अच्छे संस्कारों से ही अच्छी संस्कृति एवं अच्छे समाज का होता है निर्माण
बालाघाटPublished: Jan 21, 2020 04:00:06 pm
धर वाकणकर उपाख्य हरिभाऊ वाकणकर जन्म शताब्दी वर्ष के उपलक्ष्य में संस्कार कवि सम्मेलन एवं उद्बोधन कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
अच्छे संस्कारों से ही अच्छी संस्कृति एवं अच्छे समाज का होता है निर्माण
वारासिवनी. स्थानीय सरस्वती शिशु मंदिर के सभागृह में संस्कार भारती संस्था बालाघाट, वारासिवनी के संयुक्त तत्वावधान में पद्मश्री डॉ. विष्णु श्रीधर वाकणकर उपाख्य हरिभाऊ वाकणकर जन्म शताब्दी वर्ष के उपलक्ष्य में संस्कार कवि सम्मेलन एवं उद्बोधन कार्यक्रम का आयोजन किया गया। उद्घाटन जिला संघ चालक वैभव कश्यप के करकमलों से दीप प्रज्ज्वलन कर किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता पूर्व भाजपा जिला अध्यक्ष रमेश रंगलानी ने की एवं मुख्य वक्ता के रूप में जबलपुर से पधारे राकेश पाठक संगठन मंत्री संस्कार भारती ने वाकणकर के संबंध में विस्तार पूर्वक जानकारी दी। कार्यक्रम का संचालन करते हुए संस्कार भारती के प्रांतीय उपाध्यक्ष प्रणय श्रीवास्तव “अश्क” ने बताया कि संस्कार भारती के द्वारा मानव जीवन में अच्छे संस्कारों के बीजारोपण हेतु विभिन्न प्रकार के कार्यक्रम वर्ष 1981 से आयोजित किए जा रहे हैं। इसके फलस्वरुप अच्छे संस्कारों के कारण अच्छी संस्कृति का निर्माण होता है एवं अच्छी संस्कृति से अच्छे समाज का निर्माण होता है। सारे विश्व में भारतीय संस्कृति के माध्यम से विश्व बंधुत्व की भावना को जागृत करने का कार्य पद्मश्री डॉ. विष्णु श्रीधर वाकणकर द्वारा किया गया। साथ ही भोपाल के समीप स्थित भीम बैठका नामक विश्व प्रसिद्ध स्थल एवं सरस्वती नदी के उद्गम स्थल की खोज की गई। आज यह गौरव का विषय है कि भारतीय संस्कृति एवं संस्कार के अनुरुप भारत सरकार द्वारा भी लगातार एक स्वाभिमान भारत का निर्माण किया जा रहा है।
कवि सम्मेलन में संस्कार से ओत प्रोत रचनाओं का पाठ कवि राजेन्द्र शुक्ल, अलका चौधरी, प्रशांत कटरे, हलचल बालाघाटी, वसंत विराट, गोपाल दास सरल, अजय परिमल, रवि नवानी एवं प्रणय श्रीवास्तव द्वारा किया गया। इस अवसर पर सभी अतिथियों का शाल श्रीफल एवं कवियों को डायरी पेन देकर सम्मान किया गया। कार्यक्रम में करीब 400 छात्र-छात्राए व करीब 100 प्रबुद्ध श्रोतागण उपस्थित रहे। पूरे आयोजन में संदीप रुसिया, पंचम हनवत, हरिओम दुबे, विजय वाहिले, अशोक चौबे, संजय हेडाऊ, भोलानाथ नंदी, लोकनाथ गढेवाल, आरके सुनेरी, नितेन्द्र श्रीवास्तव, एके असाटी, विजयवार एवं शालेय शिक्षक-शिक्षिकाओं का एवं प्रभारी प्राचार्य वैष्णव का सहयोग सराहनीय रहा।