scriptपक्की नहर की नहीं हो रही तराई | Not being able to become a paved canal | Patrika News

पक्की नहर की नहीं हो रही तराई

locationबालाघाटPublished: May 19, 2019 08:44:23 pm

Submitted by:

mukesh yadav

नहर की गुणवत्ता पर पड़ेगा असर-

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पक्की नहर की नहीं हो रही तराई

कटंगी। मध्यम सिंचाई परियोजना नहलेसरा जलाशय की नहरों के निर्माण में ठेकेदार प्रशासनिक संरक्षण में काफी घटिया निर्माण कार्य कर रहा है। पहले सत्ताधारी नेता की रिश्तेदारी के दम पर ठेका लेने के बाद अब मनमाना तरीके से घटिया निर्माण किया जा रहा है। जिससे नहर की गुणवत्ता पर असर पड़ सकता है। वहीं जिस मंशा से पक्की नहर का निर्माण किया जा रहा है, उस पर ग्रहण लग सकता है। जानकारी के मुताबिक नहलेसरा जलाशय की नहरों का सीसी निर्माण कार्य तो किया जा रहा है, लेकिन नहरों की तराई (पानी डालकर सीमेंट को मजबूत बनाना) बिलकुल भी नहीं की जा रही है। वही इस निर्माण को लेकर जल उपभोक्ता संथा के जनप्रतिनिधि भी खामोश बैठे हुए है। जानकार बताते है कि सही तरीके से तराई न होने से इस भीषण गर्मी में बन रही नहर कुछ महीने बाद ही उखडऩे लगेगी। वहीं नहर की तराई न करने का एक बड़ा कारण यह सामने आ रहा है कि पानी का संकट है। पानी न मिलने के कारण अब तराई को लेकर ठेकेदार ने नियमों का पालन करना बंद कर दिया है।
नहलेसरा जलाशय की नहरों का निर्माण कार्य प्रारंभिक समय से लेकर अभी तक विवादों में है। नहर निर्माण में गुणवत्ता को लेकर पहले भी काफी विवाद हो चुका है। लेकिन नहर निर्माण की गड़बड़ी में नेता और अफसर धृतराष्ट्र की तरह आंख में पट्टी बांधकर बैठे हुए है। नेताओं का कहना है कि आचार संहिता लागु होने की वजह से वह कुछ नहीं कर सकते जबकि अफसरों का कहना है कि वह चुनाव कार्य में व्यस्त है। फिलहाल एक बात समझ नहीं आ रहा है कि क्या आचार संहिता के लगने से नेताओं और अफसरों की जवाबदारी खत्म हो जाती है, जो ठेकेदार इस तरह से पलीता लगा रहा है। गौरतलब हो कि नहर निर्माण के लिए जो मसाला बनाया जा रहा है, उसमें गिट्टी-रेत ज्यादा और सीमेंट का उपयोग कम किया जा रहा है। वहीं दूसरी तरफ उसकी तराई भी नहीं हो रही है। लिहाजा नहर में कई जगह दरारें आ गई है जो कि नहर चालू होते ही सीमेंट की परत उधड़कर बह जाएगी।
प्राप्त जानकारी अनुसार नहलेसरा जलाशय की 29.11 किमी. का नहरों का सुदृढ़ीकरण लाईनिंग एवं सुधार कार्य साल 2015 में स्वीकृत हुआ था। 18 महीने में इस काम को पूरा कर लेना था, लेकिन समय-सीमा समाप्त होने के बाद भी निर्माण पूरा नहीं हो सकता। नहलेसरा जलाशय की पाथरवाड़ा, खैरलांजी, देवथाना, मानेगांव, खजरी, मोहगांव मायनर का निर्माण किया जा रहा है। ताकि क्षेत्र के दर्जनों गांवों के किसानों के खेतों तक आसानी से पानी पहुंचाया जा सकें। लेकिन जल संसाधन विभाग के जिम्मेदार नहर निर्माण में कमीशनबाजी के चलते घटिया और गुणवत्ता विहीन निर्माण कार्य कराकर किसानों की इस महत्वपूर्ण योजना में पलीता लगा रहे हैं, जिसका खामियाजा भविष्य में किसानों को भुगतना पड़ सकता है। जागरूक किसानों ने बताया कि नहर निर्माण के दौरान गुणवत्ता को लेकर काफी लापरवाही बरती जा रहा है। विभाग का कोई भी तकनीकी अधिकारी और कर्मचारी मौके पर मौजूद नहीं रहता। जागरूक किसानों ने नहर की गुणवत्ता की जांच कराने एवं निर्मित हो चुकी नहर की तराई कराने की मांग की है।
इनका कहना है-
काम आगे बढ़ते जा रहा है पीछे तराई भी होती जा रही है। अगर फिर भी कही से कोई शिकायत आती है, तो हम ठेकेदार को तराई करने के निर्देश देते रहते हैं।
घनश्याम मड़ावी, एसडीओ जल संसाधान विभाग कटंगी
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