बालाघाट

डंके की चोट पर बिचौलियों से खरीदी जा रही धान

जानकर भी अंजान बन रहे अधिकारी, बता रहे मजबूरी एक सप्ताह में दो बार खरीदी जा चुकी बिचौलियों की धानकिसानों के पंजीयन का फायदा उठाकर लिया जा रहा लाभ

बालाघाटJan 20, 2019 / 05:22 pm

mukesh yadav

डंके की चोट पर बिचौलियों से खरीदी जा रही धान

बालाघाट/उकवा. प्रदेश सरकार द्वारा समर्थन मूल्य में धान खरीदी की तारीख २५ जनवरी तक बढ़ा दी गई है। जिसका पूरा फायदा बिचौलियों द्वारा उठाया जा रहा है। बिचौलिए समित कर्मचारियों से सांठगांठ कर ना सिर्फ डंके की चोट पर अपनी धान का विक्रय कर रहे हैं। बल्कि शासन के निर्देशों की धज्जियां उड़ाते हुए सारे नियम कानून को ठेंगा दिखाने का काम करते नजर आ रहे हैं। पत्रिका द्वारा की गई पड़ताल में ताजा मामला मॉयल नगरी उकवा से सामने आया है। इस मामले में गंभीर विचारणीय तथ्य यह भी सामने आया कि मामले की जानकारी बैहर सहकारी केन्द्रीय बैंक के मैनेजर को देने पर वे स्वयं को असहाय व मजबूर बता रहे हैं। पूरे मामले में मिलीभगत कर किसानों के हक पर डांका डाला जा रहा है।
जानकारी के अनुसार आदिम जाति सेवा सहकारी समिति मर्यादित उकवा के अंतर्गत 3 धान खरीदी केन्द्र आते हैं। इनमें धान खरीदी केन्द्र उकवा, दलदला व चिखलाजोड़ी शामिल है। इन तीन में से दो धान खरीदी केन्द्र उकवा एवं दलदला में आए दिन बिचौलियों से धान खरीदी किए जाने की बात सामने आती है। गत दिवस ही यहां बिचौलिया भागचंद राहंगडाले निवासी पौंडी, विजय हनवन निवासी लीलामेटा और संजय पटेल निवासी लीलामेटा के द्वारा करीब १०० बोरी धान मेटाडोर क्रमांक एमपी ५१ जी ०435 में लोड करवा कर इन केन्द्रों में विक्रय कर दी गई। यह धान स्थानीय किसानों के नाम से ही विक्रय करने के कारण समिति कर्मचारियों द्वारा भी धान का तौल कर रख लिया गया।
निर्देशों की अव्हेलना
जानकारी के अनुसार शासन का नियम है कि उसी किसान का धान लिया जाए, जो किसान अपनी स्वयं की भूमि में धान की फसल लगाया हो। लेकिन शासन के निर्देशों को दर किनार कर अधिकारी-कर्मचारियों से सांठगांठ कर बिचौलियों द्वारा सरेआम धान खरीदी केन्द्र में किसानों के पंजीयन पर धान का विक्रय करने का कार्य किया जा रहा है। हमालों ने नाम ना छापने की शर्त पर बताया की उनके द्वारा एक दिन में करीब दो बार बिचौलियों के की धान, खरीदी कंेद्र उकवा एवं दलदला में मेटाडोर से परिवहन कर लाई जाती है।
दिखावे की साबित हो रही कार्रवाई
जानकारी के अनुसार एसडीएम से लेकर पटवारी तक की जवाबदारी होती है कि कोई भी बिचौलिया अगर फर्जी तरीके से किसानों के पंजीयन में धान विक्रय करता है तो उस किसान के पट्टे में कितना रकबा है, कितनी धान पंजीयन में फर्जी तरीके से तौलाई गई है इसकी जांच की जाए। लेकिन इन केन्द्रों में कुछ दिनों पूर्व ही अधिकारियों ने दौरा किया था। लेकिन उनकी जांच में कोई ऐसे तथ्य सामने नहीं आ पाए। इस कारण अधिकारियों का औचक निरीक्षण व कार्रवाई दिखावे की साबित हो रही है।
जांच की मांग
इस मामले में अनुसूचित जाति विभाग ग्रामीण परसवाड़ा के अध्यक्ष रमेश मेश्राम ने कलेक्टर दीपक आर्य से जांच की मांग की है। इनका कहना है कि यदि किसानों के पंजीयन एवं रकबा तथा भूमि का स्थल निरीक्षण करवाकर खरीदी केन्द्रों में उनके नाम से विक्रय की गई धान की मात्रा की जांच की जाए तो पूरे मामले से पर्दा हट सकता है। उन्होंने शीघ्रता से मामले की जांच करवाए जाने की मांग की है।
वर्सन
खरीदी केन्द्रों में पंजीकृत किसानों की धान ही खरीदी की जा रही है। यदि कोई किसानों के नाम से धान से विक्रय करने आता है तो उसे मना नहीं किया जा सकता है। हालाकि हम इस मामले को दिखवाते हैं।
सीएल खोब्रागढे, ब्रांच मैनेजर जिला सहकारी केन्द्रीय बैहर
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