script69 रेत खदानों से शासन को मिलेगा 56 करोड़ रुपए से अधिक राजस्व | Government will get more than 56 crores revenue from 69 sand mines | Patrika News
बालाघाट

69 रेत खदानों से शासन को मिलेगा 56 करोड़ रुपए से अधिक राजस्व

330 हेक्टेयर खदान में 4508941 घनमीटर रेत का होगा खनन, रेत खदानों की ऑनलाइन नीलामी की प्रक्रिया शुरू

बालाघाटOct 13, 2019 / 09:11 pm

Bhaneshwar sakure

69 रेत खदानों से शासन को मिलेगा 56 करोड़ रुपए से अधिक राजस्व

69 रेत खदानों से शासन को मिलेगा 56 करोड़ रुपए से अधिक राजस्व

बालाघाट. प्रदेश में रेत नियम-2019 के तहत जिले में ६९ रेत खदानों के लिए नीलामी प्रक्रिया पूरी की जाएगी। इन ६९ रेत खदानों में पूर्व से घोषित और नए प्रस्तावित खदाने शामिल है। इन खदानों से शासन को ५६ करोड़ रुपए का राजस्व मिलेगा। हालांकि, यह विभाग द्वारा आंकलित राशि है। इन खदानों से अधिक राशि मिलने की संभावना जताई जा रही है। ये सभी खदानों अलग-अलग नदियों में ३३० हेक्टेयर भूमि पर संचालित होगी, जिसमें से ४५०८९४१ घनमीटर रेत का खनन किया जा सकेगा। मौजूदा समय में इन रेत खदानों की नीलामी की प्रक्रिया समूहवार की जा रही है।
जानकारी के अनुसार जिले में ३२ रेत खदानें पूर्व से ही स्वीकृत थी। जबकि ३७ नई खदानें चिन्हित की गई है। ये सभी चिन्हित नई खदाने अलग-अलग तहसीलों में अलग-अलग स्थानों में शामिल है। जिसमें मानकुंवर, वैनगंगा, बंजर, चनई, चंदन, देव, बाघ, बावनथड़ी और सर्राठी नदी में नई रेत खदानें प्रस्तावित की गई है। हालांकि, इन नदियों में पूर्व से ही अन्य स्थानों पर रेत खदाने पूर्व से घोषित है। मौजूदा समय में मानसून सत्र के चलते रेत का खनन नहीं हो पा रहा है। लेकिन वैधानिक रुप से स्वीकृत रेत खदानों में एक-दो दिनों में रेत के खनन का कार्य शुरू हो जाएगा। इधर, रेत नहीं मिलने से निर्माण कार्य काफी प्रभावित हो रहे है। खासतौर पर आवास योजना के तहत होने वाले निर्माण कार्यों पर इसका प्रभाव पड़ रहा है।
ये है नई प्रस्तावित खदानें
विभाग से मिली जानकारी के अनुसार जिले में बालाघाट तहसील के अंतर्गत बरखेड़ा, मगरदर्रा, धापेवाड़ा, रोशना, बरखो, ठाकुरटोला, भालेवाड़ा, कुकड़ा, परसवाड़ा क्षेत्र में खैरलांजी, सुरवाही, बैहर क्षेत्र में मंडवा, वारासिवनी क्षेत्र में बासी, सिवनी, सांवगी, चंदौरी, जागपुर, खापा, कौलीवाड़ा, किरनापुर क्षेत्र केशा, पानगांव, खैरलांजी क्षेत्र में घोटी, चीचगांव, टेमनी, गुनई, लावनी, बकोड़ी, कन्हडग़ांव, कटंगी क्षेत्र में बाहकल, कलगांव, तिरोड़ी क्षेत्र में खड़पडिय़ा, हरदोली, लालबर्रा क्षेत्र में ददिया, कौडिय़ा, छिंदलई, साल्हे, धपेरा रेत घाट शामिल है।
ये हैं पूर्व से घोषित खदानें
बालाघाट क्षेत्र में भटेरा, बैहर में लहंगाकन्हार,वारासिवनी क्षेत्र में जागपुर, सिंगोड़ी, बुदबुदा, सरंडी, कटंगटोला, रामपायली, दिनी, पूनी, मेंहदीवाड़ा, गट्टापायली, किरनापुर क्षेत्र में बिनोरा, सेवती, कड़कना, मुंडेसर्रा, लांजी क्षेत्र में कोचेवाही, परसोड़ी, खैरलांजी क्षेत्र में भोरगढ़, खैरी, मोवाड़, गजपुर, सावरी, चिचोली, अतरी, चुटिया, टुय्यापार, कटंगी में जराहमोहगांव, तिरोड़ी क्षेत्र में बम्हनी, बोनकट्टा, कोडवी में रेत खदाने पूर्व में ही घोषित हो चुकी है। इनमें से अधिकांश खदानों में वैधानिक अनुमति के बाद रेत का खनन व परिवहन भी किया गया है।
ग्राम पंचायतों को रेत खदान चालू रखने के निर्देश
रेत खदानों की शुरू की गई निविदा प्रक्रिया की अंतिम तिथि 8 नवम्बर निर्धारित की गई है। निविदाओं के बाद सफल उच्चतम बोली के निविदाकार को अपने जिले में रेत खदानों के संचालन की जिम्मेदारी दी जाएगी। राज्य शासन ने नई नीति के अनुसार जिले में रेत खदानों के संचालन के लिए सभी वैधानिक अनुमतियां प्राप्त करने में लगने वाले समय को देखते हुए निजी भूमि पर उपलब्ध रेत खदानों और ग्राम पंचायतों को हस्तांतरित रेत खदानों को पूर्व की भांति निरंतर संचालित रखे जाने का निर्णय लिया है। जिन निजी भूमि व ग्राम पंचायतों की रेत खदानों को मानसून अवधि में प्रतिबंध लगने के पूर्व 30 जून के पूर्व पर्यावरणीय स्वीकृति प्राप्त हो गई थी, ऐसी सभी खदानों को तत्काल संचालित करने के प्रस्ताव भेजने के निर्देश प्रमुख सचिव खनिज साधन विभाग नीरज मंडलोई ने जिला कलेक्टर्स को दिए हैं। वहीं खनिज साधन मंत्री प्रदीप जायसवाल ने बताया कि प्रदेश में जन सामान्य को रेत प्राप्त करने में दिक्कत न हो, इसे ध्यान में रखते हुए पर्यावरणीय स्वीकृति प्राप्त निजी भूमि की रेत खदानों और ग्राम पंचायतों को हस्तांतरित रेत खदानों को चालू रखे जाने का निर्णय लिया गया है।
इनका कहना है
जिले में अलग-अलग स्थानों पर पूर्व से घोषित और नए प्रस्तावित रेत खदानों की नीलामी की जाएगी। नीलामी की प्रक्रिया ऑनलाइन की जा रही है। नए ठेकेदारों द्वारा पूरी वैधानिक अनुमति लेने के बाद ही खनन का कार्य कर सकेंगे।
-सोहन सलामे, जिला खनिज अधिकारी, बालाघाट

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