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कहीं बिना जांच के तो जारी नहीं हो रहे वाहनों के फिटनेस सर्टिफिकेट

locationबालाघाटPublished: May 25, 2023 09:19:03 pm

Submitted by:

mukesh yadav

दमोह जैसी घटनाओं से भी सीख नहीं ले रहे जिम्मेदार
नियमों को दरकिनार कर दौड़ाए जा रहे कमर्शियल वाहन

कहीं बिना जांच के तो जारी नहीं हो रहे वाहनों के फिटनेस सर्टिफिकेट
कहीं बिना जांच के तो जारी नहीं हो रहे वाहनों के फिटनेस सर्टिफिकेट
बालाघाट. प्रदेश के दमोह जिले में घटित हुए हृदय विदारक हादसे ने वहां के परिवहन विभाग की बड़ी लापरवाही को उजागर किया है। ऐसी यात्री बस को फिटनेस सर्टिफिकेट जारी कर दिया गया, जो यात्रियों का भार संभालने लायक तक नहीं थी। परिणाम स्वरूप चलती बस का फर्श टूटने से बस में सवार एक मासूम बस के पहिए में आ गया और उसकी मौत हो गई। इस हादसे के बाद प्रदेश के अन्य जिलों का परिवहन अमला तो हरकत में आया, लेकिन बालाघाट का आरटीओ अमला अब भी गहरी नींद में नजर आ रहा है।
बालाघाट जिले में भी ऐसे कडंम हो चुके जर्जर कमर्शियल वाहनों को फर्राटा भरते देखा जा सकता है, जो फिटनेस मापदंडों में कतई खरा नहीं ठहराए जा सकते हैं। बावजूद इसके आरटीओ ने इन्हें एनओसी दे रखी हैं और वाहन सडक़ों पर दौड़ाए जा रहे हैं। पत्रिका ने ऐसे ही वाहनों को लेकर पड़ताल की। इस दौरान सबसे अधिक बुरे हाल ट्रकों के नजर आए। वहीं यात्री बसों को लेकर बनाए गए नियम भी हवा होते दिखाई दिए।
दशकों पुराने वाहनों का उपयोग
जिले में वन संपदाओं के परिवहन कार्य कार्य में लगे दस चका जर्जर वाहनों को देखकर ही उनकी फिटनेस का अंदाजा लगाया जा सकता है। मंगलवार को बालाघाट नैनपुर मार्ग पर ऐसा ही एक दस चका वाहन (ट्रक) बिगड़ी हालत में नजर आया। ट्रक का सुधार कार्य किया जा रहा था। कर्मचारियों से जानकारी लेने पर सामने आया कि 20 से 25 वर्ष पुराना होने के बावजूद उनके वाहन को फिटनेस सर्टिफिकेट दिया गया है। वहीं ट्रक का व्यवसायिक उपयोग भी किया जा रहा है। इसी तरह कुछ एक वाहन शहर के सरेखा पास में खड़ा हुआ है। देखने में अनफिट लगने के बावजूद इसे भी व्यवसायिक उपयोग में लिया जा रहा है।
यात्री बसों से फिटनेस सूची गायब
बस स्टैंड से चलने वाली यात्री बसों में भी नियमों की नाफरमानी स्पष्ट नजर आती है। परिवहन विभाग के नियमानुसार सभी यात्री बसों के आगे कांच पर फिटनेस सर्टिफिकट चस्पा होना चाहिए। वहीं वैधता की तारीख भी अंकित की जानी चाहिए। लेकिन वर्तमान में एक बस में भी इस नियम का पालन नहीं किया जा रहा है। ऐसे में इन यात्री बसों के फिटनेस सर्टिफिकेट है भी या नहीं कुछ कहां नहीं जा सकता है। नियमों की सरेआम अव्हेलना कर दौड़ाई जा रही ऐसी बसों पर जिला परिवहन विभाग भी पूरी तरह से मेहरबान नजर आता है। तभी तो कार्रवाई तो दूर परिवहन विभाग ने इन बसों की जांच करना तक मुनासिब नहीं समझा है।
यह है नियम
:- बसों में सबसे मुख्य किराया सूची चस्पा होनी चाहिए।
:- बस के आगे कांच पर फिटनेस सर्टिफिकट चस्पा होना चाहिए।
:- यात्रियों की सुविधा के लिहाज से अग्निशामक यंत्र रहना चाहिए।
:- 32 सीटर बस या उससे अधिक सीटर की बसों में दो गेट होना चाहिए।
:- बस संचालक व परिचालक को ड्रेस में रहना चाहिए।
वर्जन
जिन बसों की कांच में जानकारियां अंकित नहीं की गई हैं या पुरानी तिथि अंकित है, उन्हें सुधार के निर्देश दिए जाएंगे। समय-समय पर चेकिंग भी की जाती है। जांच करने के बाद ही वाहनों के फिटनेस सर्टिफिकेट जारी किए जाते हैं।
अनिमेष गढ़पाल, जिला परिवहन अधिकारी
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