हर वर्ष नहीं कराना होगा फिटनेस सर्टिफिकेट
परिवहन विभाग में नया सर्कुलर जल्द, नए वाहन के आठ वर्ष तक २-२ वर्ष के होंगे सर्टिफिकेट
हर वर्ष नहीं कराना होगा फिटनेस सर्टिफिकेट
लालबर्रा. वाहन मालिको खासकर यात्रि बस संचालको के लिए खुशी की खबर है। वाहन मालिको को शीघ्र ही हर वर्ष अपने वाहन के फिटनेस सर्टिफिकेट को लेकर माथा पच्ची व समय खराब होने की समस्या से मुक्ति मिलने वाली है। शासन मोटर व्हीकल एक्ट में कुछ बदलाव करने जा रही है। इसके बाद वाहन मालिको को ऐसी सुविधाएं मिलने लगेगी। एक्ट में परिवर्तन से कुछ और बदलाव होने की जानकारी भी परिवहन विभाग द्वारा बताई जा रही है। हालाकि अधिकारियों का कहना है कि इस तरह के केवल नोटिफिकेशन ही प्राप्त हुए है। वहीं पक्का सर्कुलर आना शेष है। इसके बाद पूरी स्थिति साफ हो जाएगी।
प्राप्त जानकारी के अनुसार केन्द्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने 12 जुलाई को मोटर व्हीकल एक्ट में संबधित बदलाव के लिए एक ड्राफ्ट नोटिफिकेशन जारी कर आपत्तियां और सुझाव मांगे थे। इसके बाद शासन ने सभी का निराकरण कराने के बाद हाल ही में फाइनल नोटिफिकेशन जारी करते हुए व्यवस्था को लागू किया है। नई व्यवस्था लागू होने के बाद वाहन मालिको को वाहन का हर साल फिटनेस नहीं कराना पड़ेगा। वहीं आठवा साल खत्म होने से पहले अगर फिटनेसा दोबारा कराया जाएगा तो वह दो साल के लिए वैध होगा। यानि 10 साल की आयु तक। केन्द्र शासन ने यह व्यवस्था पूरे देश में लागू करने के आदेश जारी किए हंै। प्रदेश भर में अब नए कमर्शियल वाहनो को आठ साल तक दो-दो साल के लिए फिटनेस सर्टिफिकेट दिया जाएगा। वहीं अगर कोई कमर्शियल वाहन कंपनी द्वारा ही बॉडी तैयार कर दिया जा रहा हो, तो उसे दो साल तक फिटनेस सर्टिफिकेट ही नहीं लेना होगा। वहीं आठ साल की आयु पुरी होने के बाद फिटनेस कराने पर एक साल का ही फिटनेस सर्टिफिकेट मिलेगा। वहीं उन्हीं नए वाहनों को दो साल तक फिटनेस से छूट मिलेगी, जिनकी बाडी कंपनी द्वारा निर्मित करके ही बेचे जाएंगे। अगर वाहन मालिक कंपनी से चेचिस लेकर वाहन की बाडी बनवाएगा तो उसे उसका फिटनेस टेस्ट कराना पड़ेगा। दूसरी ओर ट्रको को नेशनल परमिट के लिए जीपीएस और फास्टैग अनिवार्य होगा। मप्र के साथ ही जिले में भी जल्द ही सिस्टम में जरूरी बदलाव करते हुए इसे लागू किए जाने की बात अधिकारी कह रहे है।
सुविधा के साथ दुविधा भी
परिवहन विभाग से जुड़े विशेषज्ञों की माने तो वाहन की आयु के आठ साल तक दो साल के लिए फिटनेस सर्टिफिकेट दिए जाने से जहां वाहन मालिक को सुविधा मिलेगी, लेकिन यह अच्छा कदम नहीं है। कुछ जागरूकजनों का कहना है कि कमर्शियल वाहन का बहुत ज्यादा इस्तेमाल होता है, इसलिए इसके खराब होने की संभावना भी ज्यादा होती है। हर साल फिटनेस टेस्ट होने पर वाहन मालिक वाहन का फिटनेस टेस्ट से पहले पूरा मेंटेनेंस कराता है, अब यह प्रक्रिया दो साल में एक बार हो पाएगी। ऐसे में वाहन मालिक प्रतिवर्ष वाहन की फिटनेस कराने से परहेज करने लगेंगे।
फास्टैग जीपीएस आवश्यक
परिवहन विभाग के अनुसार नए एमव्ही एक्ट में ट्रक सहित इस तरह के वाहनों को नेशनल परमिट देने के लिए नई शर्ते जोड़ी गई है। इसके तहत नेशनल परमिट के लिए वाहन को अनिवार्य रूप से जीपीएस लगाना होगा। वाहन पर आगे और पीछे रिफ्लेक्टिव स्टिकर लगाना होगा। नई व्यवस्था में रोचक बदलाव भी किया गया है। शासन ने देश में चलने वाले नेशनल परमिट ट्रको के लिए ब्राउन कलर कि अनिवार्यता भी खत्म कर दी है। अब ट्रको पर ट्रक मालिक अपनी पसंद के रंग करा सकंेगें। जिससे सड़कों पर रंग-बिरंगे ट्रक नजर आएंगे।
इस मामले में जिला परिवहन अधिकारी आरएस चिकवा का कहना है कि नोटिफिकेशन के माध्यम से इस तरह की जानकारी तो मिली है। लेकिन विभागीय सर्कुलर नहीं आया है। सर्कुलर आते ही व्यवस्था को लागू कराया जाएगा।
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