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मशरूम उत्पादन से मिलता है युवाओं को रोजगार

locationबालाघाटPublished: Jan 16, 2020 08:49:03 pm

Submitted by:

Bhaneshwar sakure

कृषि विज्ञान केन्द्र बडग़ांव में दिया जा रहा है प्रशिक्षण

मशरूम उत्पादन से मिलता है युवाओं को रोजगार

मशरूम उत्पादन से मिलता है युवाओं को रोजगार

बालाघाट. राणा हनुमान सिंह कृषि विज्ञान केन्द्र बडग़ांव में भारतीय कृषि कौषल परिषद् के द्वारा मशरुम उत्पादन प्रशिक्षण कार्यक्रम के अंतर्गत जिले के 20 प्रशिक्षणार्थियों को मशरुम उत्पादन और उससे निर्मित होने वाले व्यवसायिक उत्पादों के विषय पर तकनीकी प्रशिक्षण दिया जा रहा है।
इस कार्यक्रम में केन्द्र के केन्द्र के प्रभारी एवं कृषि वैज्ञानिक डॉ. ब्रजकिशोर प्रजापति द्वारा जानकारी दी गई कि मशरुम को जंगलो से इक_ा कर खाने के रूप में उपयोग प्राचीन काल से हमारे देश में होता आया है। जिसका उल्लेख प्राचीन ग्रंथो व साहित्यों में मिलता हैं। इसके अतिरिक्त जानकारी दी कि वर्तमान समय में बढ़ती हुई जनसंख्या के कारण लगातार कृषि जोत भूमि घटती जा रही हैं। जिसके कारण पोष्टिक खाद्य पदार्थ का उत्पादन कर पाना एक समस्या बनता जा रहा हैं। इस परिस्थिति में मशरुम की खेती करना आवश्यक समझा जाने लगा हैं। मशरुम में प्रोटीन, विटामिन और खनिज लवण पर्याप्त मात्रा में पाया जाता हैं। इसकी खेती के लिए खेत की जरूरत भी नहीं पड़ती हैं। बस एक छायादार कमरे के अंदर चाहे वो घास का हो या कच्चे या पक्के मकान का एक कमरा हो जिसमें हवा के आवागमन की सुविधा हो तो हम सुगमता पूर्वक मशरूम की खेती कर सकते हैं।
तकनीकी सत्र के दौरान धर्मेन्द्र अगासे द्वारा जानकारी दी गई कि देश में सभी प्रकार की जलवायु व व्यर्थ कृषि अवशेष साल भर उपलब्ध रहता हैं। ऋतुओं के अनुसार हम अलग-अलग समय पर विभिन्न प्रकार के मशरूमों की खेती कर सकते हैं। देश में मुख्यत: चार प्रकार के मशरुमों की खेती की जाती हैं। जैसे बटन मशरूम, ढिंगरी मशरूम, दूधिया मशरूम, पुआल मशरुम। केन्द्र के तकनीकी सहायक डॉ मुरलीधर इंगले द्वारा जानकारी दी गई कि प्रोटीन के अतिरिक्त मशरूम में विटामिन सी और विटामिन बी काम्पलेक्स पाया जाता हैं। जो गर्भवती व दुध पिलाने वाली महिलाओं के लिए बहुत लाभकारी होता हैं। प्रशिक्षण कार्यक्रम के दौरान केन्द्र के वरिष्ठ अनुसंधान सहायक हेमंत राहंगडाले, एग्रोमेट आब्र्जवर जितेन्द्र नगपुरे सहित अन्य मौजूद थे।

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