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पदों की स्वीकृति नहीं, लेकिन कर दी गई पदस्थापना

locationबालाघाटPublished: Jul 19, 2019 09:03:46 pm

Submitted by:

Bhaneshwar sakure

आयुक्त को दी पद स्वीकृत नहीं होने की जानकारी, शासकीय आयुर्वेद औषधालय किन्ही, देवलगांव का मामला, जिला आयुष अधिकारी ने की है पदस्थापना

balaghat

पदों की स्वीकृति नहीं, लेकिन कर दी गई पदस्थापना

बालाघाट. एक तो पदों की स्वीकृति नहीं उपर से उनमें जिला आयुष अधिकारी द्वारा कर्मचारियों की पदस्थापना की पदस्थापना कर दी गई। विडम्बना यह है कि कर्मचारियों के पद रिक्त नहीं होने की जानकारी आयुक्त संचालनालय आयुष को भी लिखित में दी गई है। इसके बाद कलेक्टर और जिले के प्रभारी मंत्री की अनुसंशा पत्र के आधार पर पद स्वीकृत नहीं होने वाले अस्पताल में कर्मचारियों की पदस्थापना की जाती है। मामला शासकीय आयुर्वेद औषधालय किन्ही और देवलगांव का है।
जानकारी के अनुसार शासकीय आयुर्वेद औषधालय किन्ही और देवलगांव में कम्पाउंडर और स्वास्थ्य कार्यकर्ता के पद स्वीकृत नहीं है। इसकी पुष्टि जिला आयुष अधिकारी द्वारा आयुक्त संचालनालय आयुष भोपाल को भेजी गई जानकारी में भी हो रहा है। दरअसल, आयुक्त ने १ अप्रैल २०१९ की स्थिति में आयुष विभाग के अधीन जिले में संचालित आयुष औषधालय में कार्यरत कर्मचारियों, रिक्त स्थानों की जानकारी मांगी थी। जिसके आधार पर जिला आयुष अधिकारी द्वारा आयुक्त को जिले से ८ स्थानों पर पद स्वीकृत नहीं होने और जिन औषधालय में पदों की पूर्ति है, उसकी जानकारी भेजी थी। लेकिन बाद में जिन स्थानों में पद स्वीकृत नहीं है, वहां पर स्वास्थ्य कार्यकर्ता व कम्पाउंडर का तबादला कर उनकी पदस्थापना कर दी है।
इनकी हुई पदस्थापना
विभाग से मिली जानकारी के अनुसार शासकीय आयुर्वेद औषधालय किन्ही और देवलगांव में आयुर्वेद कम्पाउंडर, महिला आयुर्वेद स्वास्थ्य कार्यकर्ता और औषधालय सेवक के पद स्वीकृत नहीं है। लेकिन जिला आयुष अधिकारी द्वारा किन्ही औषधालय में शासकीय आयुर्वेद चिकित्सालय बैहर में पदस्थ महिला आयुर्वेद स्वास्थ्य कार्यकर्ता मीनाक्षी खोब्रागड़े और देवलगांव औषधालय में पाद्रीगंज औषधालय में पदस्थ कम्पाउंडर रैनेश कुमार धारणे तबादला कर पदस्थ कर दिया है। इनके तबादला और पदस्थापना आदेश में जिले के प्रभारी मंत्री व कलेक्टर द्वारा अनुमोदन किए जाने का उल्लेख किया गया है।
इनका कहना है
दोनों ही अस्पतालों में केवल डॉक्टर का ही पद स्वीकृत है। मौजूदा समय में आयुर्वेद के डॉक्टर नहीं है। ऐसे में दोनों ही केन्द्र बंद होने की स्थिति में थे। जिसके चलते दोनों ही केन्द्रों में स्थानीय स्तर पर कम्पाउंडर व स्वास्थ्य कार्यकर्ता की पदस्थापना की गई है।
-डॉ.दत्रात्रेय एस भदाड़े, जिला आयुष अधिकारी, बालाघाट
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