सांसरिक रिश्तों को त्यागकर मुमुक्ष बहनें चली वैराग्य की ओर
बालाघाटPublished: Feb 22, 2021 10:50:24 pm
कंचन देवी कोचर, क्षमा बोथरा ने ली दीक्षा
सांसरिक रिश्तों को त्यागकर मुमुक्ष बहनें चली वैराग्य की ओर
बालाघाट. पपू खरतरगच्छाचार्य नमिऊण तीर्थ प्रणेता जिन पीयूष सागर सूरीश्वरजी मसा के मुखारविंद से चतुर्विध संघ की साक्षी में दोनों मुमुक्षु बहनों की दीक्षा संपन्न हुई। दोनों दीक्षार्थी अष्टापद तीर्थ प्रेरिका, वर्धमान तपाराधिका पपू साध्वी जिनशिशु श्री प्रज्ञाश्रीजी मसा की सुशिष्याएं बनी। कंचनदेवी कोचर बनी पपू साध्वी श्री कृपानिधि श्री मसा और क्षमा बोथरा बनी पपू साध्वी श्री कत्र्तव्य निधिश्री जी मसा आज उगते सूरज के साथ दोनों मुमक्षु बहनें 6.30 बजे अपने सारे सांसारिक रिश्तों को छोड़कर अध्यात्म के पथ पर बढऩे के लिए निकल चुकी थी। परिवार ने खुशी के आंसुओं के साथ दोनों को संयम पथ में आगे बढऩे के लिए सहर्ष विदाई दी। लगभग 8 बजे उत्कृष्ट विद्यालय स्थित दीक्षा स्थल में दोनों मुमक्षु बहनों की दीक्षा विधि पपू आचार्य भगवन पियूष सागर जी मसा की निश्रा में प्रारम्भ की गई। आचार्य भगवन द्वारा दोनों बहनों को ओघा प्रदान किया गया, यही वो पल था जिसका इंतजार मुमुक्षु बहने पिछले कई दिनों से कर रही थी। ओघा मिलने के बाद दोनों मुमुक्षु बहनों ने साधु वेष धारण कर लिया। जैसे ही वेष परिवर्तन कर दोनों बहनें दीक्षा स्थल पर प्रवेश किया, वैसे ही उपस्थित जन समुदाय ने नम आंखों से उन्हें देखकर जयकारे लगाए। लगभग 12 बजे दोनों बहनों ने आचार्य भगवान के मुखारबिंद से दीक्षा ग्रहण की। इस दीक्षा महोत्सव पर 29 साधु-साध्वी, भगवंतों की उपस्थिति रही। इस महोत्सव में बालाघाट जिले के ही नहीं बल्कि मुम्बई, जयपुर, जगदलपुर, रायपुर, दुर्ग, राजनांदगांव, नागपुर, गोंदिया, सिवनी, जबलपुर, नरसिंहपुर, करेली, गाडरवारा सहित अन्य प्रांत के लोग मौजूद थे।