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नियम का पालन कराने में गंभीर नही नगरपालिका

locationबालाघाटPublished: Apr 24, 2019 05:20:30 pm

Submitted by:

mukesh yadav

नियम लागू प्रभाव नही दिखतावाटर हार्वोस्टिंग प्रोजेक्ट, नगरीय क्षेत्र में अनिवार्य

watar har

नियम का पालन कराने में गंभीर नही नगरपालिका

इंट्रो:- जल सबके लिए हैं, लेकिन इसके बाद भी जल संरक्षण में नागरिक उदासीनता बरत रहे हंै। यदि भवन निर्माता वाटर हार्वेस्ंिटग प्लांट लगाए तो कुछ माह में ही जल संकट से निजात मिल सकती है। लेकिन नियम लागू करने के बाद निर्माण संबंधी एनओसी प्राप्त करने में ही नागरिक प्रयासरत है।
बालाघाट. इस बार जहां सूखे के आसार हैं, वहीं तेजी से जलस्तर भी गिर रहा है। इसके बाद जल संरक्षण की महती आवश्यकता भी अभी से सामने आने लगी है। जल संरक्षण के लिए नागरिकों में उदासीनता बनी रहती है। इस कारण नागरिकों में जागरूकता बढ़ाने शासन की मंशानुसार जल संरक्षण नगरीय क्षेत्र में अनिवार्य कर दिया गया है, लेकिन वाटर हार्वेस्टिंग प्रोजेक्ट नगरीय क्षेत्र में अनिवार्य रूप से लागू करने के बाद भी अब तक उल्लेखनीय उपलब्धि हासिल नहीं हो सकी है।
औचित्यहीन बनकर रह गई योजना
हकीकत यह है, कि वर्ष २०११ से नियम लागू तो कर दिया गया। लेकिन क्रियान्वयन के अभाव में तथा कागजी खानापूर्ति से योजना औचित्यहीन बनकर रह गई है। ऐसे में सवाल यह उठता है, कि एक ओर जहां शहर के कई वार्ड पानी की समस्या से जुझ रहे है। पेयजल का परिवहन करना पड़ रहा है। वहीं दूसरी ओर पानी की बर्बादी हो रही है। यदि जल संरक्षण के लिए प्रभावी उपाय नहीं किए गए तो जल का गंभीर संकट उत्पन्न हो जाएगा, ऐसे में सेव वाटर की कल्पना साकार नहीं हो सकेगी।
दम तोड़ रही योजना
पर्यावरण में परिवर्तन के साथ वाटर हार्वेस्टिंग किया जाना सरकारी निर्देशों में जरूरी बताया गया है। लेकिन विभाग योजना के क्रियान्वयन में या प्रभावी भूमिका का निर्वहन कब करता है यह समझ से परे हैं। गौरतलब है कि शासन द्वारा जनहित में सैकड़ों योजनाएं तो बना ली जाती है। लेकिन विभागों द्वारा इनका प्रभावी क्रियान्वयन नहीं किए जाने से महत्वकांक्षी योजनाएं दम तोड़ती नजर आती है।
आए हजार से १२ सौ प्रकरण
वर्ष २०११ से नगरीय प्रशासन के निर्देशानुसार नगरीय क्षेत्र में भवन निर्माण हेतु नगरपालिका से अनापत्ति प्रमाण पत्र के साथ भवन में वाटर हार्वेस्टिंग प्रोजेट भी अनिवार्य किया गया है। जिसके अंतर्गत ९ वर्ष में अब तक करीब हजार से १२ सौ प्रकरण ही आए हंै। जिनमें से करीब २५ प्रतिशत को स्वीकृति प्रदान की जा चुकी है।
नगरपालिका की जिम्मेदारी
भवनों में अनिवार्य रूप से वाटर हार्वेस्टिंग का जिम्मा नगर पालिका का है। लेकिन नगर पालिका द्वारा प्लांट लगाने में कोताही बरतकर भवन मालिक को इसे लगाने कहा गया है। इसके साथ ही भौतिक सत्यापन में खानापूर्ति तथा अभाव के कारण महत्वाकांक्षी योजना औचित्यहीन रह गई है।
उदासीन है भवन निर्माता
जल सबके लिए है लेकिन इसके बाद भी जल संरक्षण में नागरिक उदासीनता बरत रहे हैं। यदि भवन निर्माता वाटर हार्वेस्ंिटग प्लांट लगाएं तो कुछ माह में ही जल संकट से निजात मिल सकती है। लेकिन नियम लागू करने के बाद निर्माण संबंधी एनओसी प्राप्त करने में ही नागरिक प्रयासरत है।
:- भवन निर्माता को वाटर हार्वेस्टिंग प्रोजेक्ट स्वयं लगाने पर अमानत राशि नगर पालिका में जमा करनी पड़ती है। जिसकी दर निर्धारित की गई है।
वर्गमीटर वर्गफुट राशि
१४० से २०० १५०० से २१५२ ०७ हजार रुपए।
२०० से ३०० २१५३ से ३२२८ १० हजार रुपए।
३०० से ४०० ३२२९ से ४३०४ १२ हजार रुपए।
४०० से अधिक ४३०५ से अधिक १५ हजार रुपए।
वर्जन
वाटर हार्वेस्टिंग प्लांट लगाने हमारे द्वारा नागरिकों को जागरुक किया जाता है। प्लांट न लगाने पर नक्शा इत्यादि भी पास नहीं किया जाता। जनता को भी इस बात के लिए जागरुक होना चाहिए।
गजानन नाफड़े, सीएमओं नपा

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