक सेंट्रल बैक कटंगी