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स्कूल विधि अधिनियम का निजी स्कूल संचालकों ने किया विरोध

locationबालाघाटPublished: Jul 21, 2018 08:50:09 pm

Submitted by:

mantosh singh

जिले के सभी विकासखंडो से अशासकीय स्कूलों के संचालकों ने कलेक्टर कार्यलय पहुंच स्कूल विधि अधिनियम के खिलाफ कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा।

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स्कूल विधि अधिनियम का निजी स्कूल संचालकों ने किया विरोध

बालाघाट. जिले के सभी विकासखंडो से अशासकीय स्कूलों के संचालकों ने कलेक्टर कार्यलय पहुंच स्कूल विधि अधिनियम के खिलाफ कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा। आक्रोशित स्कूल संचालकों ने आदेश की कापी जलाकर अपना विरोध जताया।
इस संबंध में निरंजन बिसेन ने बताया कि शासन जो 25 जुलाई के बाद स्कूल विधि अधिनियम लागू करने जा रही है। इसका अशासकीय स्कूलों के सभी संचालक विरोध करते है। ज्ञापन के माध्यम से शासन को अवगत कराना चाहते है कि शासन को 25 जुलाई से फीस प्रतिपूर्ति के नियम जो सरकार प्रांरभ करने वाली है उसे लागू नही किया जाए। फीस प्रतिपूर्ति के नियम जो वर्तमान में बनाए गए है उसे वापस लिया जाए। इस नियम के तहत स्कूल की शुल्क बढ़ाना है तो शासन से अनुमति लेना होगा। हमें अपने स्कूल के लिए शिक्षकों की वेतन व मरम्मत खर्च के चलते थोड़ी फीस बढ़ाना पड़े तो शासन से अनुमति लेना होगा। शासन अशासकीय स्कुलों को महानगरों के स्कूलों के नजरिया से देख रही है। उन्होंने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में संचालित स्कलों में शुल्क अधिकतम 50 से 100 रुपए होती है। उन्होंने कहा कि इन परस्थितियों मे शासन द्वारा लाया जा रहा काला कानून का सभी निजी स्कूलों के संचालक विरोध करते है।
ई अटेन्डेंस समाप्त करने अध्यापक शिक्षक हुए एकजुट
शिक्षक अध्यापक संयुक्त शैक्षणिक मोर्चा के द्वारा ई अटेन्डेंस व्यवस्था समाप्त करने मुख्यमंत्री के नाम अनुविभागीय अधिकारी को ज्ञापन सौंपा गया। शिक्षकों ने कहा कि ई अटेन्डेंस का सभी शिक्षक विरोध करते है। इस दौरान संघ के पदाधिकारियों ने कहा कि ई अटेन्डेंस का आदेश शिक्षा विभाग/जनजाति कार्य विभाग में ही लागू किया गया है। अन्य विभागों में आदेश नहीं जारी किया गया जिससे समस्त शिक्षक व अध्यापक अपने को अपमानित महसूस कर रहे है। भौगोलिक विषमताओं के चलते मोबाइल नेटवर्क की अनेक समस्याएं व्याप्त है। ई अटेन्डेंस से एण्ड्राइड मोबाइल व डाटा के लिए अतिरिक्त व्यय भार आएंगा। वरिष्ठ कर्मचारी जो एण्ड्राइड मोबाइल चलाना नहीं जानते उनके लिए अनावश्यक परेशानी का सबब बनता जा रहा है। जिसके चलते शिक्षक मानसिक दबाव महसूस कर रहे है। उन्होंने मुख्यमंत्री से मांग की है कि एम शिक्षा मित्र एप के माध्यम से ई अटेन्डेंस व्यवस्था को तत्काल समाप्त करने के आदेश प्रसारित किया जाए।
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