जुलाई २०१७ के पूर्व के निर्माण कार्यो में उस समय के वैक्ट टैक्स ही लिया जाएगा
बालाघाट. सिविल कान्ट्रेक्टर एसोसिएशन बालाघाट के पदाधिकारियरों ने मप्र शासन के वित्त मंत्री जयंत मलैया को एक पत्र लिखा है। जिसमें उनके द्वारा मप्र के सभी शासकीय ठेकेदारों के पुराने कार्यो के लिए २ प्रतिशत वैट टैक्स के स्थान पर लगाए गए १२ प्रतिशत टैक्स को वापस लिए जाने या इस जीएसटी का भार सरकार द्वारा उठाए जाने की मांग की गई है।
इस संबंध में एसोसिएशन के अध्यक्ष विजय गोस्वामी, उपाध्यक्ष राजेश परिहार कोषाध्यक्ष संतोष असाटी व सचिव यूनुस खान ने बताया कि पत्र के माध्यम से वित्ती मंत्री को बताया गया है कि इसके पूर्व में भी एक ज्ञापन उन्हें भेजा गया था। इसके बाद आदेश में संशोधन कर १८ प्रतिशत टैक्स को १२ प्रतिशत कर दिया गया। जिसमें सर्विस प्रदाता को ही जवाबदार माना गया है न कि ठेकेदार को। लेकिन ठेकेदारों के पुराने कार्य जो कि एक जुलाई १७ के पूर्व से अनुबंधित है के संबंध में की गई मांग पर कोई निर्णय नहीं किया गया है। इस कारण निर्माण विभाग के ठेकेदार जिन्होंने विभिन्न निर्माण विभागों में ०१ जुलाई १७ के पहले उस समय के वैट टैक्स को ध्यान में रखकर निविदा भरकर कार्य शुरू किया था। यदि उन्हें १२ प्रतिशत जीएसटी लगाई जाती है तो यह १० प्रतिशत की राशि ठेकेदार को अपने घर से भरना पड़ेगा। जिससे उन्हें आर्थिक रूप से नुकसानी का सामना करना पड़ेगा और ठेकेदार आत्मदाह के लिए विवश हो जाएंगे। ऐसे स्थिति में एसोसिएशन के माध्यम से मांग की है कि एक जुलाई १७ के पूर्व से लिए गए कार्यो में उस दिनांक तक जारी वैक्ट टैक्स के हिसाब से ही जीएसटी वसूला जाए।
बालाघाट. सिविल कान्ट्रेक्टर एसोसिएशन बालाघाट के पदाधिकारियरों ने मप्र शासन के वित्त मंत्री जयंत मलैया को एक पत्र लिखा है। जिसमें उनके द्वारा मप्र के सभी शासकीय ठेकेदारों के पुराने कार्यो के लिए २ प्रतिशत वैट टैक्स के स्थान पर लगाए गए १२ प्रतिशत टैक्स को वापस लिए जाने या इस जीएसटी का भार सरकार द्वारा उठाए जाने की मांग की गई है।
इस संबंध में एसोसिएशन के अध्यक्ष विजय गोस्वामी, उपाध्यक्ष राजेश परिहार कोषाध्यक्ष संतोष असाटी व सचिव यूनुस खान ने बताया कि पत्र के माध्यम से वित्ती मंत्री को बताया गया है कि इसके पूर्व में भी एक ज्ञापन उन्हें भेजा गया था। इसके बाद आदेश में संशोधन कर १८ प्रतिशत टैक्स को १२ प्रतिशत कर दिया गया। जिसमें सर्विस प्रदाता को ही जवाबदार माना गया है न कि ठेकेदार को। लेकिन ठेकेदारों के पुराने कार्य जो कि एक जुलाई १७ के पूर्व से अनुबंधित है के संबंध में की गई मांग पर कोई निर्णय नहीं किया गया है। इस कारण निर्माण विभाग के ठेकेदार जिन्होंने विभिन्न निर्माण विभागों में ०१ जुलाई १७ के पहले उस समय के वैट टैक्स को ध्यान में रखकर निविदा भरकर कार्य शुरू किया था। यदि उन्हें १२ प्रतिशत जीएसटी लगाई जाती है तो यह १० प्रतिशत की राशि ठेकेदार को अपने घर से भरना पड़ेगा। जिससे उन्हें आर्थिक रूप से नुकसानी का सामना करना पड़ेगा और ठेकेदार आत्मदाह के लिए विवश हो जाएंगे। ऐसे स्थिति में एसोसिएशन के माध्यम से मांग की है कि एक जुलाई १७ के पूर्व से लिए गए कार्यो में उस दिनांक तक जारी वैक्ट टैक्स के हिसाब से ही जीएसटी वसूला जाए।