दूसरी लहर की त्रासदी के बाद जिले में तैयार हुआ पांच ऑक्सीजन प्लांट
बालाघाटPublished: Jan 18, 2022 10:02:53 pm
ऑक्सीजन कंस्ट्रेटर का भी तैयार है बेकअपकोरोना संक्रमण की तीसरी लहर से लडऩे प्रशासन मुस्तैद
दूसरी लहर की त्रासदी के बाद जिले में तैयार हुआ पांच ऑक्सीजन प्लांट
बालाघाट. देश-प्रदेश में कोरोना का संक्रमण बढ़ते जा रहा है। जिले में भी कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या दिनोंदिन बढ़ते जा रही है। ऐसे में कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर में ऑक्सीजन की कमी से हुई त्रासदी को झेलते हुए प्रशासन और जनप्रतिनिधियों ने अब पूरी तैयार कर ली है। जिले के अलग-अलग अस्पतालों में पांच ऑक्सीजन प्लांट तैयार हो गए हैं। जबकि करीब नौ सैकड़ा कंस्ट्रेटर मशीन का बेकअप भी तैयार है। इसके अलावा ऑक्सीजन सिलेंडर और ऑक्सीजन सप्लाई बेड की भी पूरी व्यवस्था कर ली गई है। ताकि विपरित परिस्थिति में किसी भी प्रकार की कोई समस्या न हो। हालांकि, अभी तक जितने भी कोरोना संक्रमित मरीज आए हैं, उनमें किसी में भी गंभीर लक्ष्ण नहीं दिखाई दिए हैं। सभी मरीजों का होम आइसोलेशन में उपचार चल रहा है।
जानकारी के अनुसार जिला अस्पताल में दो, वारासिवनी में एक और लांजी के सिविल अस्पताल में दो ऑक्सीजन प्लांट तैयार किया गया है। जिला अस्पताल में एक हजार व ५७० एलपीएम क्षमता के दो प्लांट हैं। वहीं लांजी के सिविल अस्पताल में ५०० और १६० एलपीएम का ऑक्सीजन प्लांट हैं। इस अस्पताल में एक शासकीय तौर पर तो दूसरा निजी जनसहयोग से लगाया गया ऑक्सीजन प्लांट हैं। इसी तरह वारासिवनी के सिविल अस्पताल में दो सौ एलपीएम क्षमता का ऑक्सीजन प्लांट हैं। इसी तरह ऑक्सीजन की सप्लाई के लिए ऑक्सीजन युक्त ६ सैकड़ा से अधिक बेड हैं। वहीं पांच लीटर क्षमता के करीब तीन सैकड़ा, दस लीटर क्षमता के करीब दो सैकड़ा ऑक्सीजन कंस्ट्रेटर का बेकअप भी तैयार है। इसके अलावा पीएम केयर से भी अतिरिक्त करीब १७५ कंस्ट्रेटर उपलब्ध है। वहीं डी टाइप ऑक्सीजन सिलेंडर पांच सौ और बी टाइप ४०० ऑक्सीजन सिलेंडर भी सरकारी अस्पतालों में उपलब्ध है। इस तरह से प्रशासन ने कोरोना संक्रमण की तीसरी लहर से लडऩे के लिए तैयारी पूरी की है।
दूसरी लहर में दूसरे राज्यों, जिलों से पहुंची थी ऑक्सीजन
कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर के दौरान जिले में ऑक्सीजन की बेजा कमी हो गई थी। जिसके चलते प्रशासन को दूसरे राज्यों और जिलों से ऑक्सीजन के लिए मदद लेनी पड़ी थी। हालांकि, उस समय सभी राज्यों में व जिलों में ऑक्सीजन की आवश्यकता थी। इस त्रासदी से सबक लेने के बाद प्रशासन ने ऑक्सीजन की कमी को दूर करने का प्रयास किया। उल्लेखनीय है कि दूसरी लहर के दौरान जिला अस्पताल और कोविड आइसीयू में करीब २५० सिलेंडर ही मौजूद थे। मरीजों की बढ़ती संख्या के हिसाब से रोजाना ३०-३५ बड़े और जम्बों सिलेंडरों की आवश्यकता पड़ रही थी, जिसकी पूर्ति नहीं होने पाने के कारण अनेक मरीजों को समय पर ऑक्सीजन उपलब्ध नहीं हो पाई थी। लेकिन अब ऐसी स्थिति नहीं है।