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क्षारसूत्र विधि है विश्व में सर्जरी की जन्मदाता, तीन हजार साल पुराने धागे से होगा अर्श भगंदर रोग का इलाज

locationबालाघाटPublished: Mar 16, 2017 02:38:00 pm

विश्व में सर्जरी के जन्मदाता कहे जाने वाले आयुर्वेद के आचार्य सुश्रुत ने तीन हजार साल पहले एक धागा तैयार करने की विधि विकसित की थी। इसमें भगंदर फिरटुला व बवासीर रोग का इलाज किया जाता है।

जिला चिकित्सलाय परिसर स्थित लीला धर्मशाला में बुधवार को अर्श भगंदर रोग का आयुर्वेदीय क्षारसूत्र विधि से चिकित्सा शिविर शुरू हुआ। अकुंर मिगलानी ने उद्घाटन किया। शिविर प्रभारी डॉ. राजकुमार पारीक ने बताया कि विभाग के क्षार सूत्र चिकित्सा विशेषज्ञ पवन शर्मा, डॉ. धर्मेंद्र कुमार भर्ती रोगियों की जांच कर उपचार कर रहे हैं। 


पारीक ने बताया कि पांच दिन तक चलने वाले इस शिविर में डॉ. राजीव बिश्नोई, डॉ. भावना वर्मा, डॉ. अंकुबाला, डॉ. दीक्षा कथूरिया सेवाएं दे रही हैं। शिविर में रोगियों के लिए दवा, खाना आदि की व्यवस्था की गई है। पहले दिन 30 रोगियों का क्षार सूत्र विधि से ऑपरेशन किया गया। 


क्या है क्षार सूत्र

शिविर प्रभारी डॉ. राजकुमार पारीक ने बताया कि विश्व में सर्जरी के जन्मदाता कहे जाने वाले आयुर्वेद के आचार्य सुश्रुत ने तीन हजार साल पहले एक धागा तैयार करने की विधि विकसित की थी। इसमें भगंदर फिरटुला व बवासीर रोग का इलाज किया जाता है। 


अनेक शोध अध्ययनों से यह सिद्व हो चुका है इन रोगों में इस विधि से अच्छी कोई चिकित्सा नहीं है। इस क्षार सूत्र की यह विशेषता होती है कि यह बवासरी व फिस्टुला में उसके मूल को हाटना व घाव को भरना दोनों कार्य एक साथ करता है। बहुत कम समय में रोगी स्वस्थ हो जाता है।

 

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