बालाघाट

कदम संस्था का पौध रोपण कार्यक्रम एक जुलाई को

शहर के मोती गार्डन में होगा पौध रोपण कार्य

बालाघाटJun 29, 2018 / 09:39 pm

mukesh yadav

कदम संस्था का पौध रोपण कार्यक्रम एक जुलाई को

बालाघाट. पर्यावरण संरक्षण और पौधा रोपण के महत्व को ध्यान में रखते हुए कुछ जागरुक जनों द्वारा एक कदम संस्था का गठन जबलपुर जिले से किया गया है। जिनके द्वारा पिछले २४ वर्षो से विभिन्न जिलों में ठीक सुबह १० बजे पौध रोपण किया जाता है। इसी कड़ी में कदम संस्था के संस्थापक सदस्यों का नगर आगमन होने जा रहा है। जिनके द्वारा शहर के मोती नगर स्थित उद्यान में वृहद स्तर पर पौध रोपण किया जाएगा। इस संबंध में शुक्रवार को एक प्रेसवार्ता कर जानकारी दी गई। कार्यक्रम एक जुलाई को सुबह ९.३० बजे से शुरू किया जाएगा। जिसमें कदम संस्था जबलपुर के संस्थापक सदस्य योगेश गनोरे, वरिष्ठ संरक्षक राजीव चतुर्वेदी, रेणु चतुर्वेदी, पौधा रोपण प्रभारी सीमा चतुर्वेदी एवं वरिष्ठ कदम मित्र एसके राव शहर वासियों के साथ पौधा रोपण करेंगेू। पर्यावरण के प्रति इस पुनीत कार्य के विगत 24 वर्षो के अनुभव को सांझा करेंगे।
इस अवसर पर डॉ अभय लोकरे, डॉ अर्चना लोकरे, डॉ संजय शुक्ला, डॉ अर्चना शुक्ला, डॉ आरके पड्या, डॉ पीके पाराशर, डॉ अंकित असाटी, अजय सोनी, चीनू जैन, डॉ गोविंद सिरसाठे, संध्या सिरसाठे, प्रवीण बिलावर, तपेश पटले, पप्पा भाई, राजेन्द्र साकरे, सुमित मंगलानी, संजय लालवानी, संजय रंगलानी, विशाल रंगलानी, सतीश छुटवानी आदि ने जिले की सभी सामाजिक संस्थाओं के प्रतिनिधियों से उपस्थित की अपील की है।
ज्ञात हो कि कदम संस्था की स्थापना 20 जनवरी 1995 को जबलपुर में हुई थी। जो अब तक लगभग 24 से अधिक वर्षो की यात्रा पूर्ण कर चुकी है। कदम संस्था के द्वारा एक विचार और विश्वास के साथ इस अभियान की शुरुआत की गई थी। कदम संस्था जबलपुर के द्वारा दैनिक पौधा रोपण के अंतर्गत प्रतिदिन ठीक सुबह 10 बजे पौध रोपण किया जाता है। कदम संस्था के इन अथक प्रयासों से आज संस्था का नाम एवं कार्यो को लिम्का बुक ऑफ रिकॉड्र्स द्वारा मान्यता प्राप्त है एवं संस्था को प्रतिष्ठित माजा कोने सोशल एक्टिविस्ट पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। आज कदम संस्था की सबसे महत्वपूर्ण उपलब्धि पर्यावरणीय लाभ और सामाजिक लाभ के संदर्भ में निर्मित ठोस प्रभाव एवं लोगों की पर्यावरण के प्रति जागरूकता है। जिससे आज देश के अनेक स्थानों पर लोग कदम संस्था से जुड़ रहे हैं और पर्यावरण मित्र बनते जा रहे हंै।
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