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घटिया निर्माण की खुल रही पोल, 1 साल में ही क्षतिग्रस्त हुई नहर

locationबालाघाटPublished: Feb 28, 2021 01:20:03 pm

Submitted by:

mukesh yadav

क्षेत्र की मध्यम सिंचाई परियोजना नहलेसरा जलाशय की नहरों में किया गया घटिया निमार्ण कार्य अब धीरे-धीरे उजागर होने लगा है।

घटिया निर्माण की खुल रही पोल, 1 साल में ही क्षतिग्रस्त हुई नहर

घटिया निर्माण की खुल रही पोल, 1 साल में ही क्षतिग्रस्त हुई नहर

कटंगी। क्षेत्र की मध्यम सिंचाई परियोजना नहलेसरा जलाशय की नहरों में किया गया घटिया निमार्ण कार्य अब धीरे-धीरे उजागर होने लगा है। करोड़ों की लागत से एक साल पहले बनी नांदी, कोहका मानइर की पक्की नहरें कई जगहों में क्षतिग्रस्त हो गई है। ठेकेदार मरम्मत करवा रहा है ताकि किसी को घटिया निर्माण के बारे में पता ना चल सकंे। दरअसल, जिले के बड़े नेताओं के संरक्षण में फल-फूल रहे ठेकेदार के द्वारा नहरों का निर्माण करवाया गया था। वहीं अधिकारियों के संलिप्त होने की वजह से नहरों का निर्माण भष्ट्राचार की भेंट चढ़ गया। ठेकेदार ने बेहद ही घटिया तरीके से नहरों का निर्माण किया, इस कारण एक साल के भीतर ही नहरें जगह-जगह से क्षतिग्रस्त होने लगी है और अब इस घटिया निर्माण की मरम्मत कराकर लीपा-पोती की जा रही है। लेकिन किसानों की मांग है कि नहरों के निर्माण की वरिष्ट अधिकारी द्वारा जांच कराई जाए और दोषी ठेकेदार के खिलाफ उचित कार्रवाई। वहीं जल संसाधन विभाग के अफसर भी लिखित शिकायत का इंतजार कर रहा है जैसे उनका आंखों देखा भी झूठा हो।
उल्लेखनीय है कि नहलेसरा जलाशय की नांदी और कोहका माइनर के निर्माण में काफी अनियमितता बरती गई है। जिसे लेकर किसानों के द्वारा शुरू से ही विरोध जताया जाता रहा है। लेकिन अधिकारियों ने कभी भी इसकी सुध नहीं ली। जिसका नतीजा यह हुआ कि ठेकेदार अपनी मनमानी से घटिया निर्माण करता चला गया और पूरी नहर भष्ट्राचार की बलि चढ़ गई। इस तरह के सरकारी निर्माण कार्य करने वाले जानकार बताते हंै कि नहरों के निर्माण के लिए जो मापदंड तय किए गए थे उनकी अनदेखी कर निर्माण किया गया। गौर करने वाली बात यह है कि इन नहरों में अब तक केवल गिनती के ही जलाशय का पानी छोड़ा गया है और नहर क्षतिग्रस्त हो गई।
बता दें कि जब से नहलेसरा जलाशय का निर्माण हुआ तब से पहली बार इसकी सभी नहरों को सीमेंटीकरण किया गया। लाखों रुपए की राशि खर्च कर डेम की नहरों का सीमेंटीकरण तो किया गया, लेकिन सारी गिट्टियां और रेत बिखर गई। जानकार बताते हंै कि घटिया निर्माण का अंदाजा नहरों की हालत को देखकर आसानी से लगाया जा सकता है।
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