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पक्की नहरें बनी लेकिन जलाशय का नहीं हुआ गहरीकरण

locationबालाघाटPublished: Apr 04, 2019 03:53:35 pm

Submitted by:

mukesh yadav

जमुनिया जलाशय टापू में तब्दील

talab news

पक्की नहरें बनी लेकिन जलाशय का नहीं हुआ गहरीकरण

कटंगी। क्षेत्र की ब्रिटिश कालीन मध्यम सिंचाई परियोजना जमुनिया जलाशय हमेशा से ही आजाद भारत में शासन एवं प्रशासनिक उपेक्षा का शिकार रहा है। इसकी एक बानगी पहले भी देखी जा चुकी है। 20 अगस्त 2002 को यह जलाशय जीर्णोद्वार की राह देखते हुए फुट चुका है और इस जलाशय के फुटने से प्रभावित पीडि़तों के दिमाग में आज भी उस त्रासदी की तस्वीरें कैद है। हालाकि इस घटना के बाद जलाशय का नव निर्माण तो कर दिया गया और चंद सालों तक सब-कुछ पहले जैसा ही रहा। लेकिन बीते 10 सालों से विभाग और सरकार फिर इस जलाशय की अनदेखी कर रहा है। जिसके चलते जलाशय के अस्तित्व पर संकट के बादल मंडरा रहे है। जलाशय का वर्षो से गहरीकरण नहीं होने के कारण ज्यादा से ज्यादा बारिश होने के बाद भी इसमें पर्याप्त मात्रा में जल संरक्षण नहीं हो पा रहा है। जिससे सिंचाई प्रभावित हो रही है। गर्मी के दिनों में यह जलाशय पुरी तरह से सुख जाता है। अभी अप्रैल के शुरूआती दिनों में जलाशय टापू का रूप धारण कर चुका है। इसकी मौजूदा तस्वीर भविष्य के खतरे को स्पष्ट कर रही है।
इस जलाशय के निर्माण का मुख्य उद्देश्य खेतों में फसलों की सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध कराना है। इसके अलावा जलाशय वन्यप्राणियों के पेयजल का मुख्य साधन है। विभाग के अनुसार जलाशय की खजरी, बिरसोला, बीसापुर, उमरी, अर्जुनी, बुदबुदा, बडग़ांव, पाथरवाड़ा माइनर से होते हुए करीब आधा सैकड़ा गांवों के खेतों में सिंचाई के लिए पानी पहुंचाया जाता है। लेकिन जल संरक्षण के अभाव में सभी गांवों तक पानी नहीं पहुंच पा रहा है। जिसके चलते विभाग ने पक्की नहरों का निर्माण करवाकर इसका उपाय करने की कोशिश की। लेकिन हकीकत तो यह है कि जब तक जलाशय का गहरीकरण नहीं होता, खेतों तक पानी पहुंच पाना काफी मुश्किल है। ज्ञात हो कि इस जलाशय की देख-रेख और संचालन की जिम्मेदारी राज्य के जल संसाधन विभाग के पास है। मगर, विभाग इस जलाशय को लेकर गंभीर नहीं है। नहरों के निर्माण पर करोड़ों रुपए खर्च किए जा रहे हैं। लेकिन जलाशय का गहरीकरण नहीं किया जा रहा है।
जमुनिया जलाशय कभी अपनी सुंदरता और भराव क्षमता के लिए काफी मशहुर था। लेकिन करीब 1 दशक से यह गर्मी के मौसम में एक-एक बूंद पानी के लिए तरस जाता है। खेतों की सिंचाई के लिए पानी का बड़ा जलस्रोत जमुनिया अब साल-दर-साल सिकुड़ते जा रहा है। जल संसाधन विभाग के आला-अफसर और विभागीय मंत्री के ध्यान नहीं देने तथा जलाशय संवर्धन कार्य को गंभीरता से न लेने का नतीजा है कि इस जलाशय में कई फीट तक गाद भर चुकी है, जिससे बारिश का पानी पर्याप्त मात्रा में संग्रहित नहीं हो पा रहा है। जलाशय में अब पुरे साल भर भी पानी नहीं रहता। गर्मी के दिनों में पानी पूरी तरह से सुख जाता है। ग्रामीणों की माने तो गर्मी के मौसम मवेशियों को पानी के लिए भटकना पड़ता। समय बीतने, कीचड़ की गाद जमने, समय समय पर सफाई के अभाव में तथा जलाशय की जमीन पर खेती करने वालों की बदनीयती जैसे कारणों से इस जलाशय का अस्तित्व वर्तमान समय में खतरे में आ गया है।
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