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फर्नीचर और लेब की नहीं मिली राशि

locationबालाघाटPublished: Mar 29, 2018 11:23:25 am

Submitted by:

mukesh yadav

विकासखंड कटंगी में 31 स्कूलों का उन्नयन-

school
बालाघाट. स्कूल शिक्षा के लोक व्यापीकरण के लिए शिक्षण सत्र 2013-14 में विकासखंड कटंगी के 31 प्राथमिक स्कूलों को माध्यमिक स्कूलों में उन्नयन किया गया। लेकिन 4 साल का लंबा वक्त बीतने के बाद भी इन स्कूलों को फर्नीचर और लेब के लिए राशि नहीं मिल पाई है। शिक्षा विभाग के अनुसार उन्नयन होने वाले स्कूलों को 50 हजार रुपए की राशि उक्त सामग्री के लिए प्रदान करने का प्रावधान था। बता दें कि स्कूलों के उन्नयन का सारा श्रेय तत्कालीन सांसद वर्तमान विधायक केडी देशमुख को दिया गया था। चुकिं ऐसा माना जाता है कि जिले में सर्वाधिक 31 स्कूलों का उन्नयन कटंगी में उन्हीं के प्रयासों से हुए हैं। फिलहाल उन्नयन होने वाले स्कूल फर्नीचर तथा लेब का इंतजार कर रहे है मगर, जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों का इस ओर ध्यान नहीं है।
जानकारी अनुसार जिन 31 स्कूलों का उन्नयन हुआ है, उसमें कतरकना, कोड़मी, कटेरा, टेकाड़ी (म.), गोपालपुर, नट्टीटोला, उर्दू कटंगी, उमरी, अतरी, अर्जुनी, करनुटोला, लोहाग्री, रंगोटोला भजियापार, जडख़रीद, बिरसोला, बासी, देवथाना, बिछवा, चांदाडोह, जोगाटोला बोरीखेड़ा, सतीटोला, नीमटोला, रामजी टोला बम्हनी, गर्रागुसाई, बोलडोंगरी, रेलवे तिरोड़ी, डोगरगांव, भोड़की, किशनपुर, मासुलखापा, संग्रामपुर शामिल है। इनमें से अधिकांश स्कूलों की नवीन बिल्डिंग बीते वर्ष तक तैयार हुई है। इसके पहले इन स्कूलों का संचालन प्राथमिक शालाओं के अतिरिक्त कमरों में हो रहा था। इनमें से किसी भी स्कूल को फर्नीचर तथा लेब के लिए राशि नहीं मिली तथा कुछ स्कूल ऐसे भी है, जिन्हें अब तक नवीन बिल्ंिडग हैंडओवर नहीं किया गया है। जानकारी के मुताबिक स्कूल शिक्षा विभाग ने स्कूलों के उन्नयन के बाद जिला शिक्षा अधिकारी को राज्य शासन के निर्णय के कार्यान्वयन के लिए सभी आवश्यक व्यवस्थाएं सुनिश्चित करने के निर्देश दिए थे।
उल्लेखनीय है कि विखं कटंगी में तमाम असुविधाओं के बीच संचालित होने वाले सरकारी स्कूलों का भविष्य क्या होगा? यह एक अहम सवाल है। एक तरफ शिक्षकों की कमी और उसके बाद शिक्षकों को गैर-शैक्षणिक कामों में लगाने और शिक्षा की गिरती हुए स्तर के लिए उनको ही जिम्मेदार ठहराने की कोशिशें भी साथ-साथ जारी हैं। बता दें बहुत से सरकारी स्कूल ऐसे हैं, जहां पर्याप्त शिक्षक नहीं है। शिक्षकों की माने तो उनकी स्थिति सरकारी आदेश से बंधे हुए उस गुलामों के जैसी है। जिसके पास व्यथाएं बहुत है मगर फिर भी वह खामोश है। केंद्रीय स्तर पर शिक्षा के बजट में होने वाली कटौती को भी एक संकेत के रुप में देखा जा रहा है।
इनका कहना है-
जिन स्कूलों का उन्नयन हुआ उन्हें फर्नीचर और लेब के लिए राशि मिलनी थी यह बात सहीं है। मगर सरकार ने इस योजना को बंद कर दी।
दर्पण गौतम, बीआरसी कटंगी
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