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राशन कार्ड बना न जाति प्रमाण, कैसे मिले योजनाओं का लाभ

locationबालाघाटPublished: Nov 09, 2019 06:54:50 pm

Submitted by:

Bhaneshwar sakure

बैगा जनजाति की महिलाओं को भी नहीं मिल पा रही है पोषण आहार की राशि, राशनकार्ड, जाति प्रमाण-पत्र और अन्य आवश्यक दस्तावेज बनवाए जाने भटक रहे बैगा

राशन कार्ड बना न जाति प्रमाण, कैसे मिले योजनाओं का लाभ

राशन कार्ड बना न जाति प्रमाण, कैसे मिले योजनाओं का लाभ

बालाघाट. न तो राशन कार्ड न जाति प्रमाण और न ही जरुरत के अन्य दस्तावेज। दस्तावेजों के बगैर न तो सरकारी योजनाओं का लाभ मिल पा रहा है और न ही ग्रामीण अन्य कार्य कर पा रहे हैं। मामला जिले के दक्षिण बैहर क्षेत्र के आदिवासी वनांचल ग्रामों का है। विडम्बना यह है कि इन ग्रामों की अतिपिछड़ी विशेष जनजाति की बैगा महिलाओंं को शासन से मिलने वाली पोषण आहार की राशि भी नहीं मिल पा रही है। महिलाओं ने अनेक बार गुहार भी लगाई, लेकिन समस्या का निराकरण नहीं हो पाया। समस्या आज भी जस की तस बनी हुई है।
जानकारी के अुनसार जनपद पंचायत बिरसा के अंतर्गत आने वाले ग्राम पंचायत अडोरी के कुंडेकसा, कुसरी, घूम्मूर बिठली पंचायत व आसपास के क्षेत्र में निवास कर रहे सैकड़ों बैगा परिवार ऐसे हंै जो दस्तावेज के अभाव में शासन की महत्वपूर्ण योजनाओं से वंचित है। ऐसे में इस अतिपिछड़ी जनजाति को संरक्षित और बचाकर रखने की शासन प्रशासन की कोशिश पर पलीता लगता दिखाई दे रहा है। विदित हो कि प्रदेश की पूर्ववर्ती सरकार द्वारा शुरू की गई पोषण आहार व अच्छे खानपान के लिए बैगा महिलाओं को एक हजार रूपए प्रतिमाह देने की योजना प्रारंभ की गई थी। जिसके तहत कुछ महिलाओं को ही एक हजार रूपए प्रतिमाह मिल रहा है। जबकि सैकड़ों बैगा महिलाएं आज भी इस योजना से वंचित है। ग्रामीणों ने बताया कि उनके पास स्थायी जातिप्रमाण पत्र नहीं है जिसके कारण उन्हें इस योजना से वंचित होना पड़ रहा है। उन्होंने बताया कि जाति प्रमाण पत्र बनवाए जाने के लिए बकायदा गांव से 40-45 किलोमीटर दूर तहसील मुख्यालय बिरसा में अनेक बार चक्कर काट लिए है। लेकिन प्रमाण पत्र नहीं बन पाया है।
नवदंपत्तियों के नहीं बन पाए राशन कार्ड
क्षेत्र में निवासरत बैगा परिवार के नव दंपत्तियों ने बताया कि उनका विवाह होने के बाद वे परिवार वाले हो चुके हैं। अपने भाई और माता-पितासे अलग अपना जीवन यापन कर रहे है। लेकिन उनका राशन कार्ड अभी तक नहीं बन पाया है। 40-45 किलोमीटर दूर बिरसा तहसील कार्यालय और लोकसेवा केंद्र के चक्कर काटने के बाद भी इस समस्या का समाधान नहीं हो पाया है। राशन कार्ड नहीं बनने की वजह से उन्हें अनेक योजनाओं से वंचित होना पड़ रहा है।
जागरुकता की कमी
बैगा आदिवासी परिवारों में जागरुकता की कमी है। अधिकतर बैगा परिवार अशिक्षित है और इन्हें कहां से क्या बनवाना है, कैसे दस्तावेज बनाना है, इसकी जानकारी नहीं है। इस कारण बैगा जनजाति के लोग दस्तावेजों के आभाव में जीवन गुजार रहे है।
इनका कहना है
राशन कार्ड के लिए बार-बार बिरसा मुख्यालय के चक्कर काट रहे हैं, लेकिन अभी तक समस्या का समाधान नहीं हो पाया है। राशन कार्ड के आभाव में राशन नहीं मिलता। पांच साल पहले मेरी शादी हो चुकी है। अब मुझे परिवार के भरण-पोषण में परेशानी होती है।
-महेश बैगा, कुंडेकसा निवासी
गांव की कुछ महिलाओंं को एक हजार रुपए की राशि मिल रही है। मुझे आज तक एक पैसा भी नहीं मिला है। इस योजना का लाभ लेने के लिए प्रमाण पत्र बनवाने के लिए बोले है। अनेक बार प्रमाण पत्र बनवाने के लिए प्रयास भी किए, लेकिन नहीं बन पाया।
-चैती बाई बोंदारी
इस क्षेत्र में अनेक परिवारों के राशन कार्ड नहीं बने है। बैगा महिलाओं को एक हजार रुपए की राशि भी नहीं मिल पा रही है। अधिकांश ग्रामीणों का स्थायी जाति प्रमाण पत्र नहीं बन पाया है। इस कारण से बैगा आदिवासी महिलाएं योजनाएं से वंचित है।
-तातूसिंह धुर्वे, पूर्व सरपंच सोनगुड्डा
दस्तावेज संबंधी समस्या के निराकरण के लिए शिविर लगाए जाते हैं। आपके द्वारा जिन ग्रामों का नाम बताया गया है, वहां जल्द ही शिविर लगाकर ग्रामीणों को आवश्यक प्रमाण पत्र बनवाकर प्रदान किए जाएंगे। ताकि उन्हें योजनाओं का लाभ मिल सकें।
-दीपक आर्य, कलेक्टर

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