पारीक ने बताया कि पांच दिन तक चलने वाले इस शिविर में डॉ. राजीव बिश्नोई, डॉ. भावना वर्मा, डॉ. अंकुबाला, डॉ. दीक्षा कथूरिया
सेवाएं दे रही हैं। शिविर में रोगियों के लिए दवा, खाना आदि की व्यवस्था की गई है। पहले दिन 30 रोगियों का क्षार सूत्र विधि से ऑपरेशन किया गया।
क्या है क्षार सूत्र शिविर प्रभारी डॉ. राजकुमार पारीक ने बताया कि विश्व में सर्जरी के जन्मदाता कहे जाने वाले आयुर्वेद के
आचार्य सुश्रुत ने तीन हजार साल पहले एक धागा तैयार करने की विधि विकसित की थी। इसमें भगंदर फिरटुला व बवासीर रोग का इलाज किया जाता है।
अनेक शोध अध्ययनों से यह सिद्व हो चुका है इन रोगों में इस विधि से अच्छी कोई चिकित्सा नहीं है। इस क्षार सूत्र की यह विशेषता होती है कि यह
बवासरी व फिस्टुला में उसके मूल को हाटना व घाव को भरना दोनों कार्य एक साथ करता है। बहुत कम समय में रोगी स्वस्थ हो जाता है।