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कहीं मार्ग हुआ क्षतिग्रस्त तो कहीं एप्रोच मार्ग धसक रहा

locationबालाघाटPublished: Aug 18, 2019 09:02:14 pm

Submitted by:

Bhaneshwar sakure

बारिश में नक्सल प्रभावित ग्रामों का टूट रहा सड़क संपर्कग्रामीणों को आवागमन में हो रही परेशानी

balaghat

कहीं मार्ग हुआ क्षतिग्रस्त तो कहीं एप्रोच मार्ग धसक रहा

बालाघाट. बारिश आदिवासियों के लिए अनेक समस्याएं लेकर आती है। बारिश के दिनों में कहीं पुल का एप्रोच मार्ग धसक जाता है तो कहीं रोड जर्जर हो रही है। आलम यह है कि ऐसे मार्ग में ग्रामीण बमुश्किल आवागमन कर पा रहे हैं। इतना ही नहीं इस मार्ग से चौपहिया वाहनों का आवागमन पूरी तरह से बंद हो गया है। इस समस्या के चलते बारिश के दिनों में दो दर्जन से अधिक गांवों के ग्रामीणों का अन्य क्षेत्रों से सड़क संपर्क भी टूट जाता है। मामला दक्षिण बैहर क्षेत्र के अतिनक्सल प्रभावित पित्तकोना-चौरिया-चिलोरा मार्ग का है।
जानकारी के अनुसार नक्सल प्रभावित क्षेत्र पित्तकोना से चौरिया-चिलौरा मार्ग का निर्माण कार्य वर्ष २००९-१० में किया गया था। इस दौरान यहां पर डब्ल्यूबीएम सड़क का निर्माण किया गया था। वहीं वर्ष २०१२-१३ में इस सड़क की पुन: मरम्मत कराई गई थी। इन दोनों ही कार्यों में करोड़ों रुपए खर्च किए गए थे। लेकिन सड़क की स्थिति अब काफी जर्जर हो चुकी है। जिसके कारण ग्रामीणों को आवागमन में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। चिलौरा के पास पुल का निर्माण तो कराया जा रहा है, लेकिन डायवर्सन नहीं होने से मार्ग पूरी तरह से दलदल में तब्दील हो गया है। जिसके कारण ग्रामीणों को आवागमन में परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। यहां पर चौरिया, डाबरी का सड़क संपर्क लांजी से टूट गया है।
इन ग्रामों के ग्रामीण होते है परेशान
नक्सल प्रभावित क्षेत्र के ग्राम डाबरी, लातरी, सोधनडोंगरी, पित्तकोना, दड़कसा, जैतपुरी, बिलालकसा, मुंडा, चौरिया, चिलकोना, चिलोरा सहित अन्य गांवों के ग्रामीणों को आवागमन में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। ग्रामीणों के अनुसार इस मार्ग के खराब होने के कारण उन्हें लांजी पहुंचने में काफी परेशानी होती है। इस मार्ग के खराब होने के कारण उन्हें बालाघाट होकर लांजी पहुंचना पड़ता है। जबकि उक्त मार्ग में डाबरी से लांजी तक की दूरी महज १२ से १४ किमी दूर है। विदित हो कि पूर्व में इस समस्या के निराकरण के लिए तत्कालीन कलेक्टर भरत यादव ने शासन को पत्र लिखा था। हालांकि, इस मामले में अभी तक कोई भी कार्रवाई नहीं हुई। जिसके कारण समस्या जस की तस बनी हुई है। जिसका खामियाजा ग्रामीणों को भुगतना पड़ रहा है।

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