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नहलेसरा जलाशय की नहर निर्माण में गड़बड़ घोटाला

locationबालाघाटPublished: Apr 24, 2019 04:59:34 pm

Submitted by:

mukesh yadav

मुरूम नहीं तो मिट्टी में ही निर्माण, मुआयने में सामने आ रही सच्चाई

aniymitta

नहलेसरा जलाशय की नहर निर्माण में गड़बड़ घोटाला

कटंगी। क्षेत्र की मध्यम सिंचाई परियोजना नहलेसरा जलाशय की नहरों में जमकर गड़बड़ घोटाला किया जा रहा है। जिस एंजेसी को नहर निर्माण का कार्य स्वीकृत हुआ है। वह प्रक्कालन के मुताबिक निर्माण कार्य करने की बजाए घटिया स्तर का निर्माण कर रही है। बाल मजदुरों के अलावा निम्म स्तरीय सामग्री का प्रयोग कर नहर का निर्माण किया जा रहा है। नहर निर्माण में तकनीकि बातों को नजर अंदाज किया जा रहा है। ठेकेदार की मनमानी और विभाग के अफसरों की लापरवाही का आलम कुछ ऐसा है कि अब जल उपभोक्ता संथा एवं किसानों को खुद निर्माण कार्य की निगरानी करनी पड़ रही है। जल संसाधन विभाग का एक अदना कर्मचारी तक इस निर्माण स्थल पर मौजूद नहीं रहता है, इस वजह से ठेकेदार अपने मन-मुताबिक निर्माण कार्य कर रहा है। सोमवार को जल उपभोक्ता संथा सदस्य द्वारका प्रसाद राहंगडाले एवं जागरूक किसान योगराज ठाकरे ने नहर का निरीक्षण किया। जिसमें इन्होंने पाया कि जिस स्थान पर मुरूम डाली जानी चाहिए थी वहां मिट्टी पर ही काम चल रहा है। जब इस संबंध में इन्होंने अधिकारियों से शिकायत करने की कोशिश की तो अधिकारियों ने फोन नहीं उठाया और जिन्होंनें फोन उठाया उन्होंने ठेकेदार का ही पक्ष रखा। जिसके चलते अब संथा सदस्य ने अर्जुननाला के किसानों के साथ निर्माण कार्य के जांच की मांग की है तथा जांच नहीं होने पर आंदोलन की चेतावनी दी है। वहीं इस पूरे घटनाक्रम के बाद ठेकेदार ने आनन-फानन में मुरूम बुलवाई एवं निर्माण कार्य में उपयोग शुरू करवाया।
नहर का निर्माण करने वाले ठेकेदार ने अपना पक्ष रखते हुए बताया कि मुरूम समाप्त हो चुकी है, इसलिए मिट्टी में ही काम किया जा रहा है। ठेकेदार ने यह भी बताया कि इसकी जानकारी विभाग के अधिकारियों को भी दी जा चुकी है। लिहाजा इस काम का किसानों ने विरोध किया है। बहरहाल, यह बेहद चौकाने वाली बात है कि जब मटेरियल (मुरूम) खत्म ही हो चुका है तो फिर ठेकेदार काम कैसे कर रहा है और विभाग के अफसरों को यह जानकारी होने के बाद भी काम कैसे करवाया जा रहा है। प्राप्त जानकारी अनुसार करीब साढ़े 11 करोड़ रुपए की लागत से नहलेसरा जलाशय की नहर का निर्माण हो रहा है। यह निर्माण कार्य करीब 4 साल पहले 2015 में स्वीकृत हुआ था। चुकिं निर्माण कार्य काफी कच्छप गति से चल रहा है। किसानों ने बताया कि जिन नहरों का निर्माण हो चुका है, उनमें कभी पानी से तराई नहीं होती। इस कारण नहरे टूटने-फुटने लगी है।
उल्लेखनीय है कि नहलेसरा जलाशय के अंतर्गत पाथरवाड़ा, खैरलांजी, देवथाना (एक) एवं दो, मानेगांव, खजरी, मोहगांव, बडग़ांव मायनर पर पक्की नहर का निर्माण होना है, लेकिन इन मायनरों में जहां भी निर्माण कार्य हो चुका है वह बेहद ही घटिया क्वालिटी से हुआ है। अलग-अलग जल उपभोक्ता संथा के सदस्य इस कार्य को लेकर विरोध कर रहे हैं। मगर, विभाग इन सदस्यों की शिकायतों को गंभीरता से न हीं ले रहा है तथा ठेकेदार को अप्रत्यक्ष संरक्षण प्रदान कर रहे हैं।
इनका कहना है।
नहर में काफी घटिया स्तर का काम चल रहा है। अधिकारियों से दुरभाष पर शिकायत करने की कोशिश की गई अधिकारियों ने फोन बंद रखे है। जिनके फोन चालु है, वह पल्ला झाड़ रहे हैं।
द्वारका प्रसाद राहंगडाले, सदस्य जल उपभोक्ता संथा
करोड़ों रुपए की लागत से नहर का निर्माण स्वीकृत हुआ है। लेकिन ठेकेदार और अधिकारी मिलकर गड़बड़ घोटाला कर रहे हैं। जांच नहीं हुई तो किसानों के साथ आंदोलन किया जाएगा।
योगराज ठाकरे, किसान

मैं अभी टे्रनिंग में हॅू आकर दिखवाता हूॅ। अगर निर्माण कार्य में किसी प्रकार की कमी होगी तो ठेकेदार को बेहतर काम करने के लिए कहा जाएगा।
घनश्याम मड़ावी, अनुविभागीय अधिकारी जलसंसाधन
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