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MP Election 2018 : साले-साहब को हराने के लिए पूरी ताकत झोंक रहे मुख्यमंत्री शिवराज

locationबालाघाटPublished: Nov 23, 2018 12:12:10 pm

Submitted by:

mantosh singh

वारासिवनी से मंतोष कुमार सिंह

sanjay singh masani and shivraj singh chauhan

MP Election 2018 : साले-साहब को हराने के लिए पूरी ताकत झोंक रहे मुख्यमंत्री शिवराज

वारासिवनी विधानसभा क्षेत्र की सियासत सबसे ज्यादा गर्म है। इसकी मुख्य वजह दो रिश्तेदारों की लड़ाई है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के साले-साहब संजय सिंह मसानी कांग्रेस से चुनाव लड़ रहे हंै। मसानी को हराने के लिए स्वयं मुख्यमंत्री ने कमर कस ली है। जिले में दो बार चुनावी सभा भी कर चुके हैं। सीएम ने निर्दलीय प्रत्याशी गौरव सिंह पारधी को भाजपा खेमे में कर लिया है। चुनावी सभा में पारधी ने भाजपा को समर्थन देने की घोषणा की है। पारधी के इस निर्णय से चुनावी समीकरण बदल गया। मतदाताओं के साथ-साथ क्षेत्र में भी पारधी की अच्छी दखल है। वे भाजपा और कांग्रेस दोनों को टक्कर दे रहे थे। पारधी के इस निर्णय से उनके समर्थक नाराज और कांग्रेसी चिंतित हैं। कांग्रेस से टिकट नहीं मिलने से नाराज पूर्व विधायक प्रदीप जायसवाल निर्दलीय ताल ठोक रहे हैं। भाजपा से डॉ. योगेंद्र निर्मल भी ऐड़ी-चोटी का जोर लगा रहे हैं। ऐसे में मुकाबला दिलचस्प और कांटे का हो गया है।

वारासिवनी क्षेत्र में चुनावी शोर अन्य विधानसभा क्षेत्र की अपेक्षा काफी ज्यादा है। गांवों में भ्रमण के दौरान चुनावी बैनर और प्रचार की गाडिय़ां खूब देखने को मिल रही हैं। आलेझरी गांव के लोग नेताओं के पाला बदलने पर चटकारे ले रहे हैं। विजयकुमार दुबे का कहना है कि चुनाव आते-जाते रहे हैं, लेकिन समस्याएं आज भी जस की तस हैं। आधे ही घरों में शौचालय का निर्माण हुआ है। कई जगह मात्र गड्ढे खोदकर छोड़ दिए गए हैं। 10 से 15 साल पहले निर्मित शौचालय के नाम पर भुगतान कर दिया गया है, जिनका बनना है उन्हें पैसे नहीं दिए गए। सोमवीर सिंह का कहना है कि बेरोजगारी और पलायन सबसे बड़ी समस्या है।

उद्योग-धंधे नहीं होने के कारण बड़ी संख्या में लोग काम की तलाश में हैदराबाद और अन्य जगह जाते हैं। चर्चा में यह बात भी सामने आई कि दिवाली पर घर आए लोगों को मतदान के लिए रोक लिया गया है। हार-जीत में अपनी भूमिका निभाकर वे फिर हैदराबाद या अन्य शहरों के लिए रवाना हो जाएंगे। आधे घंटे की चर्चा में ग्रामीणों का गुस्सा बाहर आ गया। जनप्रतिनिधियों से नाराज जानकीबाई भी अपनी बात रखने के लिए पहुंचीं। उन्होंने कहा कि हमारे पास न घर है और न ही रोजगार। आज तक न तो गरीबी रेखा और न ही श्रमिक कार्ड बना है। मात्र तीन सौ रुपए की पेंशन पर कैसे गुजारा होगा। चुनाव के समय वोट मांगने के लिए सभी आ रहे हैं। चुनाव होते ही कहने लगते हैं कि तुमको नहीं जानते।

चुनावी शोर के बीच कायदी के लोग रोजमर्रा के काम में लगे हुए हैं। गांव के मध्य स्थित एक दुकान पर कई लोग मौजूद हैं। चुनावी समीकरण के सवाल पर बुजुर्ग जयकिशन नेवारे कहते हैं, कायदी में सभी दलों को वोट मिलता है, लेकिन इस चुनाव में मतदाता नेताओं के दल बदलने से कन्फ्यूज हैं। कृष्ण कुमार का कहना है कि सभी घरों में शौचालय का निर्माण नहीं हुआ है। गरीबों को पट्टा तक नहीं दिया गया है। आवास योजना का लाभ भी उन्हीं लोगों को मिला है जो नेताओं के करीबी हैं।

प्रत्याशियों की ताकत और कमजोरी
डॉ. योगेन्द्र निर्मल (भाजपा)
ताकत- वर्तमान विधायक। क्षेत्र में लगातार सक्रिय। सरकार की योजनाओं का बेहतर क्रियान्वयन। पार्टी पदाधिकारियों का एकजुट होना। ईमानदार छबि।

कमजोरी– पार्टी कार्यकर्ताओं की नाराजगी। क्षेत्र में बड़े विकास कार्य नहीं कर पाना। जनता की नाराजगी।

संजय सिंह मसानी (कांग्रेस)
ताकत- सामाजिक व जनहितैषी कार्य। जनता के बीच अच्छी छबि। क्षेत्र में लगातार सक्रिय।
कमजोरी- पार्टी कार्यकर्ताओं को एकजुट नहीं कर पाना। अचानक कांग्रेस की सदस्यता लेने से विरोध का सामना। बाहरी प्रत्याशी होना।

इनका कहना है
सबका साथ-सबका विकास के मुद्दे के साथ इस बार चुनाव लड़ा जा रहा है। प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनते ही वारासिवनी क्षेत्र की सभी समस्याओं का निराकरण कर दिया जाएगा।
– संजय सिंह मसानी, कांग्रेस प्रत्याशी


विकास कार्य और प्रदेश व केन्द्र सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं को लेकर चुनाव लड़ा जा रहा है। पूरा विश्वास है कि इस बार भी भाजपा की सरकार सत्तासीन होगी।
-डॉ. योगेन्द्र निर्मल, भाजपा प्रत्याशी

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