जान-जोखिम में डालकर जा रहे ‘पाठशाला
बालाघाटPublished: Jul 14, 2018 08:42:29 pm
कोसुंबा-सुकली नाले में थोड़ी बारिश के बाद बढ़ा जलस्तर-
जान-जोखिम में डालकर जा रहे ‘पाठशाला
कटंगी। मुख्यालय से 30 किमी. दूर सुकली गांव के करीब 30 विद्यार्थी इन दिनों अपनी जान जोखिम में डालकर पढ़ाई करने के लिए कोसुम्बा जा रहे हैं। इन विद्यार्थियों को रोज घुटनों तक पानी से भरे एक नाले को पार करना पड़ रहा है। यह तब हो रहा है जब सत्ता में बैठे नेता विकास के गुणगान किए जा रहे हैं। दरअसल, वीआरएस कंपनी की लापरवाही तथा प्रशासनिक अधिकारियों और नेताओं की उदासीनता के कारण भोली-भाली ग्रामीण जनता इस समस्या का सामना कर रही है।
जैसा कि वीआरएस कंपनी को सीतापठोर से गोरेघाट तक सड़क का निर्माण करना है। लेकिन यह निर्माण काफी कच्छप गति से चल रहा है। इसी मार्ग पर सुकली-कोसुम्बा के बीच वह नाला है, जिसमें पुलिया अब तक बन जानी थी। लेकिन नहीं बनी है और आवागमन प्रभावित हो रहा है। राहगीर, विद्यार्थी सभी खतरा मोल लेकर नाला पार कर रहे हैं। स्थानीय ग्रामीणों, विद्यार्थियों ने बताया कि कोसुम्बा जाने के लिए यही एक मात्र मुख्य मार्ग है, अगर वह इस नाले को पार नहीं करते तो कोसुम्बा से संपर्क नहीं हो पाएगा। बच्चे स्कूल नहीं जा पाएंगें।
जोखिम में डाल रहे जान
पठार संघर्ष समिति अध्यक्ष दीपक पुष्पतोड़े ने बताया कि सुकली-कोसुम्बा के बीच नाले पर समय रहते पुलिया निर्माण कार्य शुरू नहीं किया गया और ना ही पुलिया निर्माण कार्य शुरू करने के पहले राहगीरों तथा विद्यार्थियों के आवागमन के लिए ठोस बंदोबस्त किए गए हैं। नाले के पास जो अस्थाई मार्ग बनाया गया था, वह भी पानी के बहाव में बह गया। उन्होंने बताया कि अब थोड़ी सी बारिश में नाले पर उफान आ जाता है। ग्रामीण तथा स्कूली छात्र-छात्राएं घुटनों तक पानी रहने पर भी मजबूरी में नाला पार करते हैं। जिससे हमेशा उनकी जान पर खतरा बना रहता है। उन्होंने इस संवेदनशील मामले पर शासन-प्रशासन के मौन रहने पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि ऐसा लगने लगा है कि मानो पूरा सिस्टम किसी अनहोनी का इंतजार कर रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि अगर प्रशासन में बैठे अधिकारी तथा सत्ता में बैठे नेता ग्रामीणों को दु:ख दर्द समझते तथा उनका भला चाहते तो तत्काल व्यवस्था में सुधार किया जा सकता है और पुलिया के निर्माण में गति लाई जा सकती है।
एक दर्जन गांव प्रभावित
ग्रामीणों के अनुसार पूर्व में ही शासन-प्रशासन का ध्यानाकर्षण कराते हुए शीघ्र ही तेजी से सड़क निर्माण एवं पुल निर्माण कराने की मांग कर चुके हैं। लेकिन कोई भी ग्रामीणों का दर्द नहीं समझ रहा है। बहरहाल, पुलिया के निर्माण में लेतलतीफी से करीब एक दर्जन गांव के लोग परेशान हो रहे हैं। अगर, समय पर इनका दर्द नहीं समझा गया तो यह जनता आंदोलन भी कर सकती है।