तेंदुए का खौफ, ग्रामीणों में दहशत, परेशान हो रहा वन अमला
अपने दो शावकों के साथ विचरण कर रही मादा तेंदुआ, चार बकरियों, एक गाय का कर चुकी है शिकार, वारासिवनी क्षेत्र के लालपुर, चिखला में तेंदुए की हो रही है चहलकदमी

बालाघाट/वारासिवनी. हिंसक वन्य जीव तेंदुए का खौफ इतना कि न तो ग्रामीण रात्रि में सो पा रहे हैं और न ही दिन में चैन से रह पा रहे हैं। डर इतना कि तीन से न केवल ग्रामीण रतजगा कर रहे हैं। बल्कि तेंदुए को भगाने के लिए तरह-तरह का उपाय अपना रहे हैं। इधर, तेंदुए ने पिछले चार दिनों में चार बकरियों, एक गाय और एक बंदर का शिकार कर लिया है। हालांकि, तीन दिनों से तेुंदए की सक्रियता कुछ ज्यादा थी। लेकिन गुरुवार की शाम से तेंदुए की चहलकदमी नजर नहीं आ रही है। इधर, सूचना मिलने पर वन अमला भी मौके पर पहुंच चुका है। शुक्रवार वन विभाग के डीएफओ एमएस श्रीवास्तव, संभागीय प्रबंधक एमएस श्रीवास्तव वन विकास निगम बालाघाट वन विकास निगम भी लालपुर गांव पहुंचे थे। अधिकारियों ने ग्रामीणों से चर्चा की। वहीं अपने अधीनस्थ अमले को आवश्यक दिशा निर्देश दिए।
जानकारी के अनुसार वारासिवनी क्षेत्र के ग्राम लालपुर में पिछले तीन दिनों से एक मादा तेंदुए अपने दो शावकों के साथ जंगल में डेरा डाली हुई है। यह मादा तेंदुआ लगातार चहलकदमी कर रही है। जिसके कारण ग्रामीणों में दहशत बनी हुई है। वन विभाग के अधिकारियों ने बताया कि पिछले तीन दिनों से लालपुर के टोला और बकोड़ी गांव में चार बकरियों का तेंदुए ने शिकार किया है। वहीं इसके पूर्व चिखला गांव में एक गाय का शिकार किया था। इस तरह से हिंसक वन्य जीव तेंदुए की चहलकदमी लगातार बनी हुई है। वहीं दूसरी ओर ग्रामीणों में तेंदुए के कारण काफी दहशत बनी हुई है।
बाघ की आवाज निकालकर कर रहे भगाने का प्रयास
इधर, वन विभाग ने हिंसक वन्य प्राणी तेंदुए को जंगल की ओर भगाने के लिए ध्वनि विस्तारक यंत्र का सहारा लिया है। डिप्टी रेंजर गोविंद वासनिक ने बताया कि तेंदुए को भगाने के लिए विभागीय अमले द्वारा लगातार पेट्रोलिंग की जा रही है। सिटी बजाई जा रही है। पटाखे फोड़े जा रहे हैं। इसके अलावा ध्वनि विस्तारक यंत्र की सहायता से बाघ की आवाज निकालकर तेंदुए को जंगल की ओर भगाने का प्रयास किया जा रहा है।
ग्रामीणों को किया गया है सतर्क
तेंदुए की चहल कदमी के चलते ग्रामीणों को सतर्क रहने कहा गया है। रात्रि में किसी को भी घर से बाहर निकलने नहीं कहा गया है। ताकि तेंदुए किसी भी ग्रामीण पर हमला न कर पाए।
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