प्रकृति के नैसर्गिक सौंदर्य के बीच विराजमान भगवान नर्सिंग
चैत्र मास में प्रतिवर्ष लगता है पांच दिवसीय मेला
प्रकृति के बीच आस्था का उड़ता का सैलाब
ग्रामींण संस्कृति और परंपरा की दिखाई देती है छटा
पर्यटन प्रेमियों के लिए बन रहा पहली पसंद
बालाघाट
Published: March 26, 2022 09:31:23 pm
बालाघाट. सतपुड़ा की सुरम्य वादियों से अच्छादित मध्यप्रदेश की गोद में बसे बालाघाट जिले में वैसे तो पुरातत्व और पर्यटन की असीम संभावनाए हैं। लेकिन सही प्रचार-प्रसार नहीं होने और जानकारी के अभाव में इस क्षेत्र के जानकार इन तक नहीं पहुंच पा रहे हैं। पत्रिका टीम ने अपने पाठकों के लिए मप्र पर्यटन टूरिज्म बोर्ड (एमपीटीबी) के साथ ऐसे ही एक पर्यटन व दार्शनिक स्थल का मुआयना किया। यह स्थल पर्यटन प्रेमियों को खूब भा रहा है।
पर्यटन और दार्शनिक स्थलों की श्रृखंला में जिले के लामता नरसिंगा की ऊंची पहाड़ी पर विराजमान भगवान नरसिंह देव का मंदिर भी सुमार है। जबलपुर संभाग के कई जिलों के लिए आस्था का केन्द्र बने भगवान नरसिंह देव के इस मंदिर में वैसे तो 12 महिनों पर्यटन प्रेमियों और श्रद्धालुओं का आना-जाना लगा होता है, लेकिन होली पर्व के दौरान यहां आस्था का सैलाब उमड़ता है। होलिका दहन के दूसरे दिन से यहां पांच दिवसीय मेले का आयोजन किया जाता है, जिसमें मप्र के अलावा छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र के श्रद्धालु भी दर्शनार्थ पहुंचते हैं।
मंदिर की विशेषता-
नरसिंगा गांव के 76 वर्षीय बुजुर्ग सुंदरलाल सोनेकर के अनुसार नरसिंह मंदिर काफी प्राचीन है। ब्रिटिश शासन कॉल से मंदिर में चैत्र कृष्ण पक्ष में मेला लगाया जाता है। श्रद्धालुओं के लिए धार्मिक अनुष्ठान व सैलानियों के लिए सैर सपाटे के इंतजाम किए जाते हैं। मेले में सबसे दिलचस्प झंडा तोडऩे वाली परंपरा होती है। भगवान नरसिंह के नाम से 25 फीट ऊंचे और चिकने पोल पर झंडा बांधा जाता है। इस पोल पर बिना किसी मदद के चढक़र झंडा उतारने वाले को पुरस्कृत किया जाता है।
श्रद्धालुओं की अटूट आस्था
आस-पास कई जिलों के लिए एक मात्र नरसिंह देव का मंदिर होने के कारण यहां श्रद्धालुओं की अटूट आस्था देखने को मिलती है। श्रद्धालु 250 खड़ी सीढियां चढकर मंदिर में पहुंचते हैं। मंदिर तक पहुंचने पर यहां की नैसर्गिक सौंदर्य से समृद्घ नरसिंगा पहाड़ी में चहुंओर बिछी हरियाली आगुंतकों का स्वागत करती है। इसके बाद श्रद्धालुओं की थकान अपने आप गायब हो जाती है।
ऐसे पहुंचे पर्यटन प्रेमी-
यहां पहुंचने के लिए दो मार्ग प्रमुख है। महा नगरों से आने वाले श्रद्धालुओं और पर्यटन प्रेमियों को पहले बालाघाट मुख्यालय पहुंचना होता है। इसके बाद बस और ट्रेन दोनों ही सेवाओं से यहां पहुंचा जा सकता है। बालाघाट से 40 किमी. पर लामता फिर 3 किमी पर कोचेवाड़ा पहुंचने पर नरसिंगा की पहाड़ी दिखाई देती है। इसी तरह लालबर्रा की ओर भी बाइक या स्वयं के चौपहिया वाहन से यहां पहुंचा जा सकता है।

प्रकृति के नैसर्गिक सौंदर्य के बीच विराजमान भगवान नर्सिंग
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