scriptचिन्नौर की खेती देखने कलेक्टर पहुंचे किसान के खेत | The collector reached the farmer's field to see the cultivation of Chi | Patrika News

चिन्नौर की खेती देखने कलेक्टर पहुंचे किसान के खेत

locationबालाघाटPublished: Sep 24, 2021 10:32:25 pm

Submitted by:

Bhaneshwar sakure

एक जिला एक उत्पाद के अंतर्गत बालाघाट जिले में चिन्नौर और बांस का चयन किया गया है।

चिन्नौर की खेती देखने कलेक्टर पहुंचे किसान के खेत

चिन्नौर की खेती देखने कलेक्टर पहुंचे किसान के खेत

बालाघाट. एक जिला एक उत्पाद के अंतर्गत बालाघाट जिले में चिन्नौर और बांस का चयन किया गया है। इसके अंतर्गत चिन्नौर व बांस की खेती को प्रोत्साहित किया जा रहा है। इसी परिप्रेक्ष्य में कलेक्टर डॉ गिरीश कुमार मिश्रा 24 सितम्बर को चिन्नौर की खेती देखने ग्राम कायदी के किसान सुखचंद शिवहरे के खेत में पहुंचे थे। उन्होंने खेत में लगी चिन्नौर धान की फसल देखी और गांव के किसानों से इस संबंध में चर्चा भी की।
इस दौरान वारासिवनी एसडीएम संदीप सिंह, उप संचालक कृषि सीआर गौर, सहायक संचालक उद्यान सीबी देशमुख, कृषि विज्ञान केन्द्र बडग़ांव के प्रमुख डॉ आरएल राउत, डॉ उत्तम बिसेन सहित अन्य मौजूद थे।
चिन्नौर चावल के नाम से बालाघाट जिले की एक अलग ही पहचान है। चिन्नौर चावल प्राकृतिक रूप से सुगंधित होता है और खाने में स्वादिष्ट होता है। चिन्नौर चावल का दाना बहुत छोटा होता है। अपने इन्ही गुणों के कारण चिन्नौर का चावल बाजार में 140 रुपए प्रति किलोग्राम के दाम पर बिकता है। चिन्नौर की खेती वारासिवनी और लालबर्रा तहसील के 25 ग्रामों में किसानों द्वारा की जाती रही है। लेकिन समय के साथ इसकी खेती करने वाले किसानों की संख्या कम होती चली गई । अब एक जिला एक उत्पाद के अंतर्गत फिर से इसकी खेती को प्रोत्साहित किया जा रहा है।
कलेक्टर डॉ मिश्रा ने ग्राम कायदी में किसान सुखचंद शिवहरे के खेत में लगी चिन्नौर की फसल को देखा। किसान सुखचंद ने बताया कि बेशक चिन्नौर का चावल मंहगा बिकता है, लेकिन इसकी खेती करने में लागत अन्य धान की तुलना में अधिक आती है। चिन्नौर की फसल को केवल जैविक खाद की जरूरत होती है। यह अधिक दिनों में पकने वाली फसल है और इसमें पानी अधिक लगता है। इसके पौधे अधिक उंचाई के होते है, जब फसल पक कर तैयार हो जाती है तो इसके पौधे जमीन पर गिर जाते है, जिसके कारण इसे मशीन से नहीं काटा जा सकता है। सुखचंद ने बताया कि उसके द्वारा एक एकड़ में चिन्नौर की फसल लगाई गई है। गांव में अन्य किसान भी चिन्नौर की फसल लगाते है।
इसके बाद कलेक्टर ने कृषि महाविद्यालय वारासिवनी का भी निरीक्षण किया। वहीं किसानों के प्रशिक्षण में शामिल हुए।
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