scriptशहर में निर्मित हो रही अवैध कॉलोनिया | Illegal colonia being built in the city | Patrika News

शहर में निर्मित हो रही अवैध कॉलोनिया

locationबालाघाटPublished: Mar 04, 2021 03:19:58 pm

Submitted by:

mukesh yadav

प्लॉटों की बिना तहसील में रजिस्ट्री कराए हो रही खरीदी-बिक्री

जिला मुख्यालय हो या फिर ब्लॉक मुख्यालय सभी जगह अवैध कॉलोनियों बनकर तैयार हो रही है। कार्रवाई के नाम पर सम्बंधित विभाग केवल खानापूर्ति करता है।

जिला मुख्यालय हो या फिर ब्लॉक मुख्यालय सभी जगह अवैध कॉलोनियों बनकर तैयार हो रही है। कार्रवाई के नाम पर सम्बंधित विभाग केवल खानापूर्ति करता है।

बालाघाट/कटंगी। शहर में अवैध कॉलोनियों के निर्माण का धंधा फिर पनपने लगा है। शहर में कई जगह अवैध तरीके से कॉलोनियां विकसित की जा रही हैं। भूमाफियाओं का सिंडिकेट लोगों को गुमराह कर प्लाटों की बिक्री कर रहा है। जिससे ना सिर्फ खरीददार को भी भविष्य में कठिनाईयों का सामना करना पड़ सकता है। बल्कि मौजूदा वक्त में शासन को लाखों रुपए के राजस्व की क्षति हो रही है। वहीं भूमाफिया अधिकारियों को चंद रुपए की रिश्वत देकर मालामाल हो रहे हैं। भूमाफियाओं का सिंडिकेट इन दिनों शहर के उपनगरीय क्षेत्र अर्जुननाला, पाथरवाड़ा रोड, नट्टीटोला, मुंदीवाड़ा रोड, कतरकना रोड़, श्मशानघाट रोड, छतेरा रोड सहित अन्य स्थानों पर करीब लगभग 50 अवैध कॉलोनी विकसित कर रहे हैं और भूखंड की बिक्री भी शुरू कर दी गई है। मगर, जिम्मेदार अफसर कोई कार्रवाई नहीं कर रहे हैं। जबकि यह कॉलोनियां अफसरों के नाक के नीचे तैयार हो रही है। गौरतलब हो कि पहले से ही नगर में करीब आधा दर्जन से अधिक अवैध कॉलोनियां है। जिन्होंने गाइडलाइन का पालन नहीं किया। इस कारण उनके वैधीकरण का मामला अटका हुआ है। सबसे चौकानें वाली बात तो यह है कि राज्य सरकार लगातार भूमाफियाओं और अवैध कालोनियों का निर्माण करने वाले लोगों के खिलाफ कार्रवाई करने के आदेश दे रही है, वहीं दूसरी तरह कटंगी में बेतहाश अवैध कालोनियां तैयार की जा रही है।
जानकारी के अनुसार कॉलोनी का निमार्ण करने के लिए सरकार ने कुछ गाइडलाइन बनाई है, जिसमें प्रमुख रुप से कॉलोनी को विकसित करने के लिए संचालनालय नगर तथा ग्राम निवेश (टीएनसीपी) से विकास अनुज्ञा अनुमति लेनी होती है। इसके बाद इसी अनुज्ञा के आधार पर नगर निकाय से भी अनुमति लेकर नक्शा पास कराना होता है। वहीं जिस कॉलोनी का विकसित किया जाता है, उसमें कॉलोनाइजर को बिजली, पानी, सड़क आदि विकास कार्य करने होते हंै। लेकिन कटंगी में विकसित की गई कॉलोनियों की हकीकत तो यह है कि इनमें यह तमाम बुनियादी सुविधाएं नदारद है। यह सभी सुविधाएं प्रदान करने के बाद कॉलोनाइजर को इसकी जानकारी नगर परिषद में देनी होती है। वहीं खुली जमीन भी छोडऩी पड़ती है इसके साथ ही कमजोर और निम्म आय वर्ग के लिए भी जमीन आरक्षित करनी पड़ती है। साथ ही विकास शुल्क जमा करना होता है। लेकिन कटंगी में भूमाफियाओं का सिंडिकेट कथित कॉलोनाइजर के द्वारा इन नियमों का पालन नहीं किया जा रहा है।
गौरतलब हो कि भूमाफियाओं का सिंडिकेट कॉलोनी को तैयार करने के लिए शहर यानि नगर परिषद की सीमा से सटी कृषि भूमि का कॉलोनाइजर सबसे पहले चयन करते हैं। इसके बाद भूमि का डार्यवर्सन कराया जाता है (कई बिना डार्यवर्सन के ही) फिर कृषि भूमि को प्लाटों में बांटा जाता है. कॉलोनी में छोटी-छोटी सड़कें बना दी जाती है और प्लाटों की मार्केटिंग शुरू कर दी जाती है। प्लाटों की बिना तहसील से रजिस्ट्री कराए बिक्री शुरू हो जाती है, लोग जब रजिस्ट्री की बात करते हैं तो कॉलोनाइजर टालमटोल करते रहते हैं। फिर जैसे-जैसे समय गुजरता है, अवैध कॉलोनियों में प्लाट एक से दूसरे, दूसरे से तीसरे को बिकते रहते हैं। यानि जमीन का मालिक एक ही व्यक्ति बने रहता है। तहसील में प्रापर्टी ट्रांसफर कराने की कालोनाइजर जरूरत ही नहीं समझते। ऐसे में हर बार सरकार को राजस्व की हानि होती है।
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