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बीते 7 साल, सुविधाओं का मलाल

locationबालाघाटPublished: Jun 02, 2019 07:58:25 pm

Submitted by:

mukesh yadav

कटंगी को अनुविभाग बने 7 साल पूरे, न स्वास्थ्य सेवाएं सुधरी, न रोजगार के खुले अवसर

samasya

बीते 7 साल, सुविधाओं का मलाल

कटंगी। कटंगी को तहसील से अनुविभाग बने पूरे 7 साल गुजर चुके है। लेकिन क्षेत्र की जनता को बेहतर सुविधाएं आज भी मुहैया नहीं हो पा रही है। जनप्रतिनिधियों और प्रशासन की घोर उपेक्षा की वजह से जनता बेहतर सुविधाओं के लिए तरस रही है। शिक्षा-स्वास्थ्य और रोजगार का भारी अभाव है। स्वास्थ्य सुविधाओं में बीते 15 सालों से हालत जस के तस है। क्षेत्र में प्रचुर मात्रा में वन तथा खजिन संपदा होने के बाद भी इससे जुड़ा कोई उद्योग धंधा नहीं है। नतीजन खजिन संपदा की धड़ल्ले से चोरी हो रही है और ग्रामीण महानगरों की ओर पलायन कर रहे है। पठार अंचल में बड़ी मात्रा में गन्ना उत्पादन होने के बाद भी गन्ना किसानों के पास केवल गुड़ बनाने के अलावा दूसरा कोई जरिया नहीं है। जिला मुख्यालय को जोडऩे वाली सड़क बीते 4 सालों से खस्ताहाल है। कटंगी को मॉडल शहर बनाने का दावा आज भी अधूरा है। वहीं विगत 10 सालों में सुविधाओं में जो कुछ भी इजाफा हुआ है। वर्तमान में इन सुविधाओं के भी बहुत ही बुरे हाल है।
सरकारी अस्पताल में चिकित्सकों की कमी-
क्षेत्र के सरकारी अस्पतालों के बहुत ही बुरे हाल है। इन अस्पतालों में 15 सालों से चिकित्सकों की कमी है। किसी भी अस्पताल में पर्याप्त संख्या में स्टॉफ नहीं है। शहर से लेकर गांव के अस्पतालों में उपकरणों का अभाव है। करीब 7 साल से सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र कटंगी को 100 बिस्तर का अस्पताल बनाने की कवायद जारी है, लेकिन पूरा मामलों फाइलों में अटका हुआ है, जबकि मौजूदा वक्त में अस्पताल की स्थिति चिंताजनक है। खंड चिकित्सा अधिकारी डॉ पंकज दुबे एवं महिला चिकित्सक डॉ रजनी शेंडे एवं आयुष चिकित्सकों की बदौलत अस्पताल को संचालित करने की कोशिश की जा रही है। मगर, जनता बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं नहीं मिलने से खासी नाराज है।
सड़कों का बुरा हाल-
क्षेत्र के ग्रामीण अंचलों में सड़कों के बहुत बुरे हाल है। कटंगी से जिला मुख्यालय बालाघाट को जोडऩे वाला मुख्य मार्ग 30 किमी. वारासिवनी तक चलने लायक भी नहीं है। करीब 4 साल से इस मार्ग का निर्माण अधूरा पड़ा है, जबकि 10 सालों तक जनता ने इस मार्ग पर केवल दर्द ही झेला है, लेकिन अब भी नेता और अफसर खामोश बैठे हुए है। ग्रामीण अंचलों की बात की जाए तो पूर्व सांसद बोधसिंह भगत, पूर्व विधायक विश्वेश्वर भगत के गृहग्राम घुबडग़ोदी (आनंदपुर) को जोडऩे वाले मार्ग की हालत अत्यन्त दयनीय है। इन नेताओं ने पदों में रहते हुए अपने गृहग्राम की सड़कों का कायाकल्प नहीं कर सकंे। आज भी दर्जनों गांव पक्की सड़कों के अभाव में मुख्य धारा से जुड नहीं पाए है। अब क्षेत्र को विकास की जरूरत है।
मैंगनीज का अवैध खनन माईनिंग प्लान नहीं-
क्षेत्र में प्रचुर मात्रा में मैंगनीज (काला सोना) है। इसके अलावा डोलामाइट तथा नदी-नालों में रेत है। इन खजिन संपदाओं को माफिया अवैध तरीके से खनन कर रहे है। हालाकिं प्रशासन समय-समय पर कार्रवाई भी करता है, लेकिन प्रशासन तथा जनप्रतिनिधियों ने इस अवैध खनन को रोकने के लिए माईनिंग प्लान तैयार नहीं किया। नतीजा बेरोजगारी बरकरार है तथा खनिज संपदा का अवैध दोहन निरतंर जारी है।
मॉडल सिटी का दावा फेल-
कटंगी को मॉडल सिटी बनाने का दावा हर पार्टी के नेताओं के द्वारा किया गया। जनता से वोट मांगने और सत्ता पर काबिज होने के लिए नेताओं ने जनता को बड़े-बड़े ख्वाब तो दिखाए। लेकिन जैसे ही नगर के सत्ता की चाबी इन नेताओं के हाथों में लगी, इन नेताओं के बोल बदल गए। आज पूरा शहर अतिक्रमण से ग्रसित, नेताओं ने नालियों पर कब्जा कर बिल्डिंग तैयार कर ली है। नगर में भारी जलसंकट है। तालाबों को अस्तित्व मिटने की कगार पर आ चुका है।
सरकारी शिक्षा का बुरा हाल-
सरकारी दावों के बीच शासकीय शिक्षा का हाल जगजाहिर है। सरकारी स्कूल शिक्षकों की कमी से जूझ रहे है। क्षेत्र के 90 फीसदी प्राथमिक स्कूलों में बच्चों को ठीक से अक्षर ज्ञान नहीं है। अभिभावक अपनों बच्चों को बेहतर शिक्षा प्रदान करने के लिए प्राईवेट स्कूलों में भेज रहे है। जिसके चलते हर साल प्राईवेट स्कूल कुकुरमुत्तें की तरह खुलते जा रहे है। जिनका काम बच्चों को अच्छी शिक्षा प्रदान करना तो कम मगर पैसें कमाना अधिक समझ में आता है।
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