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मछुआरों पर नहीं तो इनके बच्चों पर तरस खाए प्रशासन-

locationबालाघाटPublished: Mar 13, 2020 04:05:41 pm

Submitted by:

mukesh yadav

बच्चे भी जुटे बड़े तालाब की सफाई में

मछुआरों पर नहीं तो इनके बच्चों पर तरस खाए प्रशासन-

मछुआरों पर नहीं तो इनके बच्चों पर तरस खाए प्रशासन-

कटंगी। हमारे पिताजी इस तालाब में मछली पालन तथा सिंघाड़ा उत्पादन कर पूरे परिवार का पालन-पोषण करते हैं। कुछ दिनों से वह परेशान है तथा थक हार कर घर वापस आ रहे हैं। जब हमने उनसे कारण पूछा तो उन्होंने बताया कि पूरा तालाब जलकुंभी से पट गया है। इस कारण इस साल सिंघाड़ा लगाने में दिक्कत आएगी। अभी तो मछलियां मर रही है, शासन-प्रशासन तालाब की सफाई के लिए किसी तरह की मदद नहीं कर रहा है। इसलिए हम सभी मछुआरे मिलकर तालाब की सफाई कर रहे हैं। जब हमने यह बातें सुनी तो हमें भी अपने-अपने पिता की मदद करने की ठानी। इसलिए तालाब की सफाई करने के लिए उनकी मदद कर रहे हैं। यह उन मासुम बच्चों की जुबानी है, जो इन दिनों अपने-अपने पिता के साथ नगर के बड़े तालाब की सफाई कर रहे हैं।
नगर का बड़ा तालाब जलकुंभी से पट गया है। इस कारण मछुआरों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। इस साल जलकुंभी की वजह से सिंघाड़ा उत्पादन करना मुश्किल हो गया था, वहीं पानी के दूषित होने की वजह से मछलियां मर रही थी। मछुआरों ने शासन-प्रशासन का ध्यानाकर्षण कराकर तालाब की सफाई करने की मांग की, लेकिन कहीं से भी संतोषजनक कार्रवाई नहीं हुई। इसके बाद मत्स्य सहकारी समिति कटंगी के सभी मछुआरों ने समिति की राशि से तालाब की सफाई शुरू करवा दी। इसमें मछुआरे ही मजदुर की तरह काम कर रहे हैं। अब मछुआरों के साथ उनके बच्चे भी तालाब की सफाई के काम में जुट गए हैं। गौरतलब हो कि नगर के बड़े तालाब की सफाई एवं अतिक्रमण हटाकर गहरीकरण तथा सौन्दर्यीकरण की मांग लंबे समय से की जा रही है। नागरिकों के द्वारा समय-समय पर जनप्रतिनिधियों एवं अधिकारियों के समक्ष इस तालाब को लेकर चिंता जाहिर की जा चुकी है। मगर, अस्तित्व खोने की कगार पर खड़े तालाब की किसी को कोई फिक्र ही मालूम नहीं पड़ती।
तालाबों को जीवित करने के लिए लोग लालायित तो है लेकिन शासन-प्रशासन के असहयोग से यह संभव नही हो रहा हैं। वर्षा जल संचय के लिए तालाबों की बदहाली को दूर करने में सरकारी प्रयास नाकाफी साबित हो रहा है। जिसके प्रत्यक्ष उदाहरण नगर के तीनों ही तालाब है। इन तालाबों में मछली पालन, सिंघाडा उत्पादन किया जाता है। यह सभी तालाब अतिक्रमण तथा जलकुंभी से पटे रहने से मछली व सिंघाड़ा उत्पादन भी प्रभावित होने के साथ जल संकट गहराता जा रहा है। जनहित में लोगों एवं मछुआरों ने तालाब के गहरीकरण एवं सौन्दर्यीकरण कराने की मांग की है।
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