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न तो राशन कार्ड बन पाया न मिल रहा मुफ्त राशन

locationबालाघाटPublished: Jul 25, 2023 10:21:26 pm

Submitted by:

Bhaneshwar sakure

झोपड़ों में कट रही हैं बैगाओं की जिंदगी
जनप्रतिनिधियों ने भी नहीं ली आज तक सुध
लांजी विकासखंड के नक्सल प्रभावित कुआगोंदी का मामला

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बालाघाट. न तो राशन कार्ड बन पाया और न ही मुफ्त राशन मिल पा रहा है। पहचान के लिए आधार कार्ड भी अधर में अटका। वर्षों से झोपड़ों में बैगा आदिवासियों की जिंदगी कट रही है। बावजूद इसके न तो प्रशासन और न ही जनप्रतिनिधियों ने आज तक इसकी सुध ली। मामला लांजी विकासखंड के ग्राम पंचायत कसंगी के नक्सल प्रभावित ग्राम कुआगोंदी का है।
ग्राम कुआगोंदी में वैसे बैगा आदिवासियों के 55 घर है। इन घरों में 47 परिवार निवास करते हैं। ये सभी बैगा आदिवासी मुफलिसी और गरीबी का जीवन जी रहे हैं। विडम्बना यह है कि इन बैगा आदिवासियों का न तो राशन कार्ड बन पाया है और न ही आधार कार्ड। इन दस्तावेजों के अभाव में उन्हें शासन की योजनाओं का लाभ भी नहीं मिल पा रहा है। ऐसा नहीं कि बैगाओं ने इसके लिए प्रयास नहीं किया हो, प्रयास करने के बाद भी उन्हें सफलता नहीं मिल पा रही है। ग्राम पंचायत के सरपंच-सचिव भी इनके दस्तावेज तैयार करने के मामले में अपनी औपचारिकता निभा रहे हंै।
घास-फूंस की झोपड़ी में कर रहे निवास
कुआगोंदी के बैगा आदिवासी परिवार घास-फूंस की झोपड़ी में निवास करते हैं। झोपड़ी भी महज दो कमरों की, जिसमें न तो सही ढंग से बैठने के लिए स्थान है और न ही अन्य कार्यों के लिए जगह। परिवार की संख्या अधिक होने के बाद उन्हें झोपडिय़ों में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। कुआगोंदी के बैगा आदिवासियों की हकीकत शासन के दावों की पोल खोल रही है। विडम्बना यह है कि इन आदिवासियों को प्रधानमंत्री आवास योजना का भी लाभ नहीं मिल पा रहा है।
वनोपज के सहारे हो रही है आय
कुआगोंदी के बैगा आदिवासियों के पास रोजगार के साधन नहीं है। ग्राम पंचायत में मनरेगा से भी कार्य नहीं मिलता। वनोपज के सहारे जो आय हो जाए, उसी से उनकी जिंदगी कट रही है। पैसों के अभाव में इन गरीबों की जिंदगी मुफलिसी में कट रही है। आलम यह है कि इन गरीब बैगा आदिवासियों के पास न तो सही ढंग से पहनने के लिए कपड़े हैं और न ही सोने के लिए बिस्तर।
खौफ में गुजरती है रातें
झोपड़ों में निवास करने वाले बैगा परिवारों को बारिश के दिनों में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। एक तो आवास में घास-फूंस, उपर से बारिश। ऐसे में जहरीले जीव-जंतुओं के झोपड़ी में घुसने और काटने की संभावना बनी रहती है। ग्रामीणों का दिन तो अच्छे से कट जाता है, लेकिन रात खौफ में गुजरती है।
इनका कहना है
मकान नहीं बना है। झोपड़े में निवास करते हैं। आधार कार्ड, राशन कार्ड के लिए प्रयास किए लेकिन दोनों दस्तावेज अभी तक नहीं बन पाए। मुफ्त राशन योजना का भी लाभ नहीं मिल पा रहा है।
-संगीता मेरावी, ग्रामीण
गांव में रोजगार के साधन नहीं है। पंचायत से कार्य हुए हैं, लेकिन उन्हें रोजगार नहीं मिल पा रहा है। वनोपज के सहारे ही जीवन-यापन कर रहे हैं। जनप्रतिनिधि भी ध्यान नहीं देते हैं।
-भोरसिंह बैगा, ग्रामीण
राशन कार्ड नहीं बनने से उन्हें शासन की योजनाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है। बैगा पोषण आहार की राशि पहले नियमित मिलती थी। यह राशि भी अब नियमित नहीं मिल रही है।
-फग्नी मड़ावी, ग्रामीण
राशन कार्ड बनवा दिए जाए। ताकि उन्हें अन्य योजनाओं का लाभ मिल सकें। समस्या से सरपंच, सचिव को भी अवगत कराया गया है। लेकिन कोई इस ओर ध्यान नहीं दे रहा है।
-रजवंती बाई, ग्रामीण
दस्तावेज सही नहीं होने के कारण राशन कार्ड, आधार कार्ड नहीं बन पाए हैं। इसका निराकरण किया जाएगा। गांव में कुछेक ग्रामीणों को पीएम आवास योजना का लाभ मिला है।
-ओमप्रकाश मर्सकोले, सरपंच, ग्रापं कसंगी
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