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तीन सौ की आबादी, एक हैंडपंप, कैसे बुझेगी प्यास

locationबालाघाटPublished: Oct 20, 2021 10:28:55 pm

Submitted by:

Bhaneshwar sakure

आदिवासी बैगा पेयजल के लिए होते हैं परेशानबैहर क्षेत्र के बाहेटोला का मामला

तीन सौ की आबादी, एक हैंडपंप, कैसे बुझेगी प्यास

तीन सौ की आबादी, एक हैंडपंप, कैसे बुझेगी प्यास

बालाघाट/मंडई. तीन सौ की आबादी और एक हैंडपंप। इसी हैंडपंप के सहारे पूरे गांव के ग्रामीण अपनी प्यास बुझाते हैं। विडम्बना यह है कि यहां ग्रामीणों को हर मौसम में पानी के लिए संघर्ष करना पड़ता है। ग्रामीणों की यह जद्दोजहद वर्ष २०१४ से लगातार बनी हुई है। ऐसा नहीं कि ग्रामीणों ने पेयजल की समस्या के लिए जनप्रतिनिधियों व प्रशासनिक अधिकारियों का दरवाजा नहीं खटखटाया होगा। यहां दरवाजे पर दस्तक देने के बाद भी न तो किसी ने इसे गंभीरता से लिया और न ही समस्या का समाधान हो पाया। आज भी ग्रामीण एक हैंडपंप के सहारे तीनों ही मौसम में अपनी प्यास बुझाते हैं। मामला जिले के आदिवासी अंचल बिरसा के ग्राम पंचायत हर्राभाट के चरचेंडी के बाहेटोला का है। यह गांव कान्हा नेशनल पार्क के वनग्राम झोलर से बैगा आदिवासी परिवारों को विस्थापित कर बसाया गया है।
ग्रामीणों के अनुसार कान्हा नेशनल पार्क के अंतर्गत वनग्राम झोलर से बैगा आदिवासी परिवार को शासन ने वर्ष २०१४ में ग्राम पंचायत हर्राभाट के चरचेंडी के बाहेटोला में विस्थापित किया था। तब से लेकर अभी तक यहां बैगा आदिवासी परिवार निवास कर रहे हैं। यहां पर करीब ५० बैगा परिवार को विस्थापित किया गया है। लेकिन इन्हें उस समय कुछ सुविधाएं मुहैया नहीं कराई गई। जिसमें मुख्य रुप से पानी की समस्या भी शामिल है।
ग्रीष्म ऋतु में होते हैं परेशान
यहां के ग्रामीण ग्रीष्म ऋतु में सबसेे ज्यादा परेशान होते हैं। यह परेशानी उस समय ज्यादा बढ़ जाती है जब हैंडपंप हवा उगलने लगता है। इस दौरान उन्हें दूर से ढोकर पानी लाना पड़ता है। वैसे भी इन ग्रामीणों को पानी के लिए रोजाना ही संघर्ष करना पड़ता है। ग्रामीणों ने अनेक बार पेयजल और बिजली की समस्या समाधान किए जाने के लिए आवेदन दिया है, लेकिन आज तक इस समस्या का समाधान नहीं हो पाया है।
पंचायत भी नहीं लेती सुध
ग्रामीणों का कहना है कि पंचायत भी पानी की समस्या के समाधान के लिए कोई सुझ नहीं लेती है। एक तो वे विस्थापित हैं उपर से उन्हें किसी भी प्रकार की सुविधाएं मुहैया नहीं कराई गई है। उन्होंने यह भी बताया कि पास के गांव में एक कुंए के सहारे पानी की आपूर्ति होती है।
इनका कहना है
वर्ष २०१४ में कान्हा नेशनल पार्क से विस्थापित किया गया है, तब से लेकर आज तक बाहेटोला में पानी की समस्या बनी हुई है। यहां पर करीब ५० बैगा परिवार निवास करते हैं।
-सोमलाल, बाहेटोला निवासी
पानी सहित अन्य समस्याओं के निराकरण के लिए अनेक बार जनप्रतिनिधियों, अधिकारियों से निवेदन कर चुके हैं। लेकिन किसी ने अभी तक इस समस्या का समाधान नहीं किया है।
-हरिचंद धुर्वे, बाहेटोला निवासी
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