समय पर शाला नहीं पहुंचे शिक्षक, मैदान में खेलते रहे बच्चे
माध्यमिक शाला उमरिया का मामला
कलेक्टर की सख्ती का नहीं दिख रहा असर
बालाघाट
Published: August 03, 2022 10:27:01 pm
बालाघाट. शिक्षकों का देरी से आना और शाला से जल्दी चले जाना। ऐसी तस्वीर रोजाना जिले के आदिवासी अंचल में संचालित स्कूलों में देखने को मिल रही है। इधर, कलेक्टर के द्वारा सख्ती भी बरती जा रही है। बावजूद इसके आदिवासी अंचलों में शिक्षण व्यवस्था में सुधार नहीं हो पा रहा है। ताजा मामला बुधवार को शासकीय उच्चतर माध्यमिक शाला संकुल टंटाटोला छपरवाही के अंतर्गत माध्यमिक शाला उमरिया का सामने आया है। जहां पर स्कूल खुलने के समय तक शिक्षक शाला नहीं पहुंच पाए थे। बच्चे बाहर मैदान में खेल रहे थे। इतना ही नहीं पास में ही प्राथमिक शाला का भी संचालन हो रहा है, जहां पर शिक्षक ने समय पर पहुंचकर न केवल प्रार्थना कराई। बल्कि बच्चों को शिक्षण कार्य में भी लगाया।
जानकारी के अनुसार शासकीय उच्चतर माध्यमिक शाला संकुल टंटाटोला छपरवाही के अंतर्गत माध्यमिक शाला उमरिया में बुधवार को चार शिक्षक समय पर शाला नहीं पहुंचे थे। माध्यमिक शाला उमरिया के प्रधान पाठक एसके चौरसिया, डीके भारद्वाज उच्च श्रेणी शिक्षक, डीके वड़ीचार उच्च श्रेणी शिक्षक और महेश कुमार लिल्हारे माध्यमिक शिक्षक समय पर शाला नहीं पहुंच पाए थे। विद्यालय के छात्र-छात्राओं, नवनिर्वाचित सरपंच और पालकों ने बताया कि शिक्षकों का यह प्रतिदिन का रिकार्ड है। उन्होंने बताया कि चारों शिक्षक प्रतिदिन 11 बजे के बाद ही शाला पहुंचते हैं। जबकि शासन का आदेश है कि सुबह 10.30 बजे विद्यालय पहुंचना होता है। इसके बाद 10.50 बजे शाला में प्रार्थना करना होता है। लेकिन ये चारों शिक्षक इतने लापरवाह है कि शासन के आदेश की अवहेलना करते हंै। ग्रामीणों और नवनिर्वाचित जनप्रतिनिधियों ने कलेक्टर डॉ गिरीश मिश्रा से मांग की है कि तत्काल इन चारों शिक्षकों पर कार्रवाई करें। ताकि शिक्षण व्यवस्था में सुधार हो सकें। विदित हो कि हाल ही में कलेक्टर ने ऐसे ही एक मामले में तीन जनशिक्षकों को कारण बताओ नोटिस जारी कर उनसे जवाब मांगा है। इतना ही नहीं बिरसा विखं के बीआरसी ने भी अपने अधीनस्थ अमले की बैठक लेकर शालाओं की मॉनीटरिंग करने का निर्देश दिए हैं।
जिला मुख्यालय से आवागमन करते हैं शिक्षक
जिले के आदिवासी अंचल में संचालित शालाओं में पदस्थ अधिकांश शिक्षक जिला मुख्यालय या अपने घरों से आवागमन करते हैं। जिसके कारण शिक्षक हमेशा देरी से विद्यालय पहुंचते हैं। आदिवासी अंचलों में यह समस्या वर्षों से बनी हुई है। बावजूद इसके इसमें कोई सुधार नहीं हो पा रहा है।
प्राथमिक शाला भवन हुआ जर्जर
उमारिया में ही संचालित प्राथमिक शाला भवन भी काफी जर्जर हो चुका है। राशि के आभाव में भवन की मरम्मत नहीं कराई जा रही है। जिसके कारण हमेशा हादसा होने का डर बना रहता है। सबसे अधिक समस्या बारिश के दिनों में होती है। स्कूल प्रबंधन द्वारा शाला भवन के मरम्मत के लिए पत्र भी लिखा गया है, लेकिन अभी तक कोई सुनवाई नहीं हो पाई है।
इनका कहना है
सुबह 11 बजे तक माध्यमिक शाला के शिक्षक विद्यालय नहीं पहुंच पाए थे। वैसे शिक्षकों को रोजाना 10.30 बजे स्कूल पहुंचना चाहिए। मेरे प्रभार में प्राथमिक शाला है। प्राथमिक शाला भवन काफी जर्जर हो चुका है।
-एआर कटरे, प्रभारी प्रधान पाठक, प्राथमिक शाला उमरिया
शिक्षकों को वैसे तो नियमित रुप से सही समय पर स्कूल पहुंचना चाहिए। लेकिन शिक्षकों की लापरवाह कार्यप्रणाली को लेकर कार्रवाई के लिए पत्र लिखा जाएगा। साथ ही स्कूल पर लगातार निगरानी रखी जाएगी।
-रामेश्वरी पंद्रे, सरपंच, ग्रापं उमरिया

समय पर शाला नहीं पहुंचे शिक्षक, मैदान में खेलते रहे बच्चे
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