डीआरएम के बाद सांसद बोले नहीं मिल सकती नौकरी
बालाघाटPublished: Jan 16, 2021 08:27:02 pm
किसानों का प्रदर्शन और युवाओं की भूख हड़ताल 6 वें दिन भी जारी-
डीआरएम के बाद सांसद बोले नहीं मिल सकती नौकरी
बालाघाट. कटंगी-तिरोड़ी 14 किमी. रेल परियोजना के तहत जिन किसानों से भूमि अधिग्रहित की गई है, वे किसान और उनके परिजन सहित नौकरी की मांग कर युवाओं का प्रदर्शन लगातार 6 वें दिन शरिवार को भी जारी रहा। कटंगी बायपास के पास 3 युवक 6 दिनों से रेलवे से नौकरी की मांग को लेकर भूख हड़ताल पर बैठे हुए हैं। वहीं अन्य प्रभावित किसान उनका समर्थन कर रहे हैं। मगर, रेलवे के जिम्मेदार और जनप्रतिनिधि, सांसद इन प्रदर्शनकारियों की चिंता तक नहीं कर रहे हैं। डीआरएम दूरभाष पर पहले ही प्रदर्शनकारियों को स्पष्ट कर चुके हंै कि भू-अर्जन अधिनियम 2013 के तहत नौकरी नहीं दी जा सकती। वहीं सांसद ने भी दूरभाष पर इसी बात का जिक्र प्रदर्शनकारियों से किया है। हालाकिं सांसद और डीआरएम के इस उत्तर से प्रदर्शनकारी संतुष्ट नही है। वह अपनी मांग पर अड़े हुए।
गौरतलब हो कि शुक्रवार को प्रदर्शनकारियों ने शांतिप्रिय रैली निकालकर कटंगी-तिरोड़ी रेल परियोजना का निर्माण कर रही गुजरात इन्फ्राकॉन के जीएम शैलेश त्रिवेद्वी से काम बंद करने की गुहार लगाई थी। इसके बाद उन्होंने निर्माण कार्य बंद कर दिया गया था। लेकिन शनिवार को रेलवे के अधिकारियों के दबाव में फिर निर्माण एजेंसी ने काम शुरू किया। जिससे आक्रोशित किसानों ने पौनियां में जाकर काम रूकवाया। प्रदर्शनकारियों ने रेल अधिकारी को कहा ”जब तक नौकरी नहीं तब तक पटरी नहींÓÓ वहीं रेल अधिकारी प्रदर्शनकारियों को कार्रवाई का डर बताने लगे, जिससे महिलाओं और अधिक आक्रोश देखने को मिला। आखिरकार रेल अधिकारी को वापस लौटना पड़ा। प्रदर्शनकारी अब पूरे मामले को लेकर सांसद निवास के घेराव की तैयारी कर रहे हैं।
डीआरएम एवं सांसद दूरभाष पर प्रदर्शनकारियों को कह चुके हंै कि भू-अर्जन अधिनियम 2013 के बाद परियोजना के लिए किसानों की भूमि अधिग्रहित की गई है। इसीलिए नौकरी नहीं दी जा सकती। लेकिन प्रदर्शनकारियों का कहना है कि यह नियम उन सभी किसानों पर लागू होना चाहिए जिनकी जमीन अधिग्रहित की गई है, तो फिर रेलवे ने क्यों 42 लोगों को नौकरी दिया और अब भी लगातार नौकरी की कार्रवाई के लिए पत्र व्यवहार कर रहा है। डीआरएम और सांसद इसके जवाब में तर्क दे रहे हंै कि भूल हो गई है, अगर, यह भूल है तो फिर अब भी क्यों रेलवे नौकरी के लिए आवेदन करने वाले लोगों से पत्र व्यवहार कर रहा है और क्यों स्क्ूटनी के लिए पत्र भेजे जा रहा है। रेलवे की यह दोमुंही बातें किसानों के समझ से परे हैं। फिलहाल, भूख हड़ताल पर बैठे युवकों की हालत दिन-ब-दिन बिगड़ती जा रही है।
तीन वर्ष से किया जा रहा गुमराह
किसानों के अ नुसार आवेदकों ने 3 साल पहले नौकरी के लिए आवेदन किया था। अगर रेल प्रशासन को आवेदकों को नौकरी नहीं देना था, तो इनसे किस लिए दस्तावेज लिए गए और दर्जनों बार डीआरएम और जीएम के कार्यालय क्यों बुलवाया गया। अब अचानक से डीआरएम भू-अर्जन अधिनियम 2013 का हवाला दे रहे हैं। बता दें कि रेलवे में डीआरएम रही शोभना बंदोपाध्याय ने तत्कालीन सांसद बोधसिंह भगत के पत्र व्यवहार का जबाव देते हुए कहा था कि कार्रवाई चल रही है। इसके बाद फिर रेलवे ने एक पत्र में कहा कि वैश्विक महामारी कोरोना की वजह से विलंब हो रहा है। लेकिन अब नौकरी देने से इंकार किया जा रहा है।