सोनेवानी अभयारण्य का प्रस्ताव निरस्त, शासन ने जारी किया आदेश
बालाघाटPublished: Jul 21, 2023 10:20:41 pm
अभयारण्य के प्रस्ताव का आयोग अध्यक्ष बिसेन ने खुलकर किया था विरोध, पत्रिका ने भी उठाया था मुद्दा


बालाघाट. प्रदेश सरकार ने सोनेवानी अभयारण्य के प्रस्ताव को निरस्त कर दिया है। इसके आदेश भी जारी हो गए हैं। शासन के वन मंत्रालय के पदेन उपसचिव अनुराग कुमार यह आदेश जारी किया है। जारी आदेश में आरक्षित वनों को अभयारण्य के रुप में अधिसूचित किए सोनेवानी अभयारण्य के गठन का प्रस्ताव निरस्त करने का उल्लेख किया है। सोनेवानी को अभयारण्य नहीं बनाए जाने को लेकर पत्रिका ने भी मुहिम छेड़ी थी। सात माह बाद पत्रिका की मुहिम ने रंग लाई है।
शुक्रवार को स्थानीय सर्किट हाउस में पत्रकारों से चर्चा करते हुए पिछड़ा वर्ग कल्याण आयोग अध्यक्ष गौरीशंकर बिसेन ने कहा कि सोनेवानी अभयारण्य को लेकर उनके प्रयासों को सफलता मिली है। शासन ने सोनेवानी को अभयारण्य बनाए जाने के प्रस्ताव को निरस्त कर दिया है। उन्होंने स्वीकार किया है कि सोनेवानी अभयारण्य में वन्यजीव हैं। बाघ का यहां विचरण होता है, उसने शिकार और हमला भी किया है। यह छोटी जगह अभयारण्य की दृष्टि से नुकसानदेह है। जिसके चलते उन्हें इसका विरोध करना पड़ा। उन्हें खुशी है कि वे इसमें कामयाब भी रहे।
उन्होंने कहा कि सोनेवानी, नवेगांव और चिखलाबड्डी जैसे अन्य ग्राम में निवासरत आदिवासी बैगा और ग्रामीण वन्यजीवों से उनकी फसलों को होने वाले नुकसान से परेशान हैं। वह चाहते हैं कि उन्हें सामान्य क्षेत्र में ले जाया जाए। जिसका भी वह समर्थन करते हैं और प्रयास करेंगे कि उनका विस्थापन नीतिगत तरीके से हो सके। सोनेवानी अभयारण्य को लेकर असमंजस की स्थिति उसके निरस्त प्रस्ताव के साथ ही खत्म हो गई है। यदि सीमित दायरे में वन्यप्राणियों को रखने की कोई योजना बनाई जाती है तो मैं तैयार हूं और प्रयास भी करूंगा।
आयोग अध्यक्ष बिसेन ने बताया कि सोनेवानी अभयारण्य नहीं बनाने में विधायकों का भी सहयोग रहा है। जिसमें बरघाट विधायक अर्जुन काकोडिय़ा, सिवनी विधायक मुनमुन राय, कटंगी विधायक तामलाल सहारे मुख्य रुप से शामिल है। उन्होंने कहा उन्हें बड़े दुख के साथ कहना पड़ा था कि उनकी लाश पर ही अभयारण्य बनेगा। दरअसल, सोनेवानी का पूरा भाग बालाघाट विधानसभा क्षेत्र में आता है, जिस पर निर्णय लेने का अधिकार केवल और केवल बालाघाट विधानसभा के जनप्रतिनिधि का है, वहां बाहरी क्षेत्र के जनप्रतिनिधि हस्तक्षेप करें, यह स्वीकार्य नहीं है।