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बालाघाट

देश की सरहद पार रह रहे अपने परिवार से मिलने पहुंचा पूर्व चीनी सैनिक

6 माह के वीजा पर तिरोड़ी पहुंचा पूर्व चीनी सैनिक वांग शी , वांग शी के साथ तिरोड़ी पहुंची चीनी मीडिया

बालाघाटSep 14, 2019 / 11:45 am

Bhaneshwar sakure

देश की सरहद पार रह रहे अपने परिवार से मिलने पहुंचा पूर्व चीनी सैनिक

देश की सरहद पार रह रहे अपने परिवार से मिलने पहुंचा पूर्व चीनी सैनिक

बालाघाट. इंतेहा हो गई इंतजार की…इस फिल्मी गाने को झूठलाते हुए आखिरकार पूर्व चीनी सैनिक वांग शी अपने परिवार से मिलने के लिए देश की सरहद पार कर तिरोड़ी पहुंच गया। वांग शी ६ माह के वीजा पर तिरोड़ी आया हुआ है। इसके पूर्व वह अपने परिवार से मिलने की तमन्ना लिए वीजा के लिए चीन में भारतीय दूतावास के महिनों चक्कर काटते रहा। अंतत: उसे ६ माह का वीजा मिलने के बाद शुक्रवार को वांग शी, चीनी मीडिया के साथ तिरोड़ी पहुंच गया। महिनों बाद बालाघाट के स्थित तिरोड़ी में स्थित परिवार से मिलने का गवाह न सिर्फ तिरोड़ी के लोग बने। बल्कि दो चीनी महिला पत्रकार ने भी इस नजारे को कैमरे में कैद किया। परिवार से दूर रहने और परिवार के सदस्यों की याद को लिए एक लंबा संघर्ष करके मिलन का क्या नजारा होता है, ये शब्दों में बया नहीं किया जा सकता। लेकिन शुक्रवार को वांग शी उर्फ रायबहादुर का दोपहर में पहुंचना और परिवार से मिलना भावनात्मक दृष्टिकोण से बेहद भावुक क्षण देखकर इसका अंदाजा लगाया जा सकता है। यहां लंबे इंतजार के बाद मिलने की खुशी और नम आंखे चीनी परिवार के लिए न केवल भावुक पल था। बल्कि तिरोड़ीवासियों के लिए भी दिलचस्प था।
जानकारी के अनुसार वांग शी वर्ष 1963 में भारत चीन युद्ध के दौरान युद्ध बंदी के तहत भारतीय सेना के द्वारा गिरफ्तार किए गए थे। जिन्हें जेल से रिहा होने के बाद बालाघाट जिले के तिरोड़ी में लाकर छोड़ दिया गया था। यहां वांग शी ने वर्ष 1970 के दशक में शादी करके अपना घर बसा लिया था। लेकिन वतन से दूर रहने की टिस इन चीनी सैनिक को वृद्धावस्था तक चुभते रही। मरने से पहले अपने वतन के लोगों से मिलने और वतन वापसी के लिए 53 साल संघर्ष करते रहे। जब 53 साल बाद भारत और चीन की सरकार के हस्तक्षेप और साझा प्रयास से वर्ष 2017 में वांग शी को उनके वतन चीन भेजने के लिए दो साल का मल्टी वीजा दिया गया था। चीन जाकर खुश हुए वांग शी की खुशी का ठीकाना नहीं था लेकिन कुछ दिनों बाद तिरोड़ी में रहने वाले परिवार के बगैर उनकी वतन वापसी की खुशी अधूरी लग रही थी। जिसके चलते वर्ष 2019 में वांग शी ने पुन: भारत में रहने वाले अपने परिवार से मिलने वीजा के लिए भारतीय दूतावास में आवेदन किया था। जिसके लिए उन्हें अपने बीजिंग स्थित भारतीय दूतावास पहुंचने 1200 किलोमीटर का सफर तय करना पड़ता था। इसके लिए भी वांग शी ने काफी संघर्ष किया। जिसके कारण उसे 2 सिंतबर 2019 को 6 माह का मल्टी वीजा जारी किया गया। इस वीजा के आधार पर वांग शी अब छह माह तक भारत में रह सकते है।
इनका कहना है
हमने सरकार से पांच साल के मल्टी वीजा की मांग की थी। जिससे उनके पिता चीन के पुस्तैनी परिवार और भारत के तिरोड़ी में निवासरत् उनका अपने परिवार के बीच कोई बंधन न रह सकें। लेकिन उन्हें महज छह माह का मल्टी वीजा जारी किया गया है।
-विष्णु वांग, पुत्र
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