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बालाघाट

ज्वेलर्स ने दान की संपत्ति, वैराग्य जीवन की चुनी राह

दीक्षार्थी परिवार को जैन समाज ने दी विदाई22 मई को जयपुर में लेंगे दीक्षा

बालाघाटMay 17, 2022 / 10:28 pm

Bhaneshwar sakure

ज्वेलर्स ने दान की संपत्ति, वैराग्य जीवन की चुनी राह

ज्वेलर्स ने दान की संपत्ति, वैराग्य जीवन की चुनी राह


बालाघाट. नगर के ज्वेलर्स राकेश सुराना ने न केवल करोड़ों रुपए की संपत्ति दान की। बल्कि परिवार सहित भौतिक सुख-सुविधाओं का त्याग कर वैराग्य जीवन की राह चुन ली है। 22 मई को दीक्षार्थी परिवार राकेश सुराना (40), उनकी धर्मपत्नी लीना सुराना (36) और 11 वर्षीय पुत्र अमय सुराना जयपुर में दीक्षा लेंगे। 17 मई को जैन समाज द्वारा इस दीक्षार्थी परिवार को विदाई दी गई। वैराग्य जीवन की ओर जाने से पहले दीक्षार्थी सुराना परिवार ने करीब 11 करोड़ रुपए की संपत्ति गौशाला और धार्मिक संस्थाओं को दान कर दी है।
इस दीक्षार्थी परिवार के दीक्षा लेने के पूर्व 17 मई को जैन समाज ने शोभायात्रा निकालकर उन्हें विदाई दी। वैसे इस परिवार के अभिनंदन के लिए संयम शौर्य उत्सव का आयोजन 16 मई से ही प्रारंभ हो गया है। जिसमें 16 मई को स्थानीय लॉन में उनका अभिनंदन किया गया। मंगलवार की सुबह करीब सवा सात से सवा आठ बजे तक श्री पाŸवनाथ भवन में धार्मिक कार्यक्रम किया गया। काली पुतली चौक के समीप अहिंसा द्वार से वरघोड़ा निकाला गया। कृषि उपज मंडी इतजवारी गंज में दीक्षार्थी परिवार का साधर्मी वात्सल्य कराया गया। वहीं 18 मई को सुबह 9 बजे पाŸवनाथ भवन में अष्टोत्तरी महापूजन होगा। वहीं 19 मई को सुबह 6 बजे संसार से संयम की ओर कदम बढ़ाने के लिए मुमुक्ष राकेश सुराना, मुमुक्ष लीना और मुमुझ अमय जयपुर के लिए रवाना हो जाएंगे। जो 22 मई को जयपुर में दीक्षा लेंगे।
वर्ष 2015 से परिवर्तित हुआ ह्द्य
दीक्षार्थी राकेश सुराना ने बताया कि अध्यात्म योगी गुरुदेव महेन्द्र सागर महाराज का बालाघाट में चौमासा हुआ था। इस दौरान उनके विचारों, बातों को पूरी तन्मयता से सूना इसके बाद उसे आत्मसात करने का निर्णय लिया। उन्होंने बताया कि संसार की भौतिक सुख-सुविधाएं नश्वर है। जो कमाया है उसे यहीं पर छोड़कर जान है। मानव जीवन बहुत दुर्लभता से मिलता है, पुण्य संचय किया तब मानव तन पाया। इस मानव तन का उपयोग केवल भौतिक सुख-सुविधाओं में न करते हुए मानव जीवन कल्याण और मोक्ष प्राप्ती के लिए करना चाहिए। राकेश सुराना की पत्नी लीना सुराना ने बताया कि जीवन में सब कुछ मिलने के बाद भी शांति की कमी थी। इसे खोजने का प्रयास किया गया। तब पता चला की शांति कर्म करके या मोक्ष के मार्ग पर चलकर ही मिल सकती है। सुख अपने ही भीतर होता है, बशर्त उसने खोजने की जरुरत होती है। इसी सुख को प्राप्त करने के लिए संयम की ओर जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि मौजूदा समय में आधुनिक शिक्षा की ओर बहुत भाग रहे हैं। बच्चों को आधुनिक शिक्षा के साथ-साथ नैतिक शिक्षा भी देनी चाहिए।

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