जियो अशफाक जियो का शानदार मंचन
बालाघाटPublished: Feb 25, 2020 03:00:16 pm
शहर के नूतन कला निकेतन में 22 फरवरी को स्वराज संस्थान (संस्कृति विभाग) के सौजन्य से स्वाधीनता संघर्ष एवं जनचेतना पर एकाग्र जनयोद्धा नाट्य समारोह का आयोजन किया गाय।
जियो अशफाक जियो का शानदार मंचन
बालाघाट. शहर के नूतन कला निकेतन में 22 फरवरी को स्वराज संस्थान (संस्कृति विभाग) के सौजन्य से स्वाधीनता संघर्ष एवं जनचेतना पर एकाग्र जनयोद्धा नाट्य समारोह का आयोजन किया गाय। इसके अंतर्गत नाटक जियो अशफाक जियो का मंचन संजय गर्ग के निर्देशन में लोकनाट्य संस्था जबलपुर के कलाकारों द्वारा किया गया। जिसमें रंगकर्मी दविंदर सिंह ग्रोवर का विशेष सहयोग रहा।
नाटक जियो अशफाक जियो ऐसे व्यक्ति के चरित्र-चित्रण हैं, जिसके हृदय और मानस पटल में मॉ से अधिक उस मॉ के लिए सम्मान, भावना भरी हुई हैं, जिसकी माटी में वह जन्म लिया हैं। अशफाक को गुरू भी ऐसे मिले जो जाति-धर्म के बंधन से उपर उठकर इंसानियत के बारे में सोचते है।
दर्शकों द्वारा नाटक की प्रशंसा की गई। नाटक के माध्यम से शहीद अशफाक उल्ला की स्वतंत्रता संग्राम में क्रांतिकारी भूमिका निभाते हुए हंसते-हंसते फांसी के फंदे पर झूले गए। जनयोद्धा नाट्य समारोह के माध्यम से ऐसे शहीदों की भूमिका पर प्रकाश डाला जा रहा हैं, जिनकी स्मृति जनमानस के स्मृति पटल से धुंधली हो गई हैं। नाटक जियो अशफाक जियो के निर्देशन, अभिनय प्रकाश एवं संगीत सभी पक्ष सशक्त रहे। नाटक के अंत में अशफाक उल्ला सम्मान से सम्मानित बालाघाट की समाजसेवी आयोग मित्र फिरोजा खान द्वारा नाटक के निर्देशक संजय गर्ग का सम्मान निकेतन का प्रतीक चिन्ह देकर किया गया। निकेतन के अध्यक्ष रूप बनवाले द्वारा कार्यक्रम पर प्रकाश डालते हुए आभार व्यक्त किया गया। कार्यक्रम का संचालन निकेतन के संस्कृति विभाग मंत्री अमिता गुप्ता द्वारा किया गया।
दर्शक उस समय मंत्र मुग्ध भाव विहल हो गए, जब अशफाक केसरिया बाना सर पे बांध कर फासी के फंदे पर झूलने के लिए खड़े होते हैं, और नाटक के दृश्य में उनका वह अभिनय जहां पवन बहना भूल गई, चिडिय़ों ने चहकना भूल गया, और नेपथ्य में अशफाक का जनाजा कब्रस्तान पर रखा जाता हैं, हम ऐसे अमर शहीद को श्रृद्धांजली अर्पित करते हैं।