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मिरगपुर, आरंभा में 20 वर्षों से नहीं चिकित्सक

locationबालाघाटPublished: May 19, 2019 08:40:36 pm

Submitted by:

mukesh yadav

स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया कराने के दावे फेल-

aspatal

मिरगपुर, आरंभा में 20 वर्षों से नहीं चिकित्सक

कटंगी। विधानसभा क्षेत्र कटंगी-खैरलांजी के ग्रामीण अंचलों में बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं के सरकारी दावें पूरी तरह से फेल साबित हो रहे है। कटंगी, तिरोड़ी और खैरलांजी तहसील के एक-दो को छोड़कर अमूमन सभी प्राथमिक एवं उपस्वास्थ्य केन्द्रों के बहुत ही बुरे है। 90 प्रतिशत स्वास्थ्य केन्द्रों में चिकित्सकों, एएनएम, स्टॉफ नर्स, वार्ड ब्वाय के पद रिक्त है तथा संसाधनों की कमी है। इस कारण ग्रामीणों को स्वास्थ्य सुविधाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है। हालाकिं सरकार कागजों में स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने के साथ ही कई तरह की कल्याणकारी योजना चलाने के दावें तो करती है, लेकिन धरातल पर नतीजा हमेशा सिफर ही रहता है। बता दें कि वैसे तो पूरे प्रदेश में चिकित्सकों की कमी बनी है। इस कारण मरीजों को सहीं सेवाओं को लाभ नहीं मिल रहा है, इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता, लेकिन कटंगी-खैरलांजी जनपद में स्थिति काफी खराब है।
खैरलांजी तहसील के प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र मिरगपुर, आंरभा इस बात के ग्वाह है। इन प्राथमिक केन्द्रों में बीते 20 सालों से चिकित्सक के पद रिक्त है। मगर, अच्छा स्वास्थ्य सुविधाओं को दावा करने वाली सरकार के मंत्री, सांसद, विधायक और विभाग के आला अफसर कभी भी इस बात को लेकर गंभीर नजर नहीं समझ आए। 15 साल प्रदेश में राज करने वाली भाजपा सरकार भी चिकित्सकों की नियुक्तियां नहीं कर पाई। हालाकिं चिकित्सकों की भर्ती और स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर विधानसभा में पक्ष-विपक्ष इसे मुद्दा बनाकर जरूर सवाल-जवाब करते है। लेकिन हकीकत तो यही है कि सदन में बैठकर इनके सवाल-जबाव करने से भी कोई सुधार नहीं आया है। गांव का गरीब, दिहाड़ी मजबुर आज भी मंहगा और झोलाछाप चिकित्सक से इलाज कराने को ही मजबूर है। इन प्राथमिक केन्द्रों में चिकित्सक के अभाव में केन्द्र भगवान भरोसे संचालित हो रहे है। जिन चिकित्सकों को सप्ताह में एक या दो दिन इन केन्द्रों में सेवाएं देने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। वह प्रभारी चिकित्सक भी अपस्तालों में महीनों तक झांककर नहीं देखते। जिसके चलते लोग बीमार होने पर बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए तरसते है।
गौरतलब हो कि चिकित्सकों की कमी को लेकर विभाग के किसी भी वरिष्ट अधिकारी से र्चा की जाए तो वह केवल महज एक ही रटा-रटाया जवाब देत है कि जैसे ही शासन से चिकित्सक उपलब्ध होंगे, वैसे से ही उन्हें संबंधित चिकित्सालयों में तैनात किया जाएगा। यहीं हाल नेताओं का भी है वह भी इसे प्रदेश स्तर की समस्या बताकर पलड़ा झाड़ देते हैं। मगर, एक बात जनता को समझ नहीं आ रहा है कि आखिरकार बीते 20 सालों सरकार और प्रशासन के प्रयास करने के बावजूद चिकित्सकों की कमी दूर क्यों नहीं हो पा रहा है। यह तब हो रहा है जब हर साल बड़ी संख्या में युवा चिकित्सक बनकर और युवतियां नर्सिंग की पढ़ाई पूरी कर रही है। क्षेत्रीय ग्रामीण ने शीघ्र ही चिकित्सकों की व्यवस्था बनाए जाने मांग की है।
वर्सन
यह बात सही है कि ग्रामीण अंचलों में चिकित्सकों का अभाव है। लेकिन हमारी ओर से सभी को स्वास्थ्य सुविधा मिल सकें इसके लिए भरसक प्रयास किए जाते है। चिकित्सकों की सप्ताह में एक दिन की ड्यूटी भी ग्रामीण अंचलों में लगाई जाती है।
आरसी पनिका, सीएमएचओ
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